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चाईबासा में 20 हजार लोगों के बीच अटल ने भरी थी हुंकार

सहज भाव में रुक-रुक कर बोलना जनता में ऊर्जा का गहराई से संचार कर देता था चाईबासा : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 13 मार्च 1991 को पश्चिमी सिंहभूम जिला के सदर चाईबासा स्थित एसपीजी मिशन कंपाउंड में आमसभा को संबोधित करने आये थे. उनके तेजस्वी भाषण को सुनने के लिए सिंहभूम से 20 हजार […]

सहज भाव में रुक-रुक कर बोलना जनता में ऊर्जा का गहराई से संचार कर देता था

चाईबासा : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 13 मार्च 1991 को पश्चिमी सिंहभूम जिला के सदर चाईबासा स्थित एसपीजी मिशन कंपाउंड में आमसभा को संबोधित करने आये थे. उनके तेजस्वी भाषण को सुनने के लिए सिंहभूम से 20 हजार से भी अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठी हुई थी. दिन के साढ़े 12 बजे शुरू हुई आमसभा में अटल ने एक घंटे से अधिक समय तक लोगों को संबोधित किया था. इस दौरान उनका सहज भाव में रुक-रुक कर बोलना जनता के बीच ऊर्जा का गहराई से संचार करता गया.

टेबो घाटी को विश्वस्तरीय वन पर्यटन केंद्र बनाने की बात कही थी

चाईबासा में आमसभा को संबोधित करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी दिल्ली से विमान से रांची एयरपोर्ट पहुंचे थे. जहां उन्हें लेने के लिए पहले से रूद्रप्रताप षाडंगी व ताराकांत झा उपस्थित थे. प्रशासन की टीम प्रतिपक्ष के नेता अटल के काफिले को रांची से खूंटी, बंदगांव के रास्ते टेबो घाटी होते हुए चाईबासा लेकर पहुंची. रांची से चाईबासा आने के क्रम में अटल के लिए टेबो घाटी सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र रहा. टेबो घाटी के मनोरम दृश्यों को देख अटल ने रूद्रप्रताप षाडंगी व ताराकांत झा से कहा था, ‘भाजपा जब सत्ता में आयेगी, तब टेबो घाटी प्राकृतिक उपहार के तौर पर वन पर्यटन के रूप में उभर कर पूरी दुनिया के समक्ष अपनी छाप छोड़ेगी.’ चाईबासा में आमसभा को संबोधित करने के पश्चात शाम करीब 4 बजे अटल बिहारी वाजपेयी जमशेदपुर रवाना हो गये थे.

बागुन सुम्ब्रुई से चाईबासा के बारे में पहली बार जाना

कोल्हान की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले स्व बागुन सुम्ब्रई के साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की खूब बनती थी. अटल, बागुन बाबू की वजह से ही पहली बार चाईबासा को जान पाये थे. इस बात का जिक्र अटल ने अपने चाईबासा दौरे पर भाजपाइयों से किया था. श्री वाजपेयी शाकाहारी भोजन पसंद करते थे.

स्थानीय अन्नपूर्णा होटल के मालिक सत्यनारायण पाल एवं वरिष्ठ भाजपा नेता विजय अग्रवाल को श्री वाजपेयी के लिए पकवान तैयार कराने की जिम्मेदारी दी गयी थी. परिसदन परिसर में ही अटल के लिए खाना तैयार कराया गया था. आमसभा के पश्चात अटल ने परिसदन पहुंचकर चावल, दाल, फुलका व दो प्रकार की हरी सब्जियों के साथ दोपहर का भोजन किया था. दोपहर के भोजन के बाद वे केसरिया खीर, जलेबी या मालपुआ इन तीनों में से कोई एक चीज खाना पसंद करते थे.

अटल का इलाज करनेवाली टीम में जमशेदपुर के डॉ काले भी

जमशेदपुर. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का इलाज करनेवाले डॉक्टरों की टीम में जमशेदपुर के रहनेवाले एम्स के न्यूरो सर्जरी के एचओडी डॉ शशांक शरद काले भी शामिल थे. श्री काले ने करीब नौ सप्ताह तक पूर्व पीएम के न्यूरोलॉजी से संबंधित परेशानियों का इलाज किया. डॉ शशांक लंबे समय से उनका इलाज करते रहे हैं.

उन्होंने बताया कि वे नौ सप्ताह से ज्यादा समय से अटल बिहारी वाजपेयी का इलाज कर रहे हैं और न्यूरो संबंधित दिक्कतों को दूर कर दिया गया था, लेकिन इस उम्र में उनकी हालत में सुधार नहीं हो पा रहा था. हालांकि, उन्होंने इलाज से संबंधित ज्यादा बातें बताने से इनकार कर दिया. डॉ काले डीबीएमएस स्कूल के छात्र रहे हैं.

झारखंड की जनता ने अभिभावक को खो दिया : लक्ष्मण गिलुवा

रांची : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर भाजपा नेताओं ने शोक जताया है. प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि देश के करोड़ों भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए इससे दु:खद खबर नहीं हो सकती कि अटल बिहारी वाजपेयी नहीं रहे. आज न सिर्फ भारत ने एक अपना सच्चा सपूत खोया है, बल्कि पूरे विश्व ने एक राजनेता खोया है. झारखंड की जनता ने आज अपना अभिभावक खोया है, जिनके अथक प्रयास से झारखंड राज्य का गठन हुआ है.

अटल जी युगों-युगों तक याद रखे जायेंगे. श्री गिलुवा ने उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की. धर्मपाल सिंह ने कहा कि अटल जी का जितना विराट व्यक्तित्व था, उतना ही कोमल उनका हृदय. वे न सिर्फ एक राजनेता थे, बल्कि साहित्य में उनकी गहरी रुचि रही. उनकी कविताएं समाज जीवन के असंख्य लोगों को प्रेरित करती हैं.

मैं ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति की विनम्र प्रार्थना करता हूं. शोक प्रकट करने वालों में हेमलाल मुर्मू, विद्युतवरण महतो, उषा पांडेय, समीर उरांव, सत्येंद्र तिवारी, आदित्य साहू, प्रिया सिंह, प्रदीप वर्मा, धर्मपाल सिंह, सुनील कुमार सिंह, दीपक प्रकाश, अनंत ओझा, नवीन जायसवाल, मुनेश्वर साहू, मनोज सिंह, नूतन तिवारी, सुबोध सिंह गुड्डू, सरिता श्रीवास्तव, महेश पोद्दार, गणेश मिश्र, जेबी तुबीद, राजेश कुमार शुक्ला, दीनदयाल बर्णवाल, प्रवीण प्रभाकर, प्रतुल शाहदेव, हेमंत दास, शिव पूजन पाठक, संजय जायसवाल, राकेश प्रसाद, राकेश भास्कर, रविनाथ किशोर, अमित कुमार, आरती सिंह, ज्योतिरीश्वर सिंह, सोना खान, राम कुमार पाहन, डॉ उमाशंकर केडिया, तारिक इमरान, प्रेम सिंह, रमेश पुष्कर समेत कई नेता शामिल हैं.

भाजपा में शोक की लहर, प्रदेश कार्यालय में झंडा झुका

अटल जी के निधन की खबर आते ही पार्टी कार्यकर्ताओं में शोक की लहर फैल गयी. उनके गंभीर स्वास्थ्य की खबर के बाद प्रदेश कार्यालय में कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों का दिन भर आना-जाना रहा. लोग टीवी पर पल-पल की खबरों पर नजर बनाये रहे तथा उनके स्वास्थ्य जीवन की मंगलकामना करते रहे. लेकिन नियति का खेल निश्चित है.

शाम 5.30 बजे जैसे ही वाजपेयी जी के निधन की खबर आयी, पार्टी कार्यालय में पार्टी का झंडा झुका दिया गया. इधर, शुक्रवार सुबह से पार्टी के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिये गये थे.

लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रतिबिंब थे

अर्जुन मुंडा

ठन गई! मौत से ठन गई !

जूझने का मेरा इरादा न था,

किसी मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,

यों लगा जिन्दगी से बड़ी हो गई,

लगता है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कविता की ये पंक्तियां जीते जी अपने लिये ही लिखी थी. कल रात को जब दिल्ली से सूचना मिली की अटल जी तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी है, तभी से मन विचलित था. आज उनके निधन के बाद कुछ ऐसा ही महसूस हो रहा है.

एक बार श्रीनगर की यात्रा में मुझे भी दो दिनों तक उनके साथ रहने का सौभाग्य मिला था. जिससे उनकी सादगी, निष्छलता एवं बड़प्पन को नजदीक से देखने का अवसर मिला. उनके व्यक्तित्व का ओज इतना प्रबल और प्रभावी था कि बिना कुछ बोले हुए भी कार्यकर्ताओं पर मात्र एक स्नेह दृष्टि डाल देने से कार्यकर्ताओं गदगद हो उठते थे.

निर्धारित कार्यक्रमों के बीच मिलनेवाले अवकाश के क्षणों में कार्यकर्ताओं से उनका पारिवारिक कुशल क्षेम भी पूछा करते थे. उनके प्रधानमंत्रित्वकाल में ही अपना यह झारखंड राज्य बना था. राज्य बनने के पहले उन्होंने झारखंडवासियों से अलग राज्य बनाने का जो वादा किया, उसे उन्होंने पूरा किया और झारखंड के शहीदों और आदिवासियों के सपनों को साकार किया.

झारखंड के चुनाव प्रचार के क्रम में भी उनके साथ मुझे रहने का सुनहरा अवसर मिला. बाद के दिनों में दिल्ली के विज्ञान भवन में भी उनसे कई बार मिलना हुआ था. उनसे कितना ही पुराना संपर्क क्यों न रहा हो, उनकी प्रत्येक मुलाकात एक नयी ऊर्जा प्रदान करती थी.

अचानक अटल जी ने भेज दिया था असम

देवदास आप्टे

भारतीय जनता पार्टी का गठन 1980 में हुआ था. इससे पूर्व हमलोग उनके साथ जनता पार्टी में थे. इससे छह माह पूर्व ही मैंने उनसे कहा था कि इस टीम के साथ चलना मुश्किल है.

अटल जी ने हम लोगों को इंतजार करने को कहा. मैंने उनसे कहा था जनता पार्टी के लोग हम लोगों को टिकने नहीं देंगे. इसलिए हम लोगों को बाहर निकल जाना चाहिए. करीब छह माह बाद ही मुंबई में अधिवेशन हुआ. इसमें अटल जी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने. इससे पूर्व अटल जी ने मुझे भी मुंबई आने को कहा. दो दिनों तक अधिवेशन चला. इसमें आगे के कई कार्यक्रम तय किये गये. अधिवेशन के बाद हम लोग दिल्ली आ गये.

अटल जी ने वहां पार्टी की घोषणा की. मुझे बिना कोई सूचना के असम जाने की जिम्मेदारी दे दी गयी. अटल जी ने कहा आप असम जाकर वहां चल रहे आंदोलन के साथियों से बात करें.

उनके आदेश का पालन करने के बाद मैं असम चला गया. वहां उस वक्त कांग्रेस की सरकार थी. असम गण परिषद का आंदोलन चल रहा था. प्रफुल्ल महंत, परेश बरुआ आदि नेता अंडर ग्राउंड थे. उनसे मिल कर बात की.

वे लोग हम लोगों के साथ आने को तैयार हो गये. हमने छह माह के बाद अटल जी को रिपोर्ट सौंपी. इसमें बताया कि असम गण परिषद के लोग हम लोगों की विचारधारा के ही लोग हैं. उनसे समझौता कर सकते हैं. वहां हम लोगों ने उनके साथ चलने का निर्णय लिया. बाद में वहां हम लोगों ने सरकार भी बनायी. अटल जी चाहते थे कि नॉर्थ इस्ट के लोग भी मुख्यधारा से जुड़ कर काम करें. अटल जी से जुड़ीं कई यादें हैं…

(लेखक झारखंड से पूर्व राज्यसभा सदस्य रहे हैं. वह अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भाजपा के गठन के वक्त भी सक्रिय रहे थे)

वाजपेयी विश्व के लोकप्रिय नेता थे : राज्यपाल

रांची : पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने गहरा शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि तीन बार प्रधानमंत्री रहनेवाले अटल बिहारी वाजपेयी भारत ही नहीं, अपितु विश्व के अत्यंत लोकप्रिय नेताओं में से थे. भारतीय राजनीति में वे एक सर्वमान्य नेता के रूप में जाने जाते थे, जिनका सम्मान विरोधी दल के भी नेता करते थे. अटल बिहारी वाजपेयी सदा कहते थे कि राजनीति में मतभेद हो सकते थे, मनभेद नहीं. उनकी अद्वितीय विदेश नीति की सभी सराहना करते हैं. भारतीय राजनीति में वे सफल गठबंधन की राजनीति के निर्माता के रूप में भी जाने जाते हैं.

उन्होंने लोकतंत्र में कभी भी अमर्यादित भाषा का प्रयोग नहीं किया. अपने व्यक्तित्व से वे सबके लिए आदर्श बने. उन्होंने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, सर्वशिक्षा अभियान, महिला उत्थान, संचार क्रांति, पोखरण परमाणु परीक्षण जैसे कई साहसिक निर्णय लिये. कारगिल युद्ध में सेना का मनोबल बढ़ाते हुए देश को विजयी बनाने का कार्य किया.

वाजपेयी युग द्रष्टा थे

रांची : महाधिवक्ता सह झारखंड स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन अजीत कुमार ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि अटल युग द्रष्टा थे. भारत वर्ष के वर्तमान ढांचे के निर्माण में उनका बड़ा योगदान है. वे विकास पुरुष थे. उनके निधन से सभी भारतीय दुखी हैं. बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष व हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता पीसी त्रिपाठी ने कहा कि अटल का निधन देश व राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है. उसकी भरपाई संभव नहीं है.

बार काउंसिल अॉफ इंडिया के सदस्य प्रशांत कुमार सिंह, काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ल, अधिवक्ता कुंदन प्रकाशन, अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश, बार एसोसिएशन हाइकोर्ट के उपाध्यक्ष एमएम शर्मा, महासचिव डॉ एसके वर्मा, एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता एके कश्यप, उपाध्यक्ष धनंजय पाठक, महासचिव हेमंत कुमार सिकरवार सहित अन्य ने शोक प्रकट किया है.

युग पुरुष के निधन से मर्माहत झारखंडवासी

अटल युग के अंत से मर्माहत हूं : सीपी सिंह

रांची : नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाने एवं सभी के दिलों पर अमिट छाप छोड़ने वाले श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से काफी मर्माहत हूं. हमने भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह को खो दिया. उनके निधन से भारतीय राजनीति का एक चमकता चेहरा अस्त हो गया. उनकी कमी हमेशा महसूस होगी. सुबह के विमान से वाजपेयी जी काे श्रद्धांजलि देने दिल्ली जा रहा हूं.

रांची : आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के महाप्रयाण से भारतवर्ष की राजनीति में एक युग का अंत हो गया. आज देश ने एक महान मार्गदर्शक और कुशल नेतृत्वकर्ता खो दिया है. अलग झारखंड के निर्माण के लिए हम सदा उनका ऋणी रहेंगे. उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर हमेशा मूल्यों की राजनीति की है. दिवंगत आत्मा को हमारी शोकपूर्ण श्रद्धांजलि.

अटल जी के विचार व आदर्श प्रासंगिक रहेंगे : बाबूलाल

रांची : झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन दुख प्रकट करते हुए कहा कि अटल जी का निधन भारतवासियों के लिए अपूरणीय क्षति है. उनसे मेरा गहरा नाता रहा है. वो मेरे राजनीतिक गुरु व अभिभावक रहे हैं. झारखंड गठन के बाद राज्य का प्रथम मुख्यमंत्री बनाकर उन्होंने मुझ पर भरोसा जताया. इनके विचार व आदर्श सदैव प्रासंगिक रहेंगे. इनके योगदान व विचारों को देश कभी भुला नहीं सकता है.

रांची : प्रदेश भाजपा के महामंत्री दीपक प्रकाश ने अटल बिहार वाजपेयी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि झारखंड अलग राज्य के पूर्व वह, बाबूलाल मरांडी और दुखा भगत ने अटल जी से मिल कर अलग राज्य की बात रखी थी. तब उन्होंने कहा था कि मेरा नाम अटल है और झारखंड राज्य बनो का मेरा निर्णय अटल है. 15 दिनों में बिल पेश होगा और उन्होंने ठीक 15वें दिन अलग झारखंड राज्य का बिल लोकसभा में पेश कर दिया था.

रांची : पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि भारतीय राजनीति के युग पुरुष और संसद में जनता की आवाज बन कर मुखर होने वाले राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से काफी मर्माहत हूं. युग पुरुष के निधन से भारतीय राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है. स्व वाजपेयी दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर सभी दलों के नेताओं को सम्मान देते थे. संसद में पक्ष-विपक्ष की राजनीति से परे जनहित के मुद्दों को तरजीह देते थे.

अटल जी हमेशा जन-जन के हृदय पर राज करेंगे : चेंबर

अटल के साहसिक कदम की दुनिया में चर्चा हुई‍: जदयू

रांची : अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर प्रदेश जदयू के नेताओं ने शोक जताया है. कहा कि अटल एक लोकप्रिय नेता थे. इनके विचारों से लोग बहुत प्रभावित होते थे. वे आधुनिक भारत के गांधी थे और इस देश के अब तक के सबसे काबिल प्रधानमंत्री थे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बहुत ही साहसिक कदम उठाया, जो पुरी दुनिया में चर्चा का विषय बना. जिसमें पोखरण परीक्षण शामिल है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.

झारखंड के पिछड़ेपन को गंभीरता से लिया था: रवींद्र

रांची : कोडरमा सांसद रवींद्र राय ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी ने झारखंड के पिछड़ेपन को बहुत ही गंभीरता से लिया था. झारखंड को अलग राज्य बना कर यहां के पिछड़ेपन को दूर करने का प्रयास किया. झारखंड में उन्होंने असीम संभावनाएं देखी थी. कल हम उनके प्रति मंत्रमुग्ध रहते थे. आज स्तब्ध हैं. भारतीय कैसे होते हैं, अटल जी ने अपने व्यक्तित्व से पूरी दुनिया को बताया था.

अटल राजनीतिज्ञों के भीष्म पितामह थे : नागपाल

हर तबके के बीच आदर के साथ देखा जाता था : माकपा

रांची : भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की झारखंड राज्य कमेटी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक प्रकट किया है. पार्टी के राज्य सचिव गोपीनाथ बक्सी ने कहा है कि स्व वाजपेयी एक कद्दावर नेता थे, जिन्होंने सांसद व बतौर प्रधानमंत्री अपनी अमिट छाप छोड़ी है. एक राजनीतिज्ञ के तौर पर उन्हें हर तबके के बीच आदर के साथ देखा जाता था. संसद में विपक्ष के नेता भी उनकी बातों को गंभीरता से सुनते थे़

रांची. सदान मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर दुःख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि वाजपेयी जैसे नेता कई सदियों के बाद इस धरती पर जन्म लेते हैं. वे भारतीय राजनीति में दुर्लभ व्यक्ति थे. उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीतिज्ञों को उनसे सीख लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वाजपेयी के कारण ही हमें झारखंड राज्य मिला. हम सभी झारखंड के लोग श्री वाजपेयी के हमेशा कृतज्ञ रहेंगे.

रांची. आरएसएस के प्रांत संघ चालक सच्चिदानंद अग्रवाल ने कहा कि संघ अपने स्वयंसेवक के असमय निधन से मर्माहत है. भारतीय राजनीति में अटल का योगदान अविस्मरणीय रहेगा.

रांची : झारखंड मिथिला मंच के संयोजक मनोज मिश्रा, संतोष झा, अध्यक्ष श्रीपाल झा, अमर नाथ झा सहित अन्य ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक प्रकट किया.

रांची. भारतीय जनता पार्टी प्रबुद्ध प्रकोष्ठ झारखंड प्रदेश के संयोजक सत्येंद्र कुमार मल्लिक एवं मीडिया प्रभारी शैलेश कुमार सिन्हा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक व्यक्त किया है. दोनों ने कहा है कि आज जहां देश ने अपना राजनीतिक नेतृत्वकर्ता खोया है वहीं पार्टी ने अपना संस्थापक, मार्गदर्शक खोया है. उनकी कर्मठता एवं राजनीतिक प्रतिबद्धता हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी.

अस्त हो गया राजनीति का चमकता सितारा : मनोज सिंह

रांची. भाजपा चुनाव प्रबंधन विभाग के प्रदेश संयोजक मनोज सिंह ने कहा कि अटल जी एक स्वयंसेवक, कवि, लेखक, विचारक, सामाजिक कार्यकर्ता व राजनेता थे. वे अटल थे और अटल रहेंगे. भारतीय राजनीति का सर्वाधिक चमकता सितारा का अस्त हो गया.

अटल जी एक संस्था थे : कांग्रेस

रांची : पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने गहरा शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी मूल्यों एवं आर्दशों की राजनीति करने वाले देश के सर्वमान्य नेता थे. वह एक व्यक्ति विशेष ही नहीं संस्था के रूप में जाने जाते थे. उनका मधुर स्वभाव सदन में पक्ष एवं विपक्ष दोनों को आकर्षित करता था. देश के विकास में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. उनका निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती है. सबों को साथ लेकर चलने वाला उनका व्यक्तित्व सदैव प्ररेणा स्त्रोत बना रहेगा. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करती है.

साहित्यिक संस्थाओं ने जताया शोक

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