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जेल से आ रही उम्मीद की रोशनी

एक अच्छी खबर आयी है कि रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के सभी कैदी साक्षर हो गये हैं. इनमें से कई न सिर्फ साक्षर हुए हैं, बल्कि तकनीकी तौर पर भी प्रशिक्षित हो चुके हैं. इन्हें कंप्यूटर, बिजली मिस्त्री आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह एक शुभ संकेत है. यह एक दिन […]

एक अच्छी खबर आयी है कि रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के सभी कैदी साक्षर हो गये हैं. इनमें से कई न सिर्फ साक्षर हुए हैं, बल्कि तकनीकी तौर पर भी प्रशिक्षित हो चुके हैं. इन्हें कंप्यूटर, बिजली मिस्त्री आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह एक शुभ संकेत है. यह एक दिन का प्रयास नहीं है.

इसमें कुछ वैसे कैदियों का महत्वपूर्ण योगदान है जो गंभीर अपराध की सजा भुगत रहे हैं. ठीक है कि जिसने अपराध किया, पकड़ा गया, अदालत ने सजा सुनायी और जेल में सजा काट रहा है. लेकिन अगर वह अपराधी सुधरने का प्रयास करे, अपने को बदलने का प्रयास करे, एक बेहतर नागरिक बनने का प्रयास करे, तो इसका लाभ न सिर्फ उस कैदी को मिलेगा, बल्कि समाज में भी परिवर्तन दिखेगा. इसके लिए आवश्यक है कि कैदी का हृदय परिवर्तन हो.

उसे अहसास हो कि उसने गलती की थी और अब उसे सुधरने का मौका मिला है. जेल में जो कैदी साक्षर हो रहे हैं, इग्नू से उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, अन्य विधाओं का प्रशिक्षण ले रहे हैं, जेल से रिहा होने के बाद यही उनके लिए संजीवनी साबित हो सकता है. इस जेल में अनेक कैदी ऐसे हैं जिन्होंने न सिर्फ मैट्रिक की परीक्षा पास की, बल्कि जेल के भीतर से स्नातक की परीक्षा पास की है. कई को कंबल, साबुन, फाइल बनाने का प्रशिक्षण मिला है. जब ये कैदी अपनी सजा पूरी कर बाहर आयेंगे तो यही प्रशिक्षण उनकी आय का साधन बन सकता है.

अगर ये अवसर उसे न मिले, तो हो सकता है कि फिर से अपराध की ओर उसका झुकाव हो जाये. जेल एक सुधार केंद्र है न कि यातना गृह. आज सरकार करोड़ों-अरबों रुपये साक्षरता अभियान पर खर्च कर रही है. यह अभियान अधूरा रह जायेगा, अगर जेल में बंद कैदियों (जिनकी संख्या हजारों में है) को इसका लाभ नहीं मिले. भारत का इतिहास बताता है कि कैसे एक डकैत को जब पछतावा हुआ और उसने सुधरने का संकल्प लिया, तो वह वाल्मीकि ऋषि बन गया और उसने रामायण की रचना कर दी. हर एक इनसान को सुधरने का अवसर मिलना चाहिए और अगर जेल में यह मौका मिल रहा है, कुछ जुनूनी लोग इसमें आगे बढ़ कर हाथ बंटा रहे हैं, तो बगैर उनका अतीत जाने, उनके कार्यो की प्रशंसा करनी चाहिए.

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