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निर्मल महतो के हत्यारे

-हरिवंश- झारखंड मुक्ति मोरचा (झामुमो) के चर्चित नेता निर्मल महतो की हत्या वर्ष की सबसे सनसनीखेज घटना थी. इस हत्याकांड के बाद छोटानागपुर में महीनों तक दहशत रही. इस घटना के संदर्भ में अनेक चर्चित लोगों के नाम अखबारों की सुर्खियों में उछले. इस हत्याकांड के दौरान जख्मी हुए निर्मल महतो के साथी और विधायक […]

-हरिवंश-

झारखंड मुक्ति मोरचा (झामुमो) के चर्चित नेता निर्मल महतो की हत्या वर्ष की सबसे सनसनीखेज घटना थी. इस हत्याकांड के बाद छोटानागपुर में महीनों तक दहशत रही. इस घटना के संदर्भ में अनेक चर्चित लोगों के नाम अखबारों की सुर्खियों में उछले. इस हत्याकांड के दौरान जख्मी हुए निर्मल महतो के साथी और विधायक सूरज मंडल ने इसका संबंध तत्कालीन सिंचाई मंत्री (बिहार सरकार) रामाश्रयप्रसाद सिंह से जोड़ा.

उनका आरोप था कि इस हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त बीरेंद्र सिंह, रामाश्रयप्रसाद सिंह का आदमी है. रांची के पूर्व विधायक ज्ञानरंजन, जो हत्या के समय घटनास्थल पर मौजूद थे, पर भी संदेह की अंगुली उठायी गयी. झारखंड समर्थक कुछ युवा नेताओं ने दलील दी कि निर्मल महतो बड़ी तेजी से उभर रहे थे. इस कारण झामुमो के उनके कुछ खास मित्रों ने ही उन्हें रास्ते से हटाने का षडयंत्र रचा. ऐसे लोगों ने झामुमो के कुछ नेताओं की भूमिका की नुक्ताचीनी की. इस हत्याकांड ने छोटानागपुर की राजनीति को गहराई से प्रभावित किया.

निर्मल महतो झामुमो के मशहूर नेता और जुझारू इंसान थे. ‘झारखंड’ की लड़ाई तेज करने के लिए उन्होंने क्रांतिरथ बनवाने का काम शुरू किया था. झारखंड राज्य का सपना साकार करने के लिए वह नये सिरे से आंदोलन चलाने की कोशिश कर रहे थे. इस बीच 8 अगस्त 1987 को टिस्को गेट हाउस के बाहर अनेक लोगों की मौजूदगी में दिनदहाड़े उनकी हत्या कर दी गयी. उनकी शवयात्रा में लगभग एक लाख लोग शरीक हुए. छोटानागपुर में ऐतिहासिक बंद रहा. जमशेदपुर में भी तीन दिनों तक चक्का जाम रहा. पुलिस ने जब जांच कार्य प्रारंभ किया, तो स्थानीय नेताओं, निर्मल महतो के साथियों और झामुमो ने इसका प्रतिवाद किया. इन लोगों की दलील थी कि चूंकि इस घटना से अनेक प्रभावी लोगों के नाम जोड़े जा रहे हैं, अत: राज्यस्तर पर इनकी निष्पक्ष जांच संभव नहीं है. जन दबाव और झामुमो की मांग के अनुरूप बिहार सरकार ने इस घटना को जांच का भार केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को सौंप दिया. हाल में (5.6.1989) सीबीआइ ने इस घटना की जांच रिपोर्ट (आरसी 3/87-एसआइयू II/एसआइसी I नयी दिल्ली) सरकार को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में घटना की पूरी पृष्ठभूमि और जांच निष्कर्ष दिये गये हैं.
इस घटना के तत्काल बाद जमशेदपुर स्थित बिष्टुपुर पुलिस स्टेशन में झामुमो विधायक सूरज मंडल ने ‘फर्द बयान’ दर्ज कराया (संख्या 169/87, दिनांक 8.8.87). इस घटना के अभियुक्त बनाये गये बीरेंद्र सिंह, धीरेंद्र सिंह उर्फ पप्पू, अखिलेश्वर सिंह, नरेंद्र सिंह पंडित और मोहम्मद अख्तर हुसैन. सीबीआइ ने जांच रपट में निष्कर्ष पाया कि अभियुक्त (नंबर एक) बीरेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह पंडित (अभियुक्त नंबर-दो) और धीरेंद्र सिंह उर्फ पप्पू (अभियुक्त नंबर-तीन) सगे भाई हैं. निर्मल महतो और उसके सहयोगियों ने वीरेंद्र सिंह पर जमशेदपुर के सोनारी मुहल्ले में 8.11.1986 को जानलेवा हमला किया था. इस हमले के बाद बीरेंद्र सिंह के पेट में गोली लगी.

उसे इलाज के लिए अस्पताल में दाखिल कराया गया (पुलिस केस संख्या 69/86, दिनांक 8.11.86). इस घटना के संदर्भ में स्थानीय पुलिस थाने में मृतक निर्मल महतो और उसके सहयोगियों के खिलाफ 30.8.1987 को चार्जशीट सौंप दिया. इस घटना की सुनवाई जारी है. 6.1.1987 को निर्मल महतो और अभियुक्त बीरेंद्र सिंह ने बिष्टुपुर पुलिस थाने में एक-दूसरे के खिलाफ रपट दर्ज करायी और दोनों ने ही कहा कि उन्हें एक-दूसरे से जान को खतरा है. इस संदर्भ में पुलिस थाने ने अपनी डायरी (संख्या 164/87, दिनांक 6.1.1987) में उल्लेख किया कि बीरेंद्र सिंह अपराधी है और वह निर्मल महतो को खत्म करने पर तुला है.


7.8.1987 को सूरज मंडल, ज्ञानरंजन, निर्मल महतो, बाबूलाल सोइन और शिवाजी राव रांची से जमशेदपुर आये. ये लोग चमरिया अतिथि गृह के कमरा नंबर एक और दो में ठहरे. ये लोग जमशेदपुर में अपने मित्र अवतार सिंह तारी की मां की मृत्यु के बाद आयोजित श्राद्ध समारोह में शरीक होने आये थे. ये सभी तारी के मित्र थे. जांच के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि ज्ञानरंजन रांची से आठ अगस्त को जमशेदपुर आनेवाले थे, लेकिन सूरज मंडल, निर्मल महतो सात अगस्त को ही रांची पहुंचे.

ज्ञानरंजन से इन लोगों की गहरी मित्रता थी. बाद में इन लोगों ने उन्हें साथ चलने के लिए तैयार किया. रांची से आते वक्त ये लोग चांडिल में ठहरे. वहां पुलिस स्टेशन के इंचार्ज ने इन्हें चाय पिलायी. पहले दिन लोगों को एक ही कमरा मिला. दूसरे दिन सुबह दूसरा कमरा उपलब्ध हुआ. इससे स्पष्ट होता है कि यह कार्यक्रम पूर्व नियोजित नहीं था. 8.8.1987 को एन. के. सिंह, सुनील बरन बनर्जी (प्रेस संवाददाता), इंदर कुमार चौधरी, निर्मल भट्टाचार्य, सुरेश खेतान, सुरेंद्र लाला, विजय कुमार श्रीवास्तव, श्रीमती रजनी सिंह, सुनील सिंह, शंकर सिंह, धनंजय महतो, आठ बजे सुबह से ही ज्ञान रंजन, सूरज मंडल और निर्मल महतो से मिलने पहुंचने लगे.


इस बीच अखिलेश्वर सिंह की कार बीरेंद्र सिंह के घर सोनारी गयी. इस गाड़ी को मोहम्मद अख्तर हुसैन चला रहे थे. इसी गाड़ी में अभियुक्त बीरेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह पंडित और अखिलेश्वर सिंह सोनारी से रवाना हुए. ये लोग 11.30 बजे चमरिया अतिथिगृह पहुंचे. बाद में नरेंद्र सिंह पंडित ने गाड़ी की चाबी ले ली और अकेले कहीं चला गया. कुछ ही समय बाद वह पुन: अतिथिगृह अपने भाई धीरेंद्र सिंह उर्फ पप्पू और अन्य लोगों के साथ लौटा. ये लोग गाड़ी से उतरे. गाड़ी से उतरने ही नरेंद्र सिंह पंडित अपने भाई बीरेंद्र सिंह से मिलने चमरिया अतिथिगृह में चला गया.

धीरेंद्र सिंह उर्फ पप्पू पास में ही खड़ी एक मोटरसाइकिल के पास जाकर प्रतीक्षा करने लगा. करीब 11.45 पर (8.8.1987) निर्मल महतो, सूरज मंडल, एन. के. सिंह, सुनील बरन बनर्जी, आइ. के. चौधरी, निर्मल भट्टाचार्य, सुरेंद्र लाला, सुरेश खेतान, धनंजय महतो, विजय कुमार श्रीवास्तव आदि अतिथिगृह से बाहर आये. शंकर सिंह और सुनील सिंह भी बाहर निकले. सूरज मंडल ने आइ. के. चौधरी से ज्ञान रंजन को बुलाने के लिए कहा, क्योंकि तारी के घर जाने में विलंब हो रहा था. चमरिया अतिथिगृह आते ही अभियुक्त नंबर दो अंदर गया और तत्काल अपने भाई बीरेंद्र सिंह के साथ बाहर आया. बीरेंद्र सिंह ने बाहर आते ही पंडित को कहा, ‘दोनों जने तड़तड़ा दो.’ इस बीच ज्ञानरंजन और आइ. के. चौधरी अतिथिगृह से बाहर आ चुके थे.

अभियुक्त पंडित, पप्पू और बीरेंद्र सिंह अतिथिगृह के एक कोने में खड़े निर्मल महतो पर टूट पड़े. बिल्कुल पास से बीरेंद्र सिंह ने निर्मल महतो पर गोली चला दी. निर्मल महतो के पास सूरज मंडल को भी गोली लगी. अपने-अपने देशी कट्टे से पंडित और पप्पू ने भी निर्मल महतो पर गोली दागी. इसके बाद निर्मल महतो तत्काल पोर्टिको की सीढ़ियों पर गिर पड़े. उनके गिरते ही सभी अभियुक्त भाग निकले. अखिलेश्वर सिंह ने अपनी कार (संख्या डीइए 2455) से फरार होना चाहा, लेकिन सुनील सिंह और दूसरों ने उसे ललकारा.

बाद में अखिलेश्वर और उसके कार चालक मोहम्मद अख्तर हुसैन भी निकल भागे. इस घटना के चश्मदीद गवाह बनाये गये हैं, ज्ञान रंजन, सुनील सिंह, सूरज मंडल, शंकर सिंह, निर्मल भट्टाचार्य, एन. के. सिंह, सुनील बरन बनर्जी, आइ. के. चौधरी, धनंजय महतो, सुरेश खेतान, श्रीमती रजनी सिंह, विजय कुमार श्रीवास्तव, सुरेंद्र लाला, अखिलेश्वर सिंह और मोहम्मद अख्तर हुसैन.


यह घटना इतनी अचानक हुई कि वहां उपस्थित सभी लोग स्तब्ध रह गये. बाद में ज्ञानरंजन ने अतिथिगृह के परिचारक एमवी रमन को पुलिस को इस घटना से इत्तिला देने के लिए कहा. श्री रमन की सूचना पाते ही पुलिस तत्काल वहां पहुंची. इसके बाद निर्मल महतो को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. सूरज मंडल भी गोली लगने से आहत हो चुके थे. उपचार के लिए उन्हें वहीं दाखिल कर लिया गया. पुलिस ने वहीं उनका बयान रेकॉर्ड किया. इसके बाद शव का अंत्य-परीक्षण किया गया. खून की जांच हुई. पाया गया कि गोली लगने से निर्मल महतो की मृत्यु हुई.
इस घटना के तुरंत बाद बीरेंद्र सिंह जमशेदपुर से फरार हो गया. अभियुक्त नरेंद्र सिंह पंडित और अभियुक्त धीरेंद्र सिंह उर्फ पप्पू गिरफ्तार नहीं किये जा सके. अभी तक ये दोनों फरार हैं. एक विश्वस्त सूचना के अनुसार बिहार सरकार की लापरवाही के कारण ये दोनों अभियुक्त फरार रहने से कामयाब हैं. अज्ञात कारणों से स्थानीय पुलिस सीबीआइ को यथेष्ट मदद नहीं कर रही है. सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारियों ने बिहार सरकार को यह भी सूचित किया कि गवाहों की पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाये, लेकिन सरकार टालमटोल करती आ रही है. अब तक सरकार गवाहों को सुरक्षा मुहैया नहीं करा सकी है, जबकि इस घटना के दो प्रमुख अभियुक्त फरार हैं.
जांच के दौरान यह तथ्य भी उभर कर सामने आया कि मुख्य अभियुक्त वीरेंद्र सिंह ने चमरिया अतिथिगृह में ही सुरेश खेतान ने कहा, ‘आज दोनों गुंडा भेंटा गये हैं. फैसला आज ही कर देते हैं.’ इस घटना के बाद बीरेंद्र सिंह एक दूसरे व्यक्ति के साथ दोपहर एक बजे मगन बहादुर सिंह के पेट्रोल पंप ‘केयर-केयर सेंटर’ पहुंचा. वहां उसने पेट्रोल पंप के मालिक मगन बहादुर को बताया कि ‘निर्मल महतो का मर्डर हो गया. साले को खत्म कर दिया है.’ अभियुक्त बीरेंद्र सिंह और अभियुक्त नरेंद्र सिंह पंडित सोनारी पुलिस थाने और जुगसलाई पुलिस स्टेशन के कुख्यात अपराधी हैं. धारा 392, 393, 394, 395, 396 और 307 के तहत इन लोगों के खिलाफ दर्जनों मामले दर्ज किये गये हैं.
सीबीआइ के जांच अधिकारियों ने निर्मल महतो के पिता और भाई इत्यादि से गहन पूछताछ की. आरंभ में जिन राजनेताओं के नाम इस कांड में उछले, उनके संबंध में खोजबीन की गयी. लेकिन निर्मल महतो के परिवारवालों ने इस संबंध में सारी अफवाहों को निर्मूल और आधारहीन बताया. घटना की पूर्व योजना के संबंध में काफी तफ्तीश हुई. पर जांच के दौरान एक भी सूत्र ऐसा नहीं मिला, जिससे यह स्थापित हो कि यह घटना पूर्व नियोजित थी.
निर्मल महतो और बीरेंद्र सिंह की शत्रुता पुरानी थी. दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ कुछ ही महीने पूर्व पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि उन्हें एक-दूसरे से जान को खतरा है. निर्मल महतो पर आरोप था कि एक बार वह बीरेंद्र सिंह पर जानलेवा हमला कर चुका था. उसी समय से बीरेंद्र सिंह मौके की तलाश में था. अवसर मिलते ही उसने निर्मल महतो को खत्म कर दिया.
गहन जांच-पड़ताल के बाद सीबीआइ ने जो तथ्य पता लगाये, उससे पुष्टि हुई कि बीरेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह पंडित और धीरेंद्र सिंह फरार अपराधी घोषित किये गये हैं. अपराधी बीरेंद्र सिंह जमानत पर रिहा है. सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में अनुशंसा की है कि इन अपराधियों के खिलाफ कानून कार्रवाई आरंभ की जाये.

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