विश्व बैंक ने कारोबारी सुगमता के बारे में अपनी सालाना रिपोर्ट में भारत को 190 देशों की सूची में 100वें स्थान पर रखा है. पिछले साल के मुकाबले सूची में भारत ने 30 पायदान की तरक्की की है.
वाणिज्यिक मोर्चे पर भारत के लिए यह एक अच्छी खबर है. पिछले साल भारत को इस रिपोर्ट में 130वां स्थान हासिल हुआ था. रिपोर्ट के आधार पर देश में सरकार की आलोचना में कहा गया था कि नोटबंदी के कारण कारोबार में आयी मुश्किल विश्व बैंक की सालाना रिपोर्ट से भी झांक रही है. ताजा रिपोर्ट में 30 पायदान की तरक्की से यह तर्क निश्चित ही कुंद होगा, क्योंकि इस रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल के मुकाबले भारत ने काराबोरी सुगमता की स्थितियां तैयार करने के ज्यादातर स्तरों पर बहुत तरक्की की है.
रिपोर्ट में कुल 10 सुधारों के आधार पर किसी देश की कारोबारी सुगमता के बारे में निर्णय लिया गया है और भारत के लिए इससे निकलनेवाली एक खुशखबरी यह भी है कि इनमें से आठ सुधारों के लिहाज से भारत को शीर्ष के देशों में रखा गया है.
सो, यह माना जा सकता है कि किसी उद्यम की शुरुआत करने, निर्माण-कार्य के लिए परमिट देने, कर्ज हासिल करने, संपदा के पंजीकरण करने या फिर टैक्स चुकाने के मामले में भारत के कारोबारी जगत के लिए स्थितियां पिछले साल के मुकाबले बहुत ज्यादा आसान हुई हैं. रिपोर्ट में भारत को किसी व्यवसाय के लिए कर्ज देने और संपदा का पंजीकरण कराने के मामले में होनेवाली आसानी के लिहाज से 29वें स्थान पर रखा गया है, जबकि व्यावसायिक जरूरत के लिए बिजली का कनेक्शन देने के मामले में 129वें स्थान पर.
लिहाजा, कुछ मामलों में भारत के लिए और भी ज्यादा तरक्की अपेक्षित है. रिपोर्ट में इसकी तरफ संकेत करते हुए उम्मीद जतायी गयी है कि सुधार के काम ऐसे ही जारी रहे, तो जल्दी ही भारत की रैंकिंग सुधर कर तीन अंकों के बजाय दो अंकों में आ जायेगी. सुगमता की स्थितियां तैयार करने के लिहाज से पिछले चार साल बहुत अहम रहे हैं. भारत ने 2003 से अब तक इस मामले में कुल 37 बड़े सुधार किये हैं, लेकिन इनमें से तकरीबन 50 फीसदी सुधार बीते चार सालों में हुए हैं.
इस सिलसिले में पिछले साल की अहमियत को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. कारोबारी सुगमता के मामले को व्यवसायी जगत में तूल पकड़ता देखकर सरकार ने पिछले साल विशेष उपाय किये थे. उद्यम की शुरुआत करने, निर्माण-कार्यों के लिए परमिट देने और दिवालिया होने की स्थितियों से निपटने के लिए विशेष उपाय किये गये.
अंतरराष्ट्रीय एवं आंतरिक स्तर पर अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल के माहौल में इन कोशिशों के नतीजे महत्वपूर्ण हैं. इन सकारात्मक परिणामों के मद्देनजर यह उम्मीद बंधती है कि गंभीरता और आत्मविश्वास के साथ सरकार और वाणिज्य जगत द्वारा सुधारों की कवायद जारी रहेगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा दिलाया है कि सरकार इस दिशा में जरूरी कदम उठाती रहेगी.