33.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

नीति आयोग : एक साल का सफर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा था कि वे योजना आयोग की जगह नयी संस्था बनाना चाहते हैं. इस घोषणा के अनुरूप, 1 जनवरी, 2015 को उन्होंने नीति आयोग बनाने की घोषणा की. इस नयी संस्था से देश को काफी अपेक्षाएं हैं. इसे जहां व्यापार, स्वास्थ्य, […]

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा था कि वे योजना आयोग की जगह नयी संस्था बनाना चाहते हैं. इस घोषणा के अनुरूप, 1 जनवरी, 2015 को उन्होंने नीति आयोग बनाने की घोषणा की. इस नयी संस्था से देश को काफी अपेक्षाएं हैं.
इसे जहां व्यापार, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा तथा कौशल विकास जैसे मसलों पर ज्ञान के सृजन और प्रसार का दायित्व सौंपा गया है, वहीं इसे राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के बीच के संपर्क संस्था के रूप में भी कार्य करना है. अपने एक साल के सफर में नीति आयोग की क्या-क्या उपलब्धियां रहीं और आनेवाले समय में उसकी क्या योजनाएं हैं, इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर नजर डाल रहा है आज का विशेष.
पूर्ववर्ती योजना आयोग में 30 अप्रैल, 2014 को अपने आखिरी संबोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पूछा था, ‘कहीं हम अब भी उन्हीं साधनों और तौर-तरीकों का तो इस्तेमाल नहीं कर रहे, जो बहुत पहले के लिए निर्धारित किये गये थे? क्या हमने आयोग में अधिक पारंपरिक क्रियाकलापों की पुनर्संरचना किये बगैर नये कार्य तथा स्तर जोड़ लिये हैं?’
इसलिए, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा कि वे योजना आयोग की जगह नयी संस्था बनाना चाहते हैं, तो वे साझा भावना को ही अभिव्यक्ति दे रहे थे. तदुपरांत, 1 जनवरी, 2015 को उन्होंने राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था अथवा नीति आयोग के सृजन की घोषणा की. दो सप्ताह बाद, मुझे इसका उपाध्यक्ष बनने का गौरव मिला. योजना आयोग की ही तरह, अब भी प्रधानमंत्री ही नीति आयोग के अध्यक्ष हैं.
योजना आयोग 64 वर्ष तक अस्तित्व में रहा, जबकि नीति आयोग अभी बना है. संस्थान के नये होने के बावजूद इससे अपेक्षाएं काफी अधिक हैं, जैसी कि योजना आयोग के साथ थीं. इसलिए, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी के साहसिक कार्य के प्रति प्रशंसाभाव रखनेवाले लोग जानना चाह रहे हैं कि अपने एक वर्ष के कार्यकाल में नीति आयोग की गतिविधियां और उपलब्धियां क्या रही हैं.
आयोग से संबंधित कई खबरें छपती रही हैं और हाल के दिनों में समाचार माध्यमों को दिये साक्षात्कारों में मैंने इसे काफी स्पष्ट किया है. किंतु आयोग की पहली वर्षगांठ को देखते हुए अधिक विस्तारपूर्वक तथा व्यवस्थित रूप से यह बताना ठीक होगा कि नीति आयोग की एक वर्ष की यात्रा कैसी रही है.
युवा पेशेवर व विशेषज्ञों की टीम
सांगठनिक मोर्चे पर, नीति आयोग में भी शुरुआत में ऐसे 1,255 पदों को बनाये रखा गया, जो योजना आयोग में थे और जिनमें से वास्तविक रूप से लगभग 800 पद भरे हुए थे.
नये संस्थान को सौंपे गये उत्तरदायित्व को ध्यान में रखते हुए, यह महसूस किया गया कि एक तरफ लोगों की संख्या कम करने की आवश्यकता है, तो दूसरी तरफ ऐसे नये लोगों की आवश्यकता भी है, जो अधिक कुशल हों. इसी के मद्देनजर, हमने बड़ी संख्या में कर्मचारियों को दूसरे विभागों में स्थानांतरित किया और अब आयोग में कर्मियों की संख्या 500 रह गयी है. हमने बाहर से भी कर्मियों को लाना शुरू किया है और एक अर्थशास्त्री ने तो कार्यभार ग्रहण भी कर लिया है. कई युवा पेशेवर तथा विशेष कार्याधिकारी शीघ्र ही कार्यभार ग्रहण करनेवाले हैं.
हमने संस्था के अधिदेशों की बेहतर तरीके से पूर्ति के लिए आयोग के कर्मियों को दो बड़े हब में बांटा है. एक को ज्ञान और नवप्रवर्तन हब और दूसरे को टीम इंडिया हब का नाम दिया गया है.
ज्ञान और नवप्रवर्तन हब को ज्ञान के सृजन, संचयन तथा प्रसार का दायित्व सौंपा गया है, जबकि टीम इंडिया हब का कार्य राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के बीच के संपर्क के रूप में कार्य करना है. ज्ञान और नवप्रवर्तन से जुड़े एक दर्जन स्तरों पर विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता विकसित करने का काम सौंपा गया है, जैसे-व्यापार और वृहद् स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा तथा कौशल विकास. टीम इंडिया हब का मुख्य कार्य राज्यों, केंद्रीय मंत्रालयों और ज्ञान तथा नवप्रवर्तन हब के बीच तालमेल कायम करना है. इन दोनों हब से परस्पर तालमेलपूर्वक काम करने की अपेक्षा है.
सहकारिता व प्रतिस्पर्द्धी संघवाद लक्ष्य
शुरू से ही, प्रधानमंत्री चाहते रहे हैं कि नीति आयोग सहकारितापूर्ण, प्रतिस्पर्द्धी संघवाद का अगुवा बने. उन्होंने 8 फरवरी को शासी परिषद् की पहली बैठक में भी प्रमुख केंद्रीय पहलों का खाका तैयार करने के लिए मुख्यमंत्रियों का एक छोटा समूह बनाने के लिए मुख्यमंत्रियों के सुझाव को स्वीकार कर इसी दिशा में पहल की थी.
तदनुसार, उन्होंने नीति आयोग के तहत मुख्यमंत्रियों का तीन उप-समूह बनाने की घोषणा की थी, ताकि ये समूह उन्हें केंद्र प्रायोजित स्कीमों, कौशल विकास तथा स्वच्छ भारत के बारे में सुझाव दे सकें. साथ ही, उन्होंने यह सलाह भी दी थी कि नीति आयोग दो कार्यदलों का गठन करे- एक गरीबी उपशमन हेतु और दूसरा कृषि विकास हेतु. ये दोनों कार्यदल इन दोनों विषयों पर प्रत्येक राज्य और संघ राज्य क्षेत्र में कार्यरत कार्यबल के साथ-साथ ही काम करेंगे.
वर्ष के दौरान, नीति आयोग ने मुख्यमंत्रियों के उप-समूह के साथ कर्मठता से कार्य करते हुए उन्हें मतैक्य की दिशा में प्रोत्साहित किया. अनुवर्ती चर्चाओं में राज्यों के पदाधिकारियों ने गहन सहयोग किया. विगत के एकतरफा दृष्टिकोण को त्यागते हुए आयोग के पदाधिकारियों ने राज्यों में जा कर राज्यों में छह क्षेत्रीय विचार-विमर्श बैठकों का आयोजन किया.
इसके परिणामस्वरूप, मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों के सीमित हितों से ऊपर उठ कर राष्ट्रीय और राज्यों के सामूहिक हितों को तरजीह देते हुए तीन विषयों पर उत्कृष्ट रिपोर्टें तैयार की. ये रिपोर्टें प्रधानमंत्री को सौंप दी गयी हैं. सीएसएस के तहत केंद्र और राज्यों के बीच व्यय के हिस्सेदारी पैटर्न और 0.5 प्रतिशत स्वच्छ भारत उपकर संबंधी कुछ सिफारिशों को पहले ही कार्यान्वित कर दिया गया है, जबकि अन्य सिफारिशों पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है.
इसी प्रकार, कृषि विकास संबंधी कार्यदल ने राज्यों के साथ परामर्श किया तथा उत्पादकता को बढ़ाने और किसानों के लिए उनकी उपज हेतु लाभप्रद कीमतें सुनिश्चित करने संबंधी सुझावों पर कार्य किया. हाल ही में, आयोग द्वारा कार्यदल के कार्य पर आधारित एक लेख जारी किया गया है, जिसे इसकी वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है. इस लेख में उन पांच प्रमुख क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है, जिनमें अंत:क्षेप करने से अत्यधिक लाभ हो सकता है.
नवोन्मेष व उद्यमिता को बढ़ावा
नीति आयोग से अटल नवोन्मेष मिशन (एआइएम) तथा स्वरोजगार और प्रतिभा का उपयोग (सेतु) के तत्वावधान में नवोन्मेष और उद्यमिता के क्षेत्रों में भी मार्गदर्शन प्रदान करने का आग्रह किया गया है. इन विषयों को आगे बढ़ाने के लिए हमने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तरुण खन्ना की अध्यक्षता में नवोन्मेष और उद्यमिता के संबंध में एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी.
इस समिति ने कई बैठकें की और अल्पसमय में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इसके आधार पर हम एआइएम और ‘सेतु’ को मूर्त रूप देने की ओर अग्रसर हैं. समिति की सिफारिशों के अनुसार, मिशन निदेशालय और मिशन उच्च स्तरीय समिति का शीघ्र ही गठन किया जायेगा.
अक्तूबर, 2015 से मैंने भारत के जी20 शेरपा के रूप में भी कार्य किया है. इस हैसियत से मैंने अक्तूबर और नवंबर में क्रमश: अंकारा और अंताल्या में आयोजित शेरपा बैठकों में भाग लिया है. उत्तरवर्ती बैठक में, मैंने जी20 लीडर्स कम्यूनिक के लिए भारत की ओर से समझौता-वार्ता की अगुवाई भी की थी. दो दिन और तीन रातों की कड़ी बातचीत और आदान-प्रदान के बाद हम एक ऐसे समझौते पर पहुंचे, जिसने भारत के राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा दिया और पेरिस तथा नैरोबी में हुई क्रमश: जलवायु परिवर्तन और व्यापार संबंधी वार्ताओं के लिए ठोस आधार प्रदान किया.
राष्ट्रीय ऊर्जा नीति पर हो रहा काम
हमने बारहवीं पंचवर्षीय योजना का मध्यावधि मूल्यांकन लगभग पूरा कर लिया है. थिंक टैंक्स और उद्योग विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने के बाद हम राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के पहले प्रारूप पर तेजी से कार्य कर रहे हैं. इसी तर्ज पर हम शीघ्र ही मेक इन इंडिया इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद नीति का भी प्रारूप तैयार करनेवाले हैं.
नीति आयोग द्वारा अवसंरचना की प्रगति पर तिमाही प्रस्तुतीकरणों ने कई महत्वपूर्ण अवसंरचना परियोजनाओं के अवरोधों को दूर करने में अहम भूमिका अदा की है. मेरी अध्यक्षता में, नवोन्मेषी परियोजनाओं संबंधी अधिकार-प्राप्त समिति के सुविचारित संचालन से अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाइ स्पीड रेल आरंभ करने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है. आयोग ने विभिन्न राज्यों में व्यवसाय करने की सुगमता का पता लगाने के लिए थिंक टैंक आइडीएफसी संस्थान के सहयोग से 3,500 व्यवसाय-प्रतिष्ठानों का वृहद् सर्वेक्षण भी शुरू किया है. इस सर्वेक्षण के परिणाम अगस्त, 2016 में प्राप्त होने की संभावना है.
राज्य और समवर्ती सूचियों के विषयों पर सुधारों की शुरुआत
हम संविधान की राज्य और समवर्ती सूचियों के तहत विषयों पर सुधारों की शुरुआत करने के लिए भी राज्यों के साथ कार्य कर रहे हैं. इस संबंध में एक महत्वपूर्ण पहल, भूमि पट्टाकरण के क्षेत्रों में की गयी है.
आयोग द्वारा अर्थशास्त्री ताजमुल हक की अध्यक्षता में गठित की गयी समिति शीघ्र ही एक आदर्श भूमि-पट्टाकरण अधिनियम को अंतिम रूप देने जा रही है और इच्छुक राज्य, भूमि पट्टाकरण के लिए बेहतर संरचना का सृजन करने हेतु इसका उपयोग कर सकते हैं. आयोग के सदस्यों ने राज्यों के साथ मिल कर कार्य किया है. साथ ही, विभागों, स्कीमों और कानूनों के मूल्यांकन संबंधी पहल की गयी हैं. किसानों के लिए लाभकारी कीमतों के क्षेत्र में, कमी संबंधी भुगतानों और ट्रांसजेनिक बीजों पर चर्चाएं आरंभ की गयी हैं. पहले वर्ष में किये गये कार्यों की ये कुछ मुख्य-मुख्य बातें हैं.
नव वर्ष का संकल्प यह है कि हम विगत वर्ष के दौरान शुरू किये गये कार्यों को आगे बढ़ाएं और प्रधानमंत्री के स्वप्न को साकार करने के लिए नयी-नयी पहलें भी शुरू करें.
अरविंद पानगढ़िया
उपाध्यक्ष, नीति आयोग
नीति आयोग के उद्देश्य
– राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना.
– राज्यों के साथ संरचनात्मक सहयोग की पहल और तंत्रों के माध्यम से सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा देना.
– ग्राम स्तर पर योजनाओं के लिए तंत्र विकसित करना और इसे सरकार के उच्चतर स्तर तक पहुंचाना.
– आयोग को निर्दिष्ट किये गये क्षेत्रों की आर्थिक रणनीति और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को सुनिश्चित करना.
– उन वर्गों पर विशेष ध्यान देना जिन तक आर्थिक प्रगति से उचित लाभ न हो पाने का जोखिम हो.
– रणनीतिक और दीर्घावधि के लिए नीति तथा कार्यक्रम का ढांचा तैयार करना और निगरानी करना.
– महत्वपूर्ण पणधारियों तथा समान विचारधारावाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक तथा शैक्षिक व नीति अनुसंधान संस्थाओं के बीच परामर्श व भागीदारी को प्रोत्साहन देना.
-विशेषज्ञों, वृतिकों तथा अन्य भागीदारों के सहयोगात्मक समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली बनाना.
– विकास के एजेंडे के कार्यान्वयन में तेजी लाने के क्रम में अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-विभागीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करना.
– अत्याधुनिक संसाधन केंद्र बनाना जो सुशासन तथा सतत और न्यायसंगत विकास की सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली पर अनुसंधान करने में भी मदद करे.
– कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर जोर.
– राष्ट्रीय विकास के एजेंडे और उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य आवश्यक गतिविधियों का उत्तरदायित्व लेना.
नीित आयोग द्वारा गठित मुख्यमंत्रियों के उपसमूह
सहयोगपूर्ण संघवाद नीति आयोग के मुख्य बुनियादी सिद्धांतों में से है. इसे कार्यरूप देने के लिए विगत वर्ष में नीति आयोग के तहत मुख्यमंत्रियों के तीन उपसमूह बनाये गये थे. ये समूह निम्नलिखित मुद्दों से संबंधित थे-
-केंद्र प्रायोजित योजनाएं
– कौशल विकास
-स्वच्छ भारत अभियान
केंद्र प्रायोजित योजनाएं
पिछले साल नौ मार्च, 2015 को मुख्यमंत्रियों का एक उप-समूह गठित किया गया था, जिसे मौजूदा केंद्र-प्रायोजित योजनाओं की जांच करने और लागू करने के लिए सुझाव देने की जिम्मेवारी सौंपी गयी.
इसके संयोजक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इस उपसमूह ने मौजूदा योजनाओं की जांच कर उन्हें सरल और कारगर ढंग से कार्यान्वित करने के लिए तथा वित्त आयोग की सिफारिशों, राज्यों को करों की अधिक सुपुर्दगी तथा उच्चतर राजस्व की कमी वाली अनुदानों के परिप्रेक्ष्य में इन योजनाओं में सुधार के लिए सुझाव दिये.
‘विजन-2020’ को पूरा करने के संकल्प पर उपसमूह ने निम्नलिखित बिंदु सुझाये-
– महत्वपूर्ण चिह्नित क्षेत्रकों की योजनाओं/कार्यक्रमों को राष्ट्रीय विकास एजेंडा में शामिल किया जायेगा.
-मुख्य योजनाओं/ कार्यक्रमों में निवेश को कम-से-कम उनके वर्तमान स्तर तक कायम रखा जाये.
-पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों के लिए विशेष छूट दिये जाने की जरूरत है.
-योजनाओं के कार्यान्वयन में राज्यों को स्वतंत्रता दी जानी चाहिए.
-आशा, आंगनबाड़ी, संविदा शिक्षकों आदि जैसे बुनियादी स्तर के कार्यकर्ताओं के पारिश्रमिक के लिए केंद्रीय सहायता को कम-से-कम दो वर्षों के लिए वर्तमान स्तरों पर रखा जाना चाहिए.
-राज्यों को केंद्रीय सहायता जारी रखने की प्रक्रियाओं और पद्धतियों को सरल बनाया
जाना चाहिए.
-इन योजनाओं के तहत पूर्व में स्वीकृत की जा चुकी परियोजनाओं/कार्यकलापों को पूरा किया जाना चाहिए.
-नीति आयोग को राष्ट्रीय विकास एजेंडा के तहत योजनाओं/कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में आनेवाली कठिनाइयों का समाधान करनेवाले मंच के रूप में उभरना चाहिए.
केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए उपसमूह की मुख्य सिफारिशें-
-केंद्रीय योजनाओं का ध्यान राष्ट्रीय विकास एजेंडा में सम्मिलित योजनाओं पर केंद्रित होना चाहिए. इसके लिए केंद्र व राज्य टीम इंडिया की भावना से काम करेंगे.
-मनरेगा सहित गरीबी उन्मूलन और सामाजिक समावेशन संबंधी योजनाओं, पेयजल और स्वच्छ भारत मिशन, विद्युतीकरण, मध्याह्न भोजन सहित शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, महिलाएं एवं बच्चे, सभी के लिए आवास, आदि क्षेत्रकों/कार्यों/उद्देश्यों को मुख्य क्षेत्रक माना जायेगा.
-सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक समावेशन संबंधी योजनाओं को राष्ट्रीय विकास एजेंडा के तहत उपलब्ध निधियां सबसे पहले मुहैया करायी जानी चाहिए.
-वित्त मंत्रालय द्वारा राज्यों को वैकल्पिक योजनाओं के लिए एकमुश्त निधियां आवंटित की जायेंगी और राज्य यह चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे कि वे कौन-सी वैकल्पिक योजना कार्यान्वित करना चाहते हैं.
-अब से, हिस्सेदारी का पैटर्न इस प्रकार होना चाहिए-
मुख्य योजनाओं के लिए
-आठ पूर्वोत्तर और तीन हिमालयी राज्यों के लिए केंद्र और राज्य का अनुपात 90:10
-अन्य राज्यों के लिए : केंद्र-राज्य अनुपात 60:40
-संघ राज्यक्षेत्रों के लिए केंद्र 100 फीसदी
वैकल्पिक योजनाओं के लिए
-आठ पूर्वोत्तर और तीन हिमालयी राज्यों के लिए केंद्र-राज्य अनुपात 80:20
-अन्य राज्यों के लिए केंद्र-राज्य अनुपात 50:50
-संघ राज्यक्षेत्रों के लिए केंद्र 100 फीसदी
– वित्त मंत्रालय मुख्य योजनाओं के लिए योजनावार आवंटन करेगा और इसके लिए पारदर्शी मानदंड होंगे. निगरानी के मामले में नीति आयोग को समवर्ती अधिकार होगा तथा वह तृतीय पक्ष मूल्यांकन करेगा.
कौशल विकास
नौ मार्च, 2015 को मुख्यमंत्रियों का एक उपसमूह भारत में कौशल विकास के संबंध में गठित किया गया, जिसके संयोजक पंजाब के मुख्यमंत्री थे.इस उपसमूह के समन्वयक नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे. इसके मुख्य उद्देश्यों में राज्य स्तर पर क्षमता और कौशल मानदंडों को बेहतर बनाने के लिए राज्य कौशल विकास मिशनों के सुदृढ़ीकरण हेतु उपायों के सुझाव देना, निजी क्षेत्रक की सहभागिता की जांच करना तथा संबंधित प्रयासों में पंचायतों, नगरपालिकाओं तथा सिविल सोसायटी संगठनों के साथ रेलवे और सशस्त्र बलों को भी सक्रिय करने के तरीकेसुझाना था.
स्वच्छ भारत अभियान
नौ मार्च, 2015 को मुख्यमंत्रियों का तीसरा उपसमूह बनाया गया था, जो स्वच्छ भारत अभियान से संबंधित था. इसके संयोजक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इसके समन्वयक बनाये गये थे. इस समूह के विचारार्थ निम्न विषय थे- स्वच्छ भारत अभियान के व्यापक कार्यान्वयन के लिए वित्तीय अपेक्षाओं की जांच और बजटीय जरूरतों को पूरा करने हेतु उपाय सुझाना, प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सुदृढ़ संस्थागत तंत्रों की सिफारिश करना, प्रौद्योगिकीय सहायता के लिए उपाय सुझाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए मॉडलों की जांच करना आदि.
10 खास बातें
पिछले वर्ष एक जनवरी को एक मंत्रिमंडलीय संकल्प के द्वारा नीति आयोग का गठन हुआ था. इसने पांच दशक से अधिक पुराने योजना आयोग का स्थान लिया था.
आयोग ने अपने पहले साल का बड़ा हिस्सा पूर्ववर्ती योजना आयोग से विरासत में मिले सांगठनिक ढांचे को नये तरीके से स्थापित करने में लगाया था. संघवाद की भावना के अनुरूप नीति आयोग की नीतिगत सोच ‘ऊपर से नीचे की ओर निर्देश की जगह नीचे से ऊपर की ओर दिशा’ की समझ से संचालित होगी.
वर्ष, 2016 में आयोग केंद्र सरकार और राज्यों के ‘थिंक टैंक’ के रूप में स्थापित होने के लिए प्रतिभाओं के समूह को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करेगी, ताकि सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए नीति-निर्माण और निगरानी के कार्यों की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सके.
आयोग अपनी क्षमताओं के विकास के लिए सरकार के बाहर से विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को नियुक्त करेगा. विशेष अधिकारियों, सलाहकारों और युवा पेशेवरों को नियुक्त करने का कार्य शुरू हो चुका है.
‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ की भावना के अनुकूल सचिवालय के निर्धारित 1255 कर्मचारियों की संख्या को घटा कर 500 कर दिया गया है और कई लोगों को दूसरों सरकारी विभागों में स्थानांतरित कर दिया गया है.
कर्मचारियों की संख्या कम करने के अलावा संगठन का आकार छोटा करने के लिए आयोग ने अपने मातहत विभागों का पुनर्गठन भी किया है. इस प्रक्रिया के केंद्र में दो केंद्रों की स्थापना थी- टीम इंडिया और ज्ञान व नवाचार केंद्र.
इनका नेतृत्व अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी करते हैं. टीम इंडिया राज्यों से सलाह-मशविरे के लिए है और ज्ञान एवं नवाचार केंद्र आयोग की थिंक टैंक क्षमता की बेहतरी के लिए कार्यरत है.
नीति आयोग बेहतरीन कार्यों और आंकड़ों के संग्रह के लिए भी प्रयासरत है. हाल में इसने गुड प्रैक्टिसेज रिसोर्स बुक, 2015 का प्रकाशन किया है, जो भारत में सामाजिक क्षेत्रों में कार्यों पर केंद्रित है.
कृषि पर आयोग के विशेषज्ञ समूह ने एक विमर्श पत्र जारी किया है जिसमें आनुवांशिक संवर्धित बीजों, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विचारों के साथ अन्य बातें हैं. इसका उद्देश्य इन मुद्दों पर व्यापक चर्चा करना है.
अपनी स्थापना के पहले साल में नीति आयोग ने सहकारी संघवाद का नया आदर्श प्रस्तुत किया है जिसमें केंद्र और राज्य टीम इंडिया के रूप में बराबरी के साथ हिस्सेदार हैं.
आयोग के उपाध्यक्ष पनगढ़िया के अनुसार, सरकार द्वारा निर्दिष्ट नयी भूमिका के मद्देनजर इस संस्था का ‘थिंक टैंक’ के रूप में काम करने का उद्देश्य बहुत महत्वपूर्ण है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें