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प्रेग्नेंसी में है पाइल्स की समस्या…तो करें ये उपाय

गर्भावस्था के दिनों में आमतौर पर महिलाओं को बवासीर की समस्या हो जाती है, क्योंकि इन दिनों में बेबी के पेट में आ जाने से महिला का मासिक चक्र गड़बड़ हो जाता है. इस कारण से कब्ज की समस्या हो जाती है, जो बवासीर का कारण है. यह समस्या विशेषकर गर्भावस्था के 17वें-18वें सप्ताह में […]

गर्भावस्था के दिनों में आमतौर पर महिलाओं को बवासीर की समस्या हो जाती है, क्योंकि इन दिनों में बेबी के पेट में आ जाने से महिला का मासिक चक्र गड़बड़ हो जाता है. इस कारण से कब्ज की समस्या हो जाती है, जो बवासीर का कारण है. यह समस्या विशेषकर गर्भावस्था के 17वें-18वें सप्ताह में शुरू होती है. शुरुआत में मल त्यागने में कठिनाई होती है. गुदा द्वार (anus) के आस-पास के एरिया में दर्द और खुजली होती है तथा मल त्यागते समय खून की बूंदें दिखायी दे सकती हैं. एनस के पास मस्से जैसे दानें बन जाते हैं. शुरुआत में कठोर सतह पर बैठने पड़ मलद्वार में चुभन महसूस होती है.
क्या है बवासीर?
जब गुदाद्वार के ऊतक किन्हीं कारणों से सूज जाते हैं, तो उनमें फैली हुई रक्त की नसें बढ़ने लगती हैं और झुंड के रूप में इकठ्ठा हो जाती हैं, जो संख्या में ज्यादा और सूजी हुई कोशिकाओं के कारण मस्से जैसे हो जाते हैं. इन मस्सों में खुजली भी होती है. इन्हीं मस्सों को बवासीर कहते हैं.
मल त्यागने की इच्छा न दबाएं
अगर मल त्याग की आवश्यकता महसूस हो रही हो, तो तुरंत जाएं. मल त्याग की स्वाभाविक जरूरत नहीं महसूस हो रही हो, तो दबाव न दें और लंबे समय तक लैट्रीन में न बैठें. अनावश्यक प्रेशर देने से बवासीर की समस्या बढ़ सकती है.
यदि बवासीर हो जाये, तो दिन में कई बार 10-15 मिनट के लिए कमर तक गुनगुने पानी में बैठें. इससे परेशानी में कमी आयेगी. बवासीर की समस्या हो, तो डॉक्टरी सलाह अवश्य लें, ताकि ब्लीडिंग आदि की समस्या न हो. अगर डॉक्टर कोई दवाई बताते हैं, तो उसे समय से खाएं. इससे आराम मिलेगा. पाइल्स की समस्या गुदा क्षेत्र की ठीक से साफ-सफाई न करने से भी हो सकती है. सफाई न करने से खुजली और इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है. इसलिए एनस के आस-पास के क्षेत्र को प्रतिदिन ठीक से सफाई अवश्य करें.
बातचीत : सौरभ चौबे
प्रेग्नेंसी में बवासीर होने का कारण
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय (यूट्रस) के साइज में वृद्धि होती है. यूट्रस के साइज में वृद्धि होने के कारण श्रोणि क्षेत्र (पेल्विक एरिया) में दबाव बढ़ जाता है, जिसके कारण रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है. इससे गुदा की दीवारों की नसें सूज कर फूल जाती हैं और उनमें खुजली होने लगती है. रक्त प्रवाह तेज होने की वजह से उनमें खून भी आ सकता है. कब्ज के कारण बवासीर में मस्से हो सकते हैं. यदि महिला को पहले से बवासीर हो, तो यह समस्या प्रेग्नेंसी की स्थिति में ज्यादा बढ़ सकती है.
बवासीर निबटने के उपाय : कुछ उपाय कर इसे आने से रोका जा सकता है और यदि समस्या होती है, तो उसे दूर किया जा सकता है.
– लिक्विड डायट लें. गर्भावस्था में कम-से-कम 10 गिलास पानी नियमित रूप से पीएं. पर्याप्त पानी से मेटाबॉल्जिम संतुलित रहता है.
– फाइबर युक्त भोजन कब्ज की समस्या नहीं होती, जिससे बवासीर होने की आशंका कम होती है.
– योग व स्ट्रेचिंग से गर्भावस्था में बवासीर की समस्या में आराम मिलता है. सांस संबंधी योग और व्यायाम करने से भी राहत मिलती है. प्रेग्नेंसी के दौरान श्रोणि क्षेत्र से संबंधित व्यायाम, जिसे केगेल एक्सरसाइज कहते हैं, करने से लाभ होता है, क्योंकि यह एक्सरसाइज गुदा क्षेत्र में ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करती है. सभी योग व व्यायाम विशेषज्ञ की देखरेख में करें, अन्यथा समस्या बढ़ सकती है.
– पेट में बच्चे की स्थिति अगर सही हो, तो कब्ज की समस्या नहीं होती. इसलिए आवश्यक है कि गर्भवती महिला स्थिर स्थिति में न रहे. वह ज्यादा देर तक खड़ी, बैठी या लेटी न रहे. थोड़ा टहलना, चलना-फिरना और लेटना आरामदायक होता है.

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