पुष्यमित्र
हाजीपुर : कहते हैं सिक्कों की खनखनाहट हर दुकानदार को प्यारी लगती है, क्योंकि सिक्कों के जरिये धन और समृद्धि आती है. मगर आप इन दिनों भूल से भी वैशाली के किसी दुकानदार के पास सिक्के लेकर न जायें. वह सीधे सामान बेचने से इनकार कर देगा. और कहीं आपने कानून का हवाला दिया तो बहुत मुमकिन है वह आपसे झगड़ बैठे. पिछले कुछ महीने से वैशाली में यह अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गयी है, जहां कोई व्यापारी आपसे सिक्का लेने के लिए तैयार नहीं है. वह इसलिए कि यहां के बैंक उससे सिक्का लेने के लिए तैयार नहीं हैं और बैंकों की इस हालत की वजह यह बतायी जा रही है कि उसके चेस्ट हजार और पांच सौ के नोट भरे हैं, वहां इन्हें रखने की जगह नहीं है.
दुकानों में डंप हो रहे हैं नोटबंदी के दौर में बैंकों द्वारा बांटे गये सिक्के
इसके अलावा कोई बैंक कर्मी इन सिक्कों को गिनने के लिए तैयार भी नहीं है. दिलचस्प बात यह है कि इन्हीं बैंकों ने नोटबंदी के दौर में सिक्के बांट कर बाजार को सिक्कों से भर दिया है. नतीजन वैशाली जिले में हर हफ्ते कहीं न कहीं सिक्कों के मसले पर धरना-प्रदर्शन हो रहा है, थाने में एफआइआर किये जा रहे हैं, डीएम के पास आवेदन दिये जा रहे हैं.
हर हफ्ते हो रहे हैं धरना-प्रदर्शन, एफआइआर तक की नौबत
इसी शुक्रवार को हाजीपुर शहर में युवा जनशक्ति नामक एक संगठन ने इस मुद्दे पर आक्रोश मार्च किया और जिला प्रशासन से मांग की कि एक हेल्प लाइन नंबर जारी किया जाये. ताकि अगर कोई दुकानदार या बैंक वाला आम लोगों से सिक्का लेने से इनकार करे तो वहां शिकायत की जा सके. संगठन के अध्यक्ष धीरज राय कहते हैं, अग्रणी बैंक और जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद न तो दुकानदार और न ही बैंक वाला सिक्का लेने के लिए तैयार है. प्रशासन के आदेश का मखौल उड़ रहा है. इसके अलावा जगह-जगह एक और दो रुपये के सिक्के के बंद होने की अफवाह भी उड़ रही है. इसका समाधान तो प्रशासन ही कर सकता है. मगर उधर से कोई प्रयास नहीं हो रहा.
बैंक वापस लेने के लिए तैयार नहीं, दुकानदार परेशान
वहीं, शहर के रामनिवास-रामवल्लभ पेट्रोल पंप के मालिक कृष्ण कुमार बबूना ने 19 जून को लिखित आवेदन देकर डीएम से मांग की है कि उनके सिक्कों को बैंक में जमा करवाया जाये. आवेदन के मुताबिक उनके पास 30 लाख रुपये से अधिक के सिक्के जमा हो गये हैं. और उनके बैक एसबीआइ, एचडीएफसी बैंक और आइडीबीआइ बैंक तीनों सिक्के लेने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में उनका व्यापार ठप पड़ गया है. पंप के मैनेजर कहते हैं कि बैंक वालों पर दबाव डालने पर वे अपना चेस्ट दिखा देते हैं, कहते हैं कि यहां पहले से हजार और पांच सौ के पुराने नोट रखे हैं. सिक्कों को कहां रखें.
हर कोई अपने सिक्के को खपाने की कोशिश में
हाजीपुर के गुदरी बाजार के एक गल्ला व्यवसायी गणेश कहते हैं, कि सारी समस्या बैंकों से ही शुरू हुई है. जब नोटबंदी हुई तो बैंकों ने लोगों को सिक्कों से भुगतान करना शुरू कर दिया. उस वक्त थोड़े विरोध के बाद अमूमन लोगों ने सिक्के ले लिये क्योंकि कोई चारा नहीं था. ऐसे में लोगों के पास में सिक्कों की भरमार हो गयी है. हर किसी के पास पांच-छह सौ के सिक्के तो जरूर हैं. हर कोई अपने सिक्के को खपाने की कोशिश में है. ग्राहक दुकानदार को सिक्के देने की कोशिश करता है. वह सामान तौलवा लेता है, कपड़े कटवा लेता है. फिर बताता है कि मेरे पास सिक्के हैं. अब दुकानदार की विवशता है कि वह सिक्के ले तो ले, मगर आगे इनका क्या करे. बैंक ले नहीं रहे. ऐसे में अब हर दुकानदार सामान बेचने से पहले पूछने लगा है कि सिक्के तो नहीं हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति और विस्फोटक
ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति और विस्फोटक है. 12 जून को महुआ में कुछ स्कूली छात्रों ने पुलिस थाना में इस बात को लेकर शिकायत कर दी कि सुधा पार्लर वाला सिक्के लेने से इनकार कर रहा है. 1 जून को महनार में लोगों ने इस मसले को लेकर स्टेशन रोड जाम कर दिया. बाद में पुलिस के इस आश्वासन पर जाम हटाया गया कि वह माइकिंग के जरिये दुकानदारों को बतायेगी कि सिक्कों को नहीं स्वीकार करना गैरकानूनी है. 17 जून को राजापाकर के बेलकुंडा चौक पर लोगों ने दो घंटे जाम लगा कर आगजनी की और विरोध प्रदर्शन किया.
सिक्कों की गिनती भी एक समस्या
इन घटनाओं और आवेदनों का संज्ञान लेते हुए डीएम ने यहां के अग्रणी बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से पूछताछ की. इसके बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि 1,2,5 और 10 रुपये के सिक्के आरबीआइ के निर्देशानुसार वैध हैं और कोई दुकानदार या बैंक इसे लेने से इनकार नहीं कर सकता. बैंकों में भी कहा जाने लगा कि वे सिक्के लेते हैं. मगर यह मसला बातों तक सीमित रहा, व्यवहार रूप नहीं ले सका. सिक्कों की गिनती भी एक समस्या है. यहां किसी बैंक के पास क्वाइन डिस्पेंसिंग मशीन नहीं है. खबर है कि एचडीएफसी बैंक ने यह मशीन मंगवाई है. मगर अभी तक वह इंस्टाल नहीं हो पायी है.
कुल मिलाकर परेशानी का सबब बन गये हैं सिक्के
सरकारी आदेश के बाद स्थिति और बिगड़ी गयी. अब अगर दुकानदार सिक्के लेने से मना करे तो ग्राहक झगड़ बैठता है. मगर दुकानदार बैंक वालों से झगड़ नहीं पाता. कई बार सिक्के जमा करने बैंक पहुंचे व्यक्ति को उसकी कतार में पीछे खड़ा व्यक्ति ही हूट करने लगता है. कुल मिलाकर सिक्के परेशानी का सबब बन गये हैं. दुकानदार सिक्कों के बदले उधार देने को तैयार हैं. खरीदार सिक्के खपाने में जुटा है. बैंक वाले हाथ खड़ा कर दे रहे हैं. पूरा वैशाली जिला इन्हीं परेशानियों से जूझ रहा है. दुकानदार कहते हैं, अब एक ही उपाय है कि बैंक वाले कैंप लगाकर सारे सिक्के वापस ले लें, अगर यह जल्द नहीं हुआ तो कारोबार करना मुश्किल हो जायेगा.