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रोजगार की चिंता हो
आर्थिक मोर्चे पर कोई भी दावा बगैर पुख्ता आंकड़ों के संभव नहीं है, पर अपने देश में त्रासदी यह है कि आर्थिक मोर्चे पर आंकड़े इतने ज्यादा विरोधाभासी हैं कि उनकी विश्वसनीयता शक के घेरे में आ जाती है. विरोधाभासी आंकड़ों के आधार पर एक-दूसरे से उलट पड़ते दावे किये जाते हैं, फिर ऐसे दावों […]
आर्थिक मोर्चे पर कोई भी दावा बगैर पुख्ता आंकड़ों के संभव नहीं है, पर अपने देश में त्रासदी यह है कि आर्थिक मोर्चे पर आंकड़े इतने ज्यादा विरोधाभासी हैं कि उनकी विश्वसनीयता शक के घेरे में आ जाती है.
विरोधाभासी आंकड़ों के आधार पर एक-दूसरे से उलट पड़ते दावे किये जाते हैं, फिर ऐसे दावों की विश्वसनीयता पर बहस होने लगती है. केंद्र सरकार, विशेषकर एनडीए के प्रमुख घटक भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से दावा किया गया कि देश में भरपूर रोजगार सृजन हो रहा है. यह भी कहा गया कि सरकार ने माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनांस एजेंसी लिमिटेड (मुद्रा) के जरिये दो सालों में करीब सवा तीन करोड़ रुपये का कर्ज उद्यमियों को देकर 7.28 करोड़ लोगों को रोजगार दिया है. दो साल में सात करोड़ लोगों को रोजगार देने का अर्थ हुआ कि सरकार ने मांग की तुलना में तीन गुना ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा किये, क्योंकि हर साल लगभग 1.2 करोड़ लोगों की तादाद रोजगार मांगनेवालों में जुड़ जाती है.
लेकिन, सरकार के इस दावे की तुलना अगर श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के नये आंकड़ों से करें, तो एकदम अलग ही तस्वीर नजर आती है. नये आंकड़ों के मुताबिक, रोजगार कार्यालय में पंजीयन करानेवाले बहुत कम (0.57 फीसद) लोगों को 2015 में रोजगार हासिल हुआ है. अगर किसी रोजगार कार्यालय में 500 लोगों ने पंजीयन कराया, तो 2015 में रोजगार हासिल हुआ केवल तीन लोगों को. रोजगार कार्यालय नेशनल कैरियर सर्विस पोर्टल से जुड़े होते हैं. नौकरियों के लिए इस पोर्टल ने सरकारी और निजी क्षेत्र के 53 सेक्टर के करीब 3000 पेशों की पहचान की है और नौकरी खोजने तथा नौकरी देनेवालों के बीच किसी मध्यस्थ की तरह काम करता है.
नये आंकड़े बताते हैं कि 2015 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र में रोजगार कार्यालयों में नौकरी के लिए तकरीबन पौने तीन करोड़ लोगों की अर्जियां आयीं. यह कुल पंजीकरण का 60 फीसदी है, लेकिन रोजगार कार्यालयों के मार्फत नौकरी मिल पायी मात्र 27,600 लोगों को जो रोजगार कार्यालयों में हुए कुल पंजीकरण का मात्र 0.1 फीसदी है. जाहिर है, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के नये आंकड़े संकेत करते हैं कि रोजगार का सृजन पर्याप्त संख्या में नहीं हो रहा और नौजवानों की एक बड़ी तादाद कौशल के बावजूद रोजगार से वंचित है. अर्थशास्त्रियों का एक वर्ग बराबर ध्यान दिला रहा है देश में रोजगार-विहीन विकास की स्थिति जारी है. सरकार को चाहिए कि वह आंकड़ों के विरोधाभास की ओट करने की जगह रोजगार के मोर्चे पर तुरंत सही तसवीर पेश करे.
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