मालबाजार : बारिश शुरू होते ही डुआर्स के नदी नालों व झोड़ा में पानी आना शुरू हो गया है. इन पहाड़ी झोड़ाओं में गितु, चैंग, मांगुर जैसी विभिन्न प्रकार की मछलियां पायी जाती हैं. इन लोकल मछलियों की बाजारों में अच्छी खासी मांग है. इसे देखते हुए कुछ मछली व्यवसायी इन्हें पकड़ने के लिए नदी में कीटनाशक या इलेक्ट्रिक शॉक देने से पीछे नहीं हटते.
पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि ऐसे अवैज्ञानिक तरीके से मछलियों को पकड़ने के कारण नदी की जैव विविधता नष्ट हो रही है. सोमवार सुबह उदलाबाड़ी के पास मानाबाड़ी चाय बागान के अंदाझोड़ा में इस तरह से इनवर्टर के सहयोग से इलेक्ट्रिक शॉक देकर मछली पकड़ रहे थे. खबर पाकर उदलाबाड़ी पर्यावरण प्रेमी संगठन नैस के सदस्य घटनास्थल पर पहुंचकर उन्हें रोका.
नैस के कर्मी नफसर अली ने उनलोगों को इस तरीके से मछली मारने से होने वाली नुकसान के बारे में बताया. उन्होने कहा कि इसके खिलाफ कोई ठोस कानून नहीं रहने के कारण इसे रोकना मुश्किल हो रहा है. हालांकि समझाने के बाद लोगों ने वादा किया कि वे भविष्य में कभी ऐसा नहीं करेंगे.