अनपढ़ क्या लूट सकेंगे इस देश को, जो पढ़े-लिखे लूटते हैं! ऐसे ही बुद्घिजीवी लुटेरे होते हैं कुछ चिकित्सक. कुछ प्राइवेट नर्सिग होम्स तो रोगियों को मानो भभोर ही लेते हैं. मरीज इनकी चपेट में आकर चुसे हुए आम की तरह वापस लौटते हैं. बेचारे गरीब मरीज जमीन-जायदाद गिरवी रख, थरिया-लोटा तक बेच कर आते हैं और चिकित्सक उन पर भी तरस नहीं खाते हैं.
अत: चिकित्सकों से अपेक्षा है कि वे उतनी ही जांच लिखें जितनी निहायत जरूरी हों. यथासंभव जेनेरिक दवाएं लिखें. चिकित्सा में ईमानदारी बरतें. मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स द्वारा प्रदत्त उपहार रिश्वत का ही बदला हुआ रूप है, इसलिए जहां तक हो सके उनसे परहेज करें. वे उन गिने-चुने चिकित्सकों से सीख लें जो रियायती दर पर मरीजों का इलाज करते हैं और मरीजों एवं उनके परिजनों के साथ प्रेम से पेश आते हैं.
डॉ उषा किरण, खेलगांव, रांची