प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ मंत्र सोयी हुई भारतीय प्रतिभाओं को उभारने का एक जरिया है. इसकी शुरुआत स्वनिर्मित मार्स ऑर्बिटर मिशन (मॉम) के सफल होने के साथ हुई है. प्रधानमंत्री मोदी ने इसके पहले भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों से ऐसी घोषणाएं की हैं, जिसकी मूल भावना भारत के नवनिर्माण में लगे लोगों को तैयार करने का काम करेगी.
भारत की सरकार और यहां के लोग पिछले कई दशकों से अपनी क्षमताओं को नजरअंदाज कर विदेशी चीजों को तेजी से अपनाने में लगे हैं, जो देश की तरक्की की राह में रोड़ा तो है ही, इसके साथ ही देशज सभ्यता और संस्कृति को पतनोन्मुख भी बना रहा है. गांधी जी ने देश और देशवासियों को स्वावलंबी बनाने के लिए जिस तरह स्वनिर्मित वस्तुओं की वकालत की थी, कुछ ऐसी ही है ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा.
मनीष वर्मा, धनबाद