11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ठंड और प्रदूषण

उत्तर भारत शीतलहर की चपेट में है. देश के मध्य और पश्चिमी क्षेत्र के अनेक क्षेत्रों में पारा सामान्य से नीचे है. हालांकि, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान बढ़ने से भारत के बड़े हिस्से में ठंड का मौसम सिकुड़ता जा रहा है, परंतु मौसम की वर्तमान स्थिति कुछ दिनों तक जारी रहने का अनुमान है. […]

उत्तर भारत शीतलहर की चपेट में है. देश के मध्य और पश्चिमी क्षेत्र के अनेक क्षेत्रों में पारा सामान्य से नीचे है. हालांकि, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान बढ़ने से भारत के बड़े हिस्से में ठंड का मौसम सिकुड़ता जा रहा है, परंतु मौसम की वर्तमान स्थिति कुछ दिनों तक जारी रहने का अनुमान है.

एक तरफ कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी होने और तापमान गिरने से पर्यटन में उछाल आया है तथा फसलों के बेहतर उपज की उम्मीद बंधी है, लेकिन दिल्ली समेत उत्तर भारत में शीतलहर के प्रकोप ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इसका बड़ा कारण हवा में प्रदूषण की लगातार बढ़ोतरी है. देश के इस हिस्से में हवा की गुणवत्ता दुनिया में सबसे खराब है और इससे लोगों का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

ठंड के मौसम में प्रदूषण ने कोहरे की समस्या को गहन कर दिया है, जिससे यातायात बाधित हो रहा है. प्रदूषित धुंध दिन के तापमान को नीचे रखती है, जिससे ठंड बढ़ जाती है. वैश्विक तापमान बढ़ने से बेहद ठंडी हवाओं का प्रसार औद्योगिक और वाहन उत्सर्जन के साथ मिलकर खतरनाक हो जाता है. बीते दो महीने से दिल्ली में प्रदूषण बहुत बढ़ गया है.

अब आपात स्थिति का सामना करने के लिए उद्योगों और निर्माण पर रोक लगाया गया है तथा वाहनों का चालन सीमित करने के उपायों पर विचार हो रहा है. हवा के तेज बहाव ने शीतलहर को गंभीर जरूर बनाया है, पर इससे प्रदूषण में कमी की उम्मीद भी है.

लेकिन, उत्तर भारत में उमस का स्तर भी बढ़ा है और यह तेज हवा के असर को कुंद कर सकता है. बहरहाल, यह तो मौसम का चक्र है और ठंड कोई इसी साल नहीं आयी है. लेकिन, सवाल यह है कि जब सरकारों के पास प्रदूषण और शीतलहर के संबंधों के बारे अनेक अध्ययन उपलब्ध हैं, तो समय रहते इससे बचाव की कोशिशें क्यों नहीं होती हैं? यही लापरवाह रवैया बेघरबार और वंचितों को गर्म कपड़े, बिस्तर और रैन बसेरा मुहैया कराने के मामले में भी साल-दर-साल देखा जाता है.

खबरों में बताया जाता है कि ठंड से लोगों की मौत हुई या वे गंभीर रूप से बीमार हो गये. लेकिन, हकीकत तो यह है कि ऐसा मौसम की वजह से नहीं, बल्कि गर्म कपड़े और छत की कमी की वजह से होता है. दिल्ली और उससे सटे इलाके नवंबर की तरह अब तो यह भी शिकायत नहीं कर सकते हैं कि पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ रहा है.

वहां के किसान फिलहाल बुवाई के काम में लगे हैं. पर्यावरण का संकट और प्रदूषण से जाड़ा, गर्मी और बरसात के मौसमों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में तात्कालिक पहलों के साथ ऐसे प्रयासों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिनसे हम भविष्य के बदलावों के लिए तैयार हो सकें. यदि हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे या तुरंता बचाव में लगे रहे, तो कभी शीतलहर, कभी तेज लू और कभी सूखे या बाढ़ से घिरते ही रहेंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें