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डिजिटल श्रम की तैयारी
युवा आबादी और बढ़ती श्रमशक्ति के लिए रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध कराना हमारी अर्थव्यवस्था की प्रमुख चुनौती है. चूंकि भारत समेत दुनियाभर में श्रम और तकनीक तथा इनके प्रबंधन का स्वरूप तेज गति से बदलता जा रहा है, इसलिए भविष्य में रोजगार की कोई भी रूपरेखा बनाते समय इस बदलाव का संज्ञान लेना जरूरी […]
युवा आबादी और बढ़ती श्रमशक्ति के लिए रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध कराना हमारी अर्थव्यवस्था की प्रमुख चुनौती है. चूंकि भारत समेत दुनियाभर में श्रम और तकनीक तथा इनके प्रबंधन का स्वरूप तेज गति से बदलता जा रहा है, इसलिए भविष्य में रोजगार की कोई भी रूपरेखा बनाते समय इस बदलाव का संज्ञान लेना जरूरी है.
डेटा संग्रहण और उसके आम जीवन में इस्तेमाल, डिजिटल बैंकिंग एवं लेन-देन, इ-कॉमर्स, इंटरनेट और स्मार्ट फोन का विस्तार, कल्याणकारी योजनाओं को वंचितों तक पहुंचाने आदि के मामलों में हाल के सालों में भारत ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की है.
इससे न सिर्फ सेवाओं और सामानों के वितरण और विपणन में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि आमदनी, कारोबार और काम के नये-नये मौके भी बने हैं. हमारे सकल घरेलू उत्पादन में सेवा क्षेत्र का योगदान लगातार बढ़ा है और आज इसकी हिस्सेदारी करीब 55 फीसदी है.
आंतरिक और वैश्विक उथल-पुथल के बावजूद अगर हमारी आर्थिकी आज भी सबसे तेजी से बढ़ रही है, तो इसमें डिजिटल क्रांति का सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन सूचना-तकनीक के जो अत्याधुनिक रुझान हैं, उसके लिए भी हमें तैयार रहना होगा. उत्पादन, वितरण और उपभोग में वैश्विक स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन का उपयोग बढ़ रहा है. इनसे एक ओर गुणवत्ता और सुगमता में बेहतरी हो रही है, वहीं इनकी वजह से रोजगार और उसके अवसरों का रूप भी बदल रहा है.
दुनिया की बड़ी तकनीकी कंपनियां संवाद, संचार, मनोरंजन, लेखा, ढुलाई, प्रबंधन और उत्पादन के लिए कंप्यूटरों को क्षमतावान बना रही हैं. तकनीक, बौद्धिकी, डिजाइन आदि अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग कोने में बैठे लोग इंटरनेट के माध्यम से साझेदारी में काम कर रहे हैं. डिजिटल माध्यम से सेवाओं के आदान -प्रदान के इस रूप का वित्तीय आकार लगातार बढ़ता जा रहा है तथा निकट भविष्य में उत्पादन और उपभोग पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ने का अनुमान है.
ऐसे में पारंपरिक कारोबारों की दशा और दिशा में व्यापक बदलाव होना स्वाभाविक है. अर्थव्यवस्था की बढ़त को बरकरार रखने तथा आबादी के बहुत बड़े हिस्से को रोजगार और सेवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत को इस रुझान में जोर-शोर से सहभागिता करना होगा.
अगर हम डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से देखें, तो तकनीक और उसके विस्तार में हम किसी भी देश के समकक्ष खड़े हो सकते हैं, परंतु आर्थिक गतिविधियों के लिए आवश्यक डिजिटल कौशल में निपुण श्रमशक्ति की बड़ी कमी है. पिछले कुछ सालों में कौशल विकास के कार्यक्रमों से श्रम कुशलता में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन वह बुनियादी तौर यह पारंपरिक श्रम से जुड़ा हुआ है.
इसके अगले चरण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन, डेटा प्रबंधन, समायोजन एवं सुरक्षा तथा सेवाओं के निष्पादन में युवाओं को दक्ष और सक्षम बनाने की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाना चाहिए. इस प्रयास में शिक्षा और कौशल विकास केंद्रों का देशव्यापी संजाल बिछाया जाना चाहिए.
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