लोकसभा चुनाव में विजयी होने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने आभार ज्ञापन में सभी वादों को पूरा करने का भरोसा दिलाया है. लेकिन सभी चुनावी वादों को पूरा करना बड़ी चुनौती है. वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में नहीं है. देश की जीडीपी वृद्धि दर पांच प्रतिशत से भी नीचे आ गयी है. औद्योगिक विकास दर अपने निम्नतम स्तर पर है. रोजगार के अवसर खत्म हो रहे हैं. राजकोषीय घाटा कम होने का नाम नहीं ले रहा है. मुद्रास्फीति दर उच्च होने से जनता महंगाई से परेशान है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 21 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रही है. सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की है. भाजपा ने अपने घोषणापत्र में महंगाई कम करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. इसके लिए कालाबाजारी और जमाखोरी के मामलों के लिए अलग अदालतें बनाने, राष्ट्रीय स्तर का कृषि बाजार का निर्माण आदि उपायों के माध्यम से मूल्य वृद्धि कम करने की बात घोषणापत्र में कही गयी है. लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि उपरोक्त सभी उपायों को अपनाने के बावजूद मूल्य वृद्धि को रोकना मुश्किल है. क्योंकि मूल्य वृद्धि का एक बड़ा कारण उत्पादन लागत में निरंतर वृद्धि होना है. जब तक उत्पादन लागत नियंत्रित करने के ठोस उपाय अपनाये नहीं जाते, उस पर नियंत्रण कठिन है.
बेरोजगारी की समस्या के निराकरण हेतु नेशनल मल्टी स्किल मिशन के तहत देश के लोगों के कौशल की पहचान कर उनके कौशल विकास द्वारा रोजगार के अवसर बढ़ाने, उद्यमिता विकास प्रशिक्षण द्वारा उद्यम स्थापना एवं स्वरोजगार को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर बढ़ाना मुख्य हैं. अगर मोदी दृढ़ संकल्प के साथ इस दिशा में काम करें तो निस्संदेह अच्छे दिन आयेंगे.
अनिल सक्सेना, ई-मेल से