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देखने नहीं, खेलने की जरूरत
फीफा वर्ल्ड कप का समापन फ्रांस के विजेता बनने के साथ हो गया. लोगों ने इसका भरपूर आनंद लिया, जो अच्छी बात हैं. लोग ने समूह में भी बैठ कर फुटबॉल विश्व कप का आनंद उठाया. कहीं-कहीं तो इसके लिए बड़े-बड़े स्क्रीन लगा कर इसकी बजाप्ता तैयारी की गयी थी, पर जो बात सबसे ज्यादा […]
फीफा वर्ल्ड कप का समापन फ्रांस के विजेता बनने के साथ हो गया. लोगों ने इसका भरपूर आनंद लिया, जो अच्छी बात हैं. लोग ने समूह में भी बैठ कर फुटबॉल विश्व कप का आनंद उठाया.
कहीं-कहीं तो इसके लिए बड़े-बड़े स्क्रीन लगा कर इसकी बजाप्ता तैयारी की गयी थी, पर जो बात सबसे ज्यादा खलती हैं, वह हैं इस पूरे घटनाक्रम में भारत की अनुपस्थिति. क्या हम उन देशों से सीख नहीं ले सकते, जिन्होंने भौगोलिक रूप से भारत से बहुत छोटा होते हुए भी इस खेल में अपनी मजबूत उपस्थिति और स्थिति दर्ज करायी? वह भी तक, जबकि फुटबॉल हमारे देश में सबसे लोकप्रिय खेल पुराने समय से ही रहा है.
दरअसल, इसका मुख्य कारण यह है, हमारा खेलने से ज्यादा देखने पर जोर देना, जबकि हम जानते हैं कि फुटबॉल खेलने से शरीर भी स्वस्थ रहता है और एक स्वस्थ मस्तिष्क का निवास एक स्वस्थ शरीर में ही होता हैं. यहां तक कि क्रिकेटर भी फिटनेस के लिए फुटबॉल खेलते हैं और यह खेल बहुत खर्चीला भी नहीं है.
सीमा साही, बोकारो
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