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भारतीय वायुसेना विमानों की कमी से जूझ रही है. अगर युद्ध दो मोर्चों पर लड़ना पड़े, तो कम-से-कम 42 लड़ाकू स्क्वाड्रनों की जरूरत होगी. लेकिन, फिलहाल वायुसेना जंगी जहाजों और पायलटों की ऐसी 32 इकाइयों से ही काम चला रही है. वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ की इस स्वीकारोक्ति को समझने के तात्कालिक दो संदर्भ […]

भारतीय वायुसेना विमानों की कमी से जूझ रही है. अगर युद्ध दो मोर्चों पर लड़ना पड़े, तो कम-से-कम 42 लड़ाकू स्क्वाड्रनों की जरूरत होगी. लेकिन, फिलहाल वायुसेना जंगी जहाजों और पायलटों की ऐसी 32 इकाइयों से ही काम चला रही है. वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ की इस स्वीकारोक्ति को समझने के तात्कालिक दो संदर्भ हो सकते हैं.

थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने चंद रोज पहले कहा था कि फौज को ढाई मोर्चे पर लड़ने के लिए तैयार रहना होगा. जाहिर है, उनका इशारा पाकिस्तान और चीन की ओर से दी जानेवाली दबिश को रोकने और कश्मीर घाटी में जारी हिंसा पर लगाम कसने से था. वायु सेनाध्यक्ष की बात जनरल रावत के बयान के अनुकूल है. फिलहाल वायुसेना की भूमिका थलसेना को सर्विलांस और इंटेलिजेंस इनपुट देने तक सीमित है. भारतीय वायुसेना नक्सली गतिविधियों तथा कश्मीर घाटी में हिंसा पर लगाम कसने के लिए अपनी भूमिका का सक्रिय निर्वाह करने को तत्पर है और इसी संदर्भ में एयरचीफ मार्शल को लग रहा है कि जंगी विमानों की कमी दूर की जानी चाहिए. वायुसेना प्रमुख के बयान को देखने का दूसरा संदर्भ प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा से तुरंत पहले का रक्षा मंत्रालय का एक फैसला हो सकता है.

रक्षा मंत्रालय ने अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी सिकोरस्की एयरक्राफ्ट से भारतीय नौसेना के लिए 6,500 करोड़ रुपये के 16 हेलीकॉप्टर खरीदने का करार किया था, परंतु अब इसे रद्द करने का फैसला किया गया है. बहुत संभव है, धनोआ का एक संकेत यह रहा हो कि रक्षा मंत्रालय जैसा राजनीतिक प्रतिष्ठान अपने फैसले लेने में सेना की जरूरतों के आकलन को प्राथमिकता दे, क्योंकि सेना सहायक साजो-सामान की कमी से जूझ रही है. वायुसेना प्रमुख की स्वीकारोक्ति से सैन्य साजो-सामान और सैनिकों तथा ऑफिसरों की कमी का सवाल एक बार फिर मुखर हुआ है. दो साल पहले सीएजी की रिपोर्ट सदन में पेश हुई, तो पता चला कि सेना के पास इतना ही गोला-बारूद बचा है कि 10 दिन के युद्ध में उसका 90 फीसद खत्म हो जाये.

जहां तक सैन्य अधिकारियों की संख्या का सवाल है, तो सरकार ने बीते अप्रैल में संसद में खुद कहा कि थल सेना में 7,986 और नौसेना में 1,256 अधिकारियों की कमी है, जबकि वायुसेना में जेसीओ स्तर के 13,614 अधिकारियों की फौरी जरूरत है. उम्मीद की जानी चाहिए कि ढाई मोर्चे पर हिफाजत की जरूरत को देखते हुए सरकार सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने पर फौरन ध्यान देगी, ताकि हमारी सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद हो सके.

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