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विरोध का यह तरीका कितना जायज?

आठ जुलाई को केंद्रीय रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने रेल बजट पेश किया. इस बजट को उन्होंने अपने अंदाज में प्रस्तुत किया. कोशिश तो की देश के हर वर्ग के लोगों का ख्याल रखने की, लेकिन किसी राज्य पर उनकी विशेष कृपा रही तो किसी पर कम. इससे नाराज होकर नयी दिल्ली में कांग्रेस के […]

आठ जुलाई को केंद्रीय रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने रेल बजट पेश किया. इस बजट को उन्होंने अपने अंदाज में प्रस्तुत किया. कोशिश तो की देश के हर वर्ग के लोगों का ख्याल रखने की, लेकिन किसी राज्य पर उनकी विशेष कृपा रही तो किसी पर कम. इससे नाराज होकर नयी दिल्ली में कांग्रेस के विधायक मुकेश शर्मा ने रेल मंत्री की नेम प्लेट तोड़ डाली और उस पर खड़े हो गये. उनके अगल-बगल में खड़े लोगों व पुलिसकर्मियों ने उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका, जैसा कि घटना की मीडिया फुटेज बता रही थी.

भारत की पहचान पूरे विश्व में अलग है. यहां बचपन से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा दी जाती है और उन्हें हमेशा सिखाया जाता है कि वे खुद से बड़ों और छोटों का सम्मान करें, ताकि वे भी सम्मान के हकदार बन सकें और उनके किसी काम से किसी को ठेस नहीं पहुंचे और न ही घर, समाज, राज्य और देश का नाम दूसरी जगह खराब हो. मुकेश शर्मा ने जो विरोध का तरीका अपनाया था, वह सरासर गलत था. हमारी संस्कृति किसी को ऐसे विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं देती. ऐसा कर उन्होंने अपनी ओछी मानसिकता का परिचय पूरे देश के सामने दिया है.

रेल मंत्री का कोई प्रस्ताव अगर उन्हें बहुत बुरा लगा तो उन्हें चाहिए था कि विरोध करने के अन्य तरीके तलाशते, जिससे देश भर में उन पर थू-थू नहीं होती. किसी की नेमप्लेट उखाड़ कर उसे पैरों तले कुचलने की जितनी भी निंदा की जाये, कम है. कांग्रेस को चाहिए कि उन पर कारवाई करे, ताकि भविष्य में कोई विधायक या कार्यकर्ता ऐसी ओछी हरकत न करे, जिससे पार्टी की छवि पर कोई असर पड़े. पार्टी को चाहिए कि वह इस पर त्वरित कारवाई करते हुए पार्टी के नियमों के मुताबिक जो दंड का प्रावधान है उसे लागू करे.

धर्मशीला देवी, डोरंडा, रांची

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