अच्छे दिन आने वाले हैं. यूं तो हर तरफ अच्छे दिनों की चर्चा हो रही है, पर क्या सच में कभी अच्छे दिन आयेंगे? यह पहले भी एक बड़ा सवाल था और आज भी है. अच्छे दिनों का वादा आज से नहीं, बल्कि सालों से दिया जा रहा है.
लेकिन जिस तरह से अच्छे दिनों का सपना हमें दिखाया गया है, वह सपना बस सपना ही रह जायेगा या फिर कभी सामने भी आयेगा? आखिर अच्छे दिन आयेंगे कैसे? क्या देश में विदेशी धन लाने और बुलेट ट्रेनें चलाने से देश में अच्छे दिन आ जायेंगे?
क्या इससे कोई भी गरीब भूखा नहीं सोयेगा और भारत की बेटियां सुरक्षित रहेंगी और इस देश का कोई भी नौजवान बेरोजगार नहीं होगा? लेकिन कहते हैं न कि उम्मीद पर ही दुनिया टिकी है, इसी उम्मीद पर हम दशकों से बेवकूफ बनते आ रहे हैं और इसी उम्मीद पर हम अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे हैं.
नेहा कुमारी, रजरप्पा, रामगढ़