झूठ और अत्याचार की बुनियाद पर खड़ी चमकती इमारत के बारे में, जब लोगों को हकीकत मालूम पड़ती है तो उनके दिलों को गहरी चोट पहुंचती है. विश्वास, संबंध, कर्तव्य सभी पर जबरदस्त आघात पहुंचता है. यही आघात कई लोगों को शिखर से शून्य तक पहुंचा देता है, तो किसी को शून्य से शिखर तक. विडंबना की बात यह है कि उस चमकती इमारत, जिसकी बुनियाद ही झूठ और अत्याचार से बनी हो, उलझन से बचने के लिए उस पर कोई बात तक नहीं करता.
इस तरह की इमारत को बचाने के लिए न जाने कितने अनगिनत झूठ बोले जाते हैं. कोई सच को झूठ साबित करने में लगा है तो कोई झूठ को सच साबित करने में. ईमानदारी भारतीय समाज से धीरे-धीरे गायब होती जा रही है. जो भी हो, जिंदगी ज्यादा शांत, आनंदपूर्ण, सरल, मधुर व प्रीतिकर हो, इसके लिए एक बड़े सामाजिक सुधार की जरूरत है.
हरिश्चंद्र कुमार, डंडार कलां, पांकी