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अनिश्चितता के घेरे में पाकिस्तान

पाकिस्तान में जारी चुनावी सरगर्मी के बीच कट्टरपंथी और अराजक ताकतें जम्हूरियत की आड़ लेकर सत्ता पर काबिज होने की जुगत में हैं. राष्ट्रीय और प्रांतीय असेंबलियों के लिए अगले हफ्ते होने जा रहे चुनाव से पहले हुई आतंकी वारदातें और लोकतंत्र समर्थक सियासी दलों को परेशान करने के पीछे सेना और कुख्यात खुफिया एजेंसी […]

पाकिस्तान में जारी चुनावी सरगर्मी के बीच कट्टरपंथी और अराजक ताकतें जम्हूरियत की आड़ लेकर सत्ता पर काबिज होने की जुगत में हैं. राष्ट्रीय और प्रांतीय असेंबलियों के लिए अगले हफ्ते होने जा रहे चुनाव से पहले हुई आतंकी वारदातें और लोकतंत्र समर्थक सियासी दलों को परेशान करने के पीछे सेना और कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका अस्थिरता का अंदेशा पैदा कर रही हैं. पाकिस्तान की सियासी हलचल के िवभिन्न पहलुओं को रेखांिकत करते हुए प्रस्तुत है आज का इन-डेप्थ…
इमरान खान को बढ़त
सुशांत सरीन
टिप्पणीकार
सा फ-सुथरे चुनाव में अयोग्य घोषित होने और सजायाफ्ता होने के बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पहले स्थान पर आती. लेकिन इस बार के चुनाव चाहे जो हों, साफ-सुथरे तो नहीं होंगे. जैसे नेशनल एकाउंटिबिलिटी ब्यूरो ने सुनवाई शुरू होने से पहले ही शरीफ पर फैसला दे दिया है, वैसे ही मतदान से पहले ही 2018 के चुनावी नतीजे भी तय हो चुके हैं.
हालांकि नतीजे तो 26 जुलाई को दोपहर बाद ही पता चल सकेंगे, पर आम रुझानों का अनुमान लगाया जा सकता है. इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ कम-से-कम सबसे बड़ी पार्टी होगी और बिना ज्यादा मुश्किल के नेशनल एसेंबली में सामान्य बहुमत जुटा लेगी.
नवाज शरीफ की पार्टी दूसरे स्थान पर रहेगी, लेकिन न तो वह इस स्थिति में होगी और न ही उसे ऐसा करने दिया जायेगा कि वह इमरान खान और उनके संरक्षकों (पाकिस्तानी सेना) के राजनीतिक हिसाब-किताब को बिगाड़ सकें. संभावना है कि इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने के लिए नवाज शरीफ की पार्टी चुनाव के बाद टूट जाये.
निर्दलीय सदस्यों की संख्या तीसरी सबसे बड़ी संख्या होगी और सेना के निर्देश पर वे या तो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ में मिल जायेंगे या उसे समर्थन देंगे. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी चौथे स्थान पर रहेगी.
पांच धार्मिक पार्टियों का गठबंधन- मुत्तहिदा मजलिसे-अमल- तथा अन्य चरमपंथी पार्टियां- अल्लाहो-अकबर तहरीक (लश्करे-तय्यबा की छद्म कंपनी/ जमात-उद-दावा का राजनीतिक मंच), मिल्ली (या मिलिट्री) मुस्लिम लीग आदि कुछ सीटें जीत सकती हैं और ढेर सारा वोट पा सकती हैं, पर सरकार के गठन में इनकी कोई बड़ी भूमिका नहीं होगी. सेना द्वारा बनायी गयी बलूचिस्तान अवामी पार्टी या बलूचिस्तान नेशनल पार्टी, अवामी नेशनल पार्टी आदि छोटी और स्थानीय पार्टियों के खाते में बची-खुची सीटें जायेंगी.
(न्यूजलाउंड्री में छपे लेख का अंश)
एक-ितहाई वोटरों ने सेना के असर की जतायी आशंका
अपने 18,136 पाठकों के बीच ‘डान’ अखबार ने चार से नौ जुलाई के बीच रायशुमारी की थी. इस सर्वेक्षण में ज्यादातर लोग 18 से 44 साल उम्र के हैं और करीब आधे देश के सबसे बड़े प्रांत पंजाब से हैं. पाठकों में 20 फीसदी विदेशों में रहनेवाले पाकिस्तानी हैं. सर्वे के नतीजे 18 जुलाई को जारी किये गये हैं.
41.05 फीसदी का मानना है कि चुनाव साफ-सुथरे होंगे, जबकि 31.12 फीसदी ऐसा नहीं मानते.
66.73 फीसदी पाठक मतदान में हिस्सा लेंगे, 12.55 फीसदी ने अभी तय नहीं किया है और 11.99 फीसदी वोट नहीं डालेंगे.
59.13 फीसदी ने 2013 में तहरीके-इंसाफ को वोट दिया था.डान का कहना है कि इस आंकड़े में इमरान खान की पार्टी की बढ़तअखबार के वेबसाइट पर आनेवालेलोगों के बारे में भी सूचना देती है.
14.55 फीसदी तहरीके-इंसाफ के और 35.66 फीसदी मुस्लिम लीग (नवाज) के मतदाता इस बार दूसरी पार्टियों को वोट देंगे.
83.07 फीसदी तहरीके-इंसाफ के वोटर मानते हैं कि उनकी पार्टी जीतेगी. नवाज शरीफ की पार्टी के मतदाताओं के बीच यह आंकड़ा 52.65 फीसदी है. मतलब मुस्लिम लीग (नवाज) के कई वोटर भी मानते हैं कि इमरान खान की जीत होगी.
34.27 फीसदी मतदाता मानते हैं कि चुनाव पर सेना का बहुत असर होगा.
25.78 फीसदी का मानना है कि न्यायपालिका का बहुत असर पड़ेगा.
22.95 फीसदी मानते हैं कि पारंपरिक मीडिया का काफी असर रहेगा.
28.96 फीसदी की नजर में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका हो सकती है.
8.99 फीसदी मानते हैं कि धार्मिक संस्थाओं का व्यापक प्रभाव होगा.
12.68 फीसदी का आकलन है कि वैश्विक ताकतों असर डाल सकती हैं.
मैदान में सियासी पार्टियां
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज
नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएल-एन ने पिछले चुनाव में भारी जीत हासिल की थी. हालांकि, भ्रष्टाचार के आरोप के कारण नवाज चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराये जा चुके हैं. इस महीने के चुनाव में नवाज शरीफ व उनके भाई शहबाज शरीफ के सामने पार्टी के अस्तित्व को बचाने की चुनौती है.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ
क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई, पीएमएल-एन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. चुनाव प्रचार में यह पार्टी भ्रष्टाचार पर लगातार प्रहार करने के साथ ही शासन प्रणाली में सुधार के वादे भी कर रही है.अगर पीटीआई, पीएमएल-एन के गढ़ पंजाब प्रांत में ज्यादा सीटें जीतती है, तो वह नवाज शरीफ से सत्ता छीन सकती है.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी
अपनी स्थापना से लेकर अब तक पीपीपी कई बार सत्ता में रह चुकी है. वर्तमान में इस पार्टी के कर्ता-धर्ता बिलावल भुट्टो जरदारी व उनके पिता आसिफ अली जरदारी हैं. 29 वर्षीय बिलावल का यह पहला चुनाव प्रचार है.
अवामी नेशनल पार्टी
जातीय पश्तून नेशनलिस्ट पार्टी, एएनपी का अस्तित्व मुख्य रूप से पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में है. इस पार्टी का उद्देश्य यहां से पीटीआई सरकार को हटाना है. इसकी नीतियां प्रगतिशील व धर्म-निरपेक्ष है, लेकिन इसकी दिक्कत इस पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जो 2008 से 2013 के दौरान सत्ता में रहते हुए लगे थे.
मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट
लगभग तीन दशक तक एमक्यूएम कराची की अकेली राजनैतिक पार्टी थी. लेकिन अर्धसैनिक बलों द्वारा इस पार्टी को लक्ष्य कर किये गये ऑपरेशनों और शहर के आपराधिक तत्वों के साथ इसके कथित संबंध ने इस पार्टी को तीन भागों में तोड़ दिया. यही वजह है कि अपने घर को बचाने के लिए एमक्यूएम को आज पीटीअाई, पीपीपी, पाक सरजमीं पार्टी (पीएसपी) और अन्य के साथ लड़ाई लड़नी होगी.
मुत्ताहिदा मजलिस ए अमल
एमएमए अनेक दक्षिणपंथी पार्टियों, जैसे जमीयत-ए-उलेमा इस्लाम व जमीयत-ए-इस्लामी का अंब्रेला ग्रुप है. इस पार्टी का लक्ष्य खैबर पख्तूनख्वा प्रांत है, जहां यह 2002 की गठबंधन सरकार में शामिल थी.
पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी
मुख्य रूप से बलूचिस्तान में सक्रिय पश्तून राष्ट्रवादी पार्टी पीकेएमएपी पिछले प्रांतीय चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा रह चुकी है.
अवामी वर्कर्स पार्टी एडब्ल्यूपी एक वामपंथी पार्टी है और दूसरी प्रमुख पार्टियों के मुकाबले यह नयी और छोटी है.
निर्दलीय
इस चुनाव में कई निर्दलीय उम्मीदवार भी खड़े हैं और ज्यादातर वे हैं, जो पंजाब में पीएमएल-एन का साथ छोड़ चुके हैं और अब तक किसी दूसरी पार्टी का दामन नहीं थामा है. कुछ युवा उम्मीदवार भी हैं, जो मुख्यधारा से संबद्ध नहीं हैं, लेकिन फिर भी वे नेशनल एसेंबली के लिए चुनाव मैदान में हैं.
दो-तिहाई आबादी युवाओं की
64 फीसदी आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है इस देश में.
66.5 वर्ष जीवन संभाव्यता है पाकिस्तान में, जो दुनिया के पिछड़े देशों में गिना जाता है.
57 फीसदी के करीब है यहां की साक्षरता दर, जहां अधिकांश आबादी एक खास समुदाय की है.
7,96,096 वर्ग किलोमीटर है पाकिस्तान का भौगोलिक क्षेत्रफल.
अर्थव्यवस्था
278.913 बिलियन डॉलर रही है पाकिस्तान की जीडीपी वर्ष 2016 में.
5.5 फीसदी वृद्धि दर रही है जीडीपी में, वर्ष 2016 के दौरान.
120 पाकिस्तानी रुपया मूल्य है पाकिस्तान में एक अमेरिकी डॉलर का, यानी पाकिस्तान की मुद्रा की कीमत भारत से बहुत कम है.
महज डेढ़ फीसदी हिंदू आबादी
धर्म आबादी (फीसदी में)
मुस्लिम 96.28
ईसाई 1.59
हिंदू 1.6
अन्य 0.58

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