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अखबारों में भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीट कर मारने की खबरें एक गंभीर चेतावनी है. स्पष्ट है कि अब लोगों का विश्वास पुलिस और प्रशासन से उठ गया है. दुखद बात यह है कि इस तरह की घटनाओं का मुख्य कारण अफवाह मात्र है. हाल ही में बच्चा चोरी के इल्जाम में भीड़ ने एक […]

अखबारों में भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीट कर मारने की खबरें एक गंभीर चेतावनी है. स्पष्ट है कि अब लोगों का विश्वास पुलिस और प्रशासन से उठ गया है. दुखद बात यह है कि इस तरह की घटनाओं का मुख्य कारण अफवाह मात्र है. हाल ही में बच्चा चोरी के इल्जाम में भीड़ ने एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी.
सवाल यह उठता है कि ऐसी घटनाएं क्यों हो रही है? देश में फेक न्यूज़ अपने चरम पर है. छोटी-सी घटना को मिर्च मसाला लगा कर अलग ही रूप में प्रस्तुत कर दिया जाता है. सत्यता जांचे बिना लोग इन पर यकीन कर आगे प्रेषित करते रहते है. इसका हल तभी संभव है, जब झूठी अफवाह फैलाने पर कठोर दंड का प्रावधान किया जाये. ऐसे लोगों को सबक सिखाना बहुत जरूरी है. अभी तक किसी को भी इसके लिए कठोर दंड नहीं दिया गया है, जिससे लोगों में भय उत्पन्न हो और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. सरकार को तुरंत इस पर ध्यान देना होगा.
डॉ शिल्पा जैन सुराणा, वारंगल, तेलंगाना

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