नरेंद्र मोदी जी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का आना संतोषजनक नहीं है. दुश्मन के साथ इस औपचारिकता की क्या जरूरत है? किसे खुश करने के लिए यह किया गया है? शहीदों के परिवार के आंसुओं की क्या इन्हें समझ नहीं? आज तक पाकिस्तान ने कभी भारत पर दया नहीं दिखायी तो शपथ ग्रहण कार्यक्रम में आकर उनमें कौन सा परिवर्तन होनेवाला है?
अपने देश में हिंदुओं पर अत्याचार करनेवालों, भारतीय कैदियों पर जुल्म ढानेवालों के साथ हाथ मिलाना क्या उचित है? देश ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है, लेकिन पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध हमेशा एक जैसे रहे. हमेशा सिर पर आतंकवाद की लटकती तलवार लेकर भारतीय नागरिक जी रहे हैं. इस दुश्मन के साथ दोस्ती हमेशा नुकसान पहुंचाने वाली रही है. जाने कब चेतेंगे हमारे नेता!
जयेश राणो, मुंबई