कोई देश आर्थिक प्रगति के लिहाज से कितना भी संभावनाशील क्यों न हो, जब तक संभावनाओं का दोहन करने में सक्षम नहीं होता, समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता. हाल में यह उम्मीद जगी है कि अपना देश नीति और नीयत दोनों ही धरातल पर संभावनाओं के दोहन के लिए तत्पर हो उठा है. ऐसे में वैश्विक आर्थिक परिवेश भी सहायक हो रहा है. वैश्विक बाजार के सकारात्मक रुझानों को भांप कर सेंसेक्स और निफ्टी लगातार नयी ऊंचाइयां छू रहे हैं.
यह एक प्रमाण है कि भारतीय बाजार पर विदेशी निवेशकों का भरोसा लौटा है. कहा जा सकता है कि विशाल बहुमत से बनी सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ के नारे के तहत निवेशकों के लिए श्रम से लेकर खनन और पर्यावरण के क्षेत्र में व्याप्त बाधाओं को दूर करने के जो प्रयास किये हैं, वे निवेशकों का भरोसा लौटाने में सफल हुए हैं.
वित्तमंत्री अरुण जेटली का ताजा बयान इसी बात की पुष्टि करता है. उन्होंने वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में कहा कि कई सालों के बाद फिर से निवेशक भारतीय बाजार की तरफ आशा के साथ देख रहे हैं. सरकार आर्थिक मोरचे पर जिस तत्परता के साथ काम कर रही है और विरोध के स्वर जिस हद तक मंद हुए हैं, उसे देख कर यकीन किया जा सकता है कि आनेवाले दिनों में अर्थव्यवस्था के हर बीमार सेक्टर की समीक्षा के साथ उसका कारगर इलाज किया जायेगा. सार्वजनिक क्षेत्र की बीमार इकाइयों के निजीकरण और भूमि अधिग्रहण कानून को सरल बनाने का वित्तमंत्री का नया प्रस्ताव इसी दिशा में उठा कदम है.
इससे पहले कोयला खनन के क्षेत्र में सुधार के प्रयास किये गये हैं. उम्मीद है कि शेष खनिजों के मामले में भी सुधार किये जायेंगे. उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भारी कमी आयी है, जिससे पेट्रोल की कीमतें कई दफे घट चुकी हैं. यह महंगाई को कम करने में सहायक होगा, जो कि सरकार और जनता दोनों के लिए राहत की बात है. आम जनता के लिए एक खुशखबरी यह भी है कि शादियों के सीजन की शुरुआत में सोने के दाम गिरे हुए हैं और विशेषज्ञों के अनुसार यह अभी और सस्ता होगा. ये सारे संकेत केंद्र सरकार की ओर से नये भारत के निर्माण की दिशा में उठाये जा रहे कदमों के सकारात्मक परिणाम मिलने का भरोसा जगाते हैं.