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ऐसी हो हर गांव की सोच

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के एक गांव ने धर्म और शिक्षा में से शिक्षा को चुनकर न केवल एक रचनात्मक मिसाल पेश की है,बल्कि सभी ग्रामीणों ने धार्मिक गतिविधियों पर होनेवाले खर्च में कटौती कर उस पैसे से गांव के स्कूल को बेहतर बनाने का फैसला भी किया है, ताकि स्कूल और उसकी सुविधाओं को […]

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के एक गांव ने धर्म और शिक्षा में से शिक्षा को चुनकर न केवल एक रचनात्मक मिसाल पेश की है,बल्कि सभी ग्रामीणों ने धार्मिक गतिविधियों पर होनेवाले खर्च में कटौती कर उस पैसे से गांव के स्कूल को बेहतर बनाने का फैसला भी किया है, ताकि स्कूल और उसकी सुविधाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित किया जा सके. इस गांव ने धार्मिक खर्चे में कटौती कर आंगनवाड़ी और कंप्यूटर लैब को अपग्रेड करने के लिए दस लाख रुपये खर्च किये हैं. देश में धर्म के मर्म को समझने तथा जन-जागरूकता के लिए आज अच्छी शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत है.
शिक्षा के अभाव में भ्रम का जाल बहुत जल्दी फैल जाता है, जैसे नागरिकता कानून को लेकर भ्रम का जाल फैलाया गया. महाराष्ट्र के इस गांव से, चाहे आम हो या खास, सभी धर्म के लोग, प्रेरणा लेकर हमें भी धार्मिक गतिविधियों में होनेवाले खर्चों में कटौती कर आंगनवाड़ी और स्कूलों को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए. सभी वर्ग के बच्चों की बेहतर शिक्षा-दीक्षा होगी, तो वे न केवल अपने पैरों पर खड़े होंगे, बल्कि किसी के बहकावे में भी नहीं आयेंगे.
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन, मध्य प्रदेश

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