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पुलिस सुधार की पहल

केंद्र सरकार के द्वारा पुलिस विभाग के लिए अतिरिक्त 25 हजार करोड़ का आवंटन किया गया है. उसका स्वागत है, मगर उसे पुलिस सुधार की संज्ञा देना अनुचित है. केवल पैसा दे देने से कुछ नहीं होने वाला है, जबतक पुलिस को कार्यात्मक स्वायतत्ता नहीं दिया जाता. उसकी नियुक्ति, स्थानांतरण में राजनीतिक दखलंदाजी समाप्त नहीं […]

केंद्र सरकार के द्वारा पुलिस विभाग के लिए अतिरिक्त 25 हजार करोड़ का आवंटन किया गया है. उसका स्वागत है, मगर उसे पुलिस सुधार की संज्ञा देना अनुचित है.
केवल पैसा दे देने से कुछ नहीं होने वाला है, जबतक पुलिस को कार्यात्मक स्वायतत्ता नहीं दिया जाता. उसकी नियुक्ति, स्थानांतरण में राजनीतिक दखलंदाजी समाप्त नहीं किया जाता, तबतक पुलिस सही तरीके से काम कर ही नहीं पायेगी. अभी भी 1861 का अधिनियम को ढोया जा है.
जबकि खुद इंग्लैंड में भी ऐसा अधिनियम नहीं है. अगर केंद्र सरकार सचमुच सुधार चाहती है, उसे न्यायालय का आदेश को हूबहू मानना चाहिए. अगर समाज को सचमुच बदलना है, तो पुलिस के साथ साथ न्यायायिक एवं चुनावी सुधार को अविलंब लागू करना चाहिए.
जंग बहादुर सिंह, इमेल से

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