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महा शिवरात्रि आज, तैयारी पूरी, आकर्षक ढंग से सभी शिवालय सजधज कर तैयार

सुपौल : महा शिवरात्रि को लेकर जिले के शिवालय में पुर्जा अर्चना को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. मंदिरों का रंग-रोगन व अन्य कार्य पूरा कर लिया गया है. सदर प्रखंड के सुखपुर स्थित तिल्हेश्वर महादेव मंदिर एवं कपिलेश्वरनाथ महादेव मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना […]

सुपौल : महा शिवरात्रि को लेकर जिले के शिवालय में पुर्जा अर्चना को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. मंदिरों का रंग-रोगन व अन्य कार्य पूरा कर लिया गया है. सदर प्रखंड के सुखपुर स्थित तिल्हेश्वर महादेव मंदिर एवं कपिलेश्वरनाथ महादेव मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना में किसी प्रकार की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़े. इसके लिए मंदिर कमेटी द्वारा श्रद्धालुओं के लिए खास प्रबंध किया गया है.

तिलहेश्वर मंदिर न्यास समिति के सचिव अरुण कुमार मुन्ना झा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार शिवरात्रि के दिन बेहद खास माना गया है. इस दिन भक्त भोलेनाथ की पूजा और व्रत करते हैं. शिवपुराण के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महा शिवरात्रि कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं.
शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन ज्योतिष उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां खत्म हो सकती है. सचिव श्री मुन्ना ने बताया कि महाशिवरात्रि 21 फरवरी को शाम के 5 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी कि 22 फरवरी शनिवार को शाम सात बजकर 02 मिनट तक रहेगी.
रात्रि प्रहर की पूजा शाम को 06 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी. अगले दिन सुबह मंदिरों में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाएगी. भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होकर उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं.
117 वर्षों के बाद महा शिवरात्रि का शुभ योग
राघोपुर. महाशिवरात्रि पर्व को लेकर प्रखंड क्षेत्र स्थित धरहरा भीमशंकर महादेव मंदिर को बड़े ही भव्य तरीके से सजाया गया है. जिसके लिए एक सप्ताह पूर्व से ही तैयारी शुरू कर दी गई थी. जानकारी देते मंदिर कमेटी के सचिव संजीव कुमार यादव ने बताया कि महा शिवरात्रि को लेकर पूरे परिसर का रंगाई पुताई के साथ-साथ साफ सफाई की गयी है.
साथ ही सुरक्षा हेतु परिसर को सीसीटीवी के साथ बैरिकेटिंग भी की गयी है. बताया कि श्रद्धालुओं के अपार भीड़ की संभावना को देखते हुए मंदिर परिसर में चाक चौबंद व्यवस्था की गयी है.
वहीं महाशिवरात्रि के महात्म्य पर प्रकाश डालते त्रिलोकधाम गोसपुर निवासी पंडित आचार्य धर्मेन्द्र नाथ मिश्र ने बताया कि माघ मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की महानिशा में आदिदेव महादेव कोटि सूर्य के समान दीप्ति संपन्न होकर शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे. इसलिए शिवरात्रि व्रत में उसी महानिशा व्यापिनी चतुर्दशी का ग्रहण करना चाहिए.
शिवरात्रि व्रत का महात्म्य समझाते हुए आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि शिवरात्रि के अनुष्ठान में शास्त्रों का गूढ़ उद्देश्य निहित है. माघ मास की कृष्ण चतुर्दशी बहुधा फाल्गुन मास में आमवस्या मास की दृष्टि से माघ कहा गया है.
जहां कृष्ण पक्ष में मास का आरम्भ और पूर्णिमा पर उसकी समाप्ति होती है, उसी के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी में यह महा शिवरात्रि का व्रत होता है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी यानि शुक्रवार को है. इस वर्ष महा शिवरात्रि का शुभ योग 117 वर्षों बाद शनि एवं शुक्र अपनी उच्च राशि में रहने से यह एक दुर्लभ योग साबित हुआ है.
जिससे भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी. इस बार की शिव रात्रि में धर्म एवं नियम पूर्वक शिव पूजन एवं उपवास करने से भक्तों को शनि, शुक्र के साथ-साथ गुरु के दशा से मुक्ति मिल जायेगी. यह योग का मिलन इससे पूर्व 1903 ई. में हुआ था. आचार्य ने बताया कि इसी दिन भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था. इसी दिन भगवान शिव संग माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था.
साथ ही आज ही के दिन रावणेश्वर, वैद्यनाथ संग सिंहेश्वर नाथ की स्थापना हुई थी. इस विराट भारतवर्ष में बहुतों लोग यथाविधि पूजादि न करते हुए भी शिवरात्रि का उपवास करते हैं. जिनकी उपवास में भी रूचि नहीं होती वे कम से कम रात्रि जागरण करके ही इस व्रत के पुण्य का कुछ भाग प्राप्त कर सकते हैं.
आचार्य ने कहा कि शिव पूजा एवं शिवरात्रि व्रत में थोड़ा अंतर है. जीवन में जो वर्णीय है. बार-बार अनुष्ठान के माध्यम से मन, कर्म व वचन से जो प्राप्त करने योग्य है वही व्रत है. इसी कारण प्रत्येक व्रत के साथ कोई-न-कोई कथा या आख्यान जुड़ा रहता है.
शिवरात्रि की पूजन विधि के बारे में बताते हुए आचार्य ने कहा कि रात्रि के प्रथम पहर में दुग्ध से शिव की ईशान मूर्ति को, दूसरे पहर में दही से अघोर मूर्ति को, तृतीय पहर में घी से वामदेव मूर्ति को एवं चतुर्थ पहर में मधु से सधोजात मूर्ति को स्नान कराकर उनका पूजन करना चाहिए.
उन्होंने बताया कि शिवरात्रि व्रत में उपवास ही प्रधान अंग है. 21 फरवरी शुक्रवार को प्रदोष काल 7:13 मिनट से पूरी रात्रि शिव पूजन, अभिषेक, पूजा-अर्चना आदि करें. अगले दिन यानि शनिवार को शिवलिंग पर जलढरी कर शिव दर्शन करें. शिवरात्रि को लेकर भक्तों को भारी उत्साह देखने को मिल रहा है.
शिवलिंग स्थापना को ले निकली कलश यात्रा
करजाईन. मोतीपुर पंचायत के हरिपुर वार्ड नंबर 14 में शिवलिंग स्थापना के लिए गुरुवार को 211 श्रद्धालु ने वेद मंत्रोच्चार के बीच कलश यात्रा निकाली. नवनिर्मित मंदिर परिसर से कलश यात्रा निकल कर हरिपुर, बेरदह, फकीरना स्थित अन्य टोले का भ्रमण करते हुए गम्हरिया उपशाखा नहर पहुंची.
जहां कोशी नदी का जल भरकर श्रद्धालु फिर से मंदिर पहुंचे. जहां विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की गयी. मौके पर कपिलेश्वर साह, नरेंद्र साह, शिवचंद्र साह, कुशेश्वर साह, सुरेंद्र साह, नथनी साह, नरेश साह, देबू साह, दिनेश साह सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.

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