वाशिंगटन : अमेरिकी सरकार एच-1बी वीजा नीति में बदलाव के लिए नया प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है. इसके जरिये एच-1बी वीजा के तहत आने वाले रोजगार और विशेष व्यवसायों या पेशों की परिभाषा को ‘संशोधित’ करने की योजना है. अमेरिका के इस कदम से भारत की आइटी (सूचना प्रौद्योगिकी) कंपनियों पर व्यापक असर पड़ेगा.
भारतीय मूल के अमेरिकियों के स्वामित्व वाली छोटी तथा मध्यम आकार की कंपनियां भी इससे प्रभावित होंगी.
एच-1बी वीजा भारतीय आइटी पेशेवरों के बीच खासा लोकप्रिय है. यह एक गैर-प्रवासी वीजा है, जो कि अमेरिकी कंपनियों को कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में विदेशी कर्मचारियों की भर्ती की अनुमति देता है.
प्रौद्योगिकी कंपनियां चीन और भारत जैसे देशों से कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं. अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआइएस) इस संबंध में जनवरी, 2019 तक नया प्रस्ताव लाने की योजना बना रही है.
इसका उद्देश्य ‘विशेष व्यवसाय की परिभाषा को संशोधित करना है’, ताकि एच-1बी वीजा कार्यक्रम के माध्यम से बेहतर और प्रतिभाशाली विदेशी नागरिकों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके.
डीएचएस ने कहा कि वह अमेरिकी कामगारों और उनके वेतन-भत्तों के हितों को ध्यान में रखते हुए ‘रोजगार और नियोक्ता-कर्मचारी संबंध की परिभाषा’ को भी संशोधित करेगा.
अमेरिकी सरकार ने कहा कि एच-1बी वीजा धारकों को नियोक्ताओं से उचित वेतन सुनिश्चित करने के लिए गृह सुरक्षा विभाग और भी कदम उठायेगा.
विभाग ने दोहराया कि वह एच-1बी वीजी धारकों के जीवनसाथी को जारी होने वाले एच-4 वीजा के कुछ नियमों को हटाने का भी प्रस्ताव कर रहा है. मौजूदा वीजा नियमों के तहत एच-4 वीजा धारकों को अमेरिका में काम करने की अनुमति है.