पीयूष पांडे
व्यंग्यकार
सब्जीमंडी में भयंकर कोलाहल था. सभी अपनी-अपनी जाति के सदस्यों के साथ मौजूद थे. विषय बेहद गंभीर था. यूं नोटबंदी के वक्त भी एक सर्वदलीय बैठक हुई थी, लेकिन उस वक्त सब सदस्य एकजुट थे. इस बार समाज बंट रहा था.
सर्वदलीय बैठक का अध्यक्ष आलू को बनाया गया. आलू ने ही भूमिका बनायी- ‘दोस्तों, जिस तरह कुकुरमुत्ता उर्फ मशरूम को इंसानों को गोरा बनाने में करामती बताया गया, वह न केवल चिंताजनक बल्कि अपमानजनक है.’
‘देश के नेता इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान देंगे, तो हमारा तो मार्केट ही खत्म हो जायेगा’. टमाटर ने चिंता चतायी.
गोभी तैश खा गयी- ‘नेताओं को क्या जिम्मेदार ठहराना. चुनाव में नेताओं को बकवास करने की आदत होती है. गलती मशरूम की है. उसे फौरन इस बेबुनियाद बयान का खंडन करना चाहिए था. मशरूम को समाज से बाहर किया जाये.’
लौकी ने भिंडी से सहमति जताते हुए कहा- ‘हो सकता है कि यह साजिश ही मशरूम की हो.अल्पेश ठाकोर मशरूम के हाथों बिक गया हो. इसकी सीबीआई जांच हो.’
‘वह क्यों मशरूम के हाथों बिकेगा. हमारे अपने समाज में ही कई भ्रष्ट सदस्य हैं, जो मौका देखकर किसी भी सब्जी के साथ शामिल हो जाते हैं और फिर बड़े-बड़े होटलों के मैन्यू में ऊंचे दामों में बिकते हैं. मशरूम को आज सम्मान मिला है, तो यह उसकी अपनी मार्केटिंग है.’ चुकंदर ने धीमे से कहा.
‘यह वक्त बहस का नहीं, फैसला लेने का है. मुझे मेरा सीजन खराब होता दिख रहा है. एक बार मार्केट से आउट हुआ, तो फिर कौन पूछता है?’ अंगूर ने दुखड़ा रोया.
‘वैसे, अगर मशरूम का मोदीजी से किसी भी तरह का संबंध है, तो हम उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते. अच्छा हो हमें सरकार बीपीएल स्टेटस दे दे.’ धनिया ने सुझाव दिया.
‘हमें अल्पेश से सबूत मांगने चाहिए. वह सबूत दे, नहीं तो माफी मांगे.’ प्याज ने अपना छिलका उतारते हुए कहा.
‘हमें किसी तरह की राजनीति से दूर रहना चाहिए. बिहार में आलू का कनेक्शन लालू से जोड़ा जा रहा था, अब अल्पेश कुकुमुत्तई हो लिया है. हम सब्जियों की बेइज्जती खराब हो रही है नेताओं के साथ कनेक्ट होकर.’ भिंडी तुनककर बोली.
भिंडी के फिगर से ईर्ष्या खाये कटहल ने कहा- ‘भिंडी तेरा गठबंधन किसी के साथ न होता, तू किसी भी सब्जी में न मिलती. इसलिए तू जलती है. तू ईर्ष्यालु है.’
जैसी आशंका थी, बैठक में मशरूम समाज का कोई सदस्य नहीं पहुंचा. सिर्फ एक बयान ने उनका स्टेटस बदल दिया था. मशरूम को पता था कि उसकी दुकान चल निकलेगी और अब उसे किसी दूसरी सब्जी की मदद की दरकार नहीं.
सब्जियां सोच रही थीं कि क्या वक्त आ गया है कि सिर्फ एक बयान चाहे, तो इंसान हो या सब्जी उनके चरित्र से लेकर किस्मत तक सबको बदल सकता है!