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प्रयागराज कहिए हुजूर
नयापन के लिए जीवन में कुछ बदलाव होना जरूरी है. रेलवे स्टेशनों का नाम बदलना इसी कड़ी का हिस्सा हो सकता है. प्रयागराज नाम बचपन में कई बार सुना था, मगर ढूंढने से इलाहाबाद ही मिलता था. लिहाजा, अब बेधड़क प्रयागराज कहिए हुजूर! यहीं से एक रास्ता पवित्र त्रिवेणी तट की ओर जाता है. पहले […]
नयापन के लिए जीवन में कुछ बदलाव होना जरूरी है. रेलवे स्टेशनों का नाम बदलना इसी कड़ी का हिस्सा हो सकता है. प्रयागराज नाम बचपन में कई बार सुना था, मगर ढूंढने से इलाहाबाद ही मिलता था.
लिहाजा, अब बेधड़क प्रयागराज कहिए हुजूर! यहीं से एक रास्ता पवित्र त्रिवेणी तट की ओर जाता है. पहले कदम से ही तीर्थ का एहसास हो, इसलिए स्टेशनों के नाम तीर्थस्थलों से जोड़ा जाना एक अच्छी पहल है. भले कुछ लोगों को लगे कि ऐसे बदलाव महज सियासत को तूल देते हैं, मगर सच तो यही है कि इस बदलाव के अपने सांस्कृतिक मायने हैं. इसका स्वागत किया जाना चाहिए.
एमके मिश्रा, रातू, रांची
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