आजकल जन-जागरूकता काफी बढ़ गयी है. मीडिया की पैनी नजर है, इसलिए राजनेता अपने पुराने कारनामों पर परदा डालने की कोशिश कर रहे हैं. अधिकतर नेता अपने लोगों का भ्रष्टाचार छिपाने में लगे हैं. इसलिए इनमें से कुछ राजनेता भ्रष्टाचार को सामाजिक और कुछ वैश्विक समस्या बताते हैं.
पर ये नेता यह नहीं बताते हैं कि यह सामाजिक समस्या आयी कहां से? ऐसे समय में, जब जनता यह जानने में लगी है कि व्यवस्था में ऊपर से नीचे तक कितना भ्रष्टाचार है, नेता अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं कर रहे हैं और जनता को भ्रमित करने में लगे हुए हैं. प्रशासनिक व्यवस्था ऐसी बन चुकी है कि लोग ले-दे कर काम करवाना बेहतर समझते हैं, लेकिन अभी थोड़ा सुधार हुआ है. कई विभागों में भ्रष्टाचार निरोधक इकाइयां बनी हैं. उन पर लोगों की निगाहें हैं. लोग समझ चुके हैं कि अभी भ्रष्टाचार नहीं मिटा, तो कभी नहीं मिटेगा.
ललिता झा, रांची