लोकसभा के आम चुनावों की घोषणा के बाद से अब तक वोटों को अपने पाले में खींचने के लिए राजनीतिक दल और उनके बड़े से लेकर छोटे राजनेता अपने-अपने स्तर से हर हथकंडे की आजमाइश करने में लगे हैं. ये राजनेता न हिंदू देखते हैं, न मुसलमान, न अमीर और न गरीब.
उन्हें इनसान के हर चेहरे में सिर्फ और सिर्फ वोट दिखता है, जिसके सहारे वे कुरसी हथियाना चाहते हैं और कुरसी पर चढ़ कर दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि ‘‘देखो, तुम्हारे कंधों पर पैर रख कर आज मैं इतना ऊपर हो गया हूं कि आसमान भी नीचे लगने लगा है. मैं चाहे जो कुछ भी करूं, तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते.’’ उफ्फ! तुच्छ मानसिकता के ये अधकचरे नेता, इनसान को वोट में सिकोड़ देने वाले राजनेता, इनसे किसी भी तरह की आशा रखना महामूर्खता है.
सतीश कुमार सिंह, ई-मेल से