गर्मी बढ़ती जा रही है. पारा 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जा रहा है. आलम यह है कि न धूप बर्दाश्त हो रही है और न ही गर्म हवा के थपेड़े.हर किसी को बदन झुलसाने वाली भीषण गर्मी से बचने के लिए गमछे का प्रयोग करना पड़ रहा है. जेठ की दोपहरी में लोग बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं. लिहाजा, दोपहर में सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है. हालत यह है कि तपिश व ऊमस से बेहाल लोग दोपहर को घरों, दफ्तरों व दुकानों में ही रहने को मजबूर हो रहे हैं.
बहुत जरूरी काम होने पर ही लोग बाहर निकलते हैं. हालांकि इस भीषण गर्मी में पेड़ों की छांव तले शीतलता महसूस होती है. राह चलते लोगों को जहां भी पेड़ मिलते हैं, आराम फरमाने लगते हैं. यानी पेड़ हमें मौसम की मार से बचाता है. ऐसे में यह जरूरी है कि हर व्यक्ति को पौधारोपण पर ध्यान देना चाहिए.
प्रिंस गुप्ता, पुरानी बाजार, बगौरा (दरौंदा)