एक वर्ष से अधर पर लटकी शिक्षक नियुक्ति प्रक्रि या को विटामिन की ये कौन सी टॉनिक दी गयी कि एक माह के अंदर ही यह चुस्त-दुरु स्त हो गयी. कुछ लोग यह मानते हैं कि सरकार पर आरटीई का दबाव है.
वहीं कुछ इसे माननीय मुख्यमंत्री की उपलब्धि बताते हैं. पर हम युवा लोग यह अच्छी तरह समझते हैं कि यह 27 जून 2014 को प्रभात खबर के मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित युवा की चीत्कार ‘नौकरी दो.. नौकरी दो..’ का ही असर है.
हम बेरोजगारों की वेदना को न तो हेमंत जी समझ पाते हैं और न ही हमारे शिक्षा मंत्री जी. वास्तव में हमारे दर्द का एहसास सिर्फ आदरणीय संपादक महोदय को हुआ, जिनकी इस पहल से आज शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया अंतिम पायदान पर है. यह अक्षरश: सत्य है कि प्रभात खबर अखबार नहीं आंदोलन है. मैं इसके लिए प्रभात खबर के समस्त परिवार को धन्यवाद देना चाहूंगा.
माणिक मुखर्जी, कांड्रा