ह्यूस्टन (अमेरिका) : जानी-मानी पत्रिका ‘साइंस एडवांसेज’ में प्रकाशित एक नये अध्ययन में आशंका जतायी गयी है कि दुनिया भर में गेहूं का उत्पादन करने वाले 60 प्रतिशत इलाकों में सदी के अंत तक सूखे की लगातार, गंभीर एवं दीर्घकालिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है. अध्ययन के अनुसार, गेहूं वर्षा आधारित फसल है, जो मानव द्वारा ली जाने वाली सभी कैलोरियों का करीब 20 प्रतिशत मुहैया कराता है.
शोध में अमेरिका में अर्कंसास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता शामिल हैं. उन्होंने कहा कि अगर वैश्विक औसत तापमान पूर्व औद्योगिक स्तरों से दो डिग्री अधिक के अंदर रहता है, तो 30 प्रतिशत तक वैश्विक गेहूं उत्पादक क्षेत्र में निरंतर सूखे की समस्या रह सकती है. पेरिस जलवायु समझौते में वैश्विक तापमान में दो डिग्री की कटौती का लक्ष्य रखा गया है.
अध्ययन के अनुसार, अगर वर्तमान मौसमी हालात ऐसे ही बने रहे, तो मौजूदा गेहूं उत्पादक इलाकों का 15 प्रतिशत हिस्सा सूखे से प्रभावित हो सकता है. हालांकि, अध्ययन में कहा गया है कि अगर जलवायु संकट का समाधान नहीं किया जाता है, तो 60 प्रतिशत तक मौजूदा गेहूं उत्पादक इलाकों में इस सदी के अंत तक ऐसी ही सूखे की समस्या का सामना करना पड़ेगा.
अर्कंसास यूनिवर्सिटी से अध्ययन के दूसरे लेखक सॉन्ग फेंग ने कहा, ‘अध्ययन यह साफ सुझाव देता है कि जलवायु परिवर्तन से खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा.’ फेंग ने कहा कि सूखे के ऐसे हालात से वैश्विक खाद्य उत्पादन प्रणाली प्रभावित होगी.