नागराकाटा : ग्रासमोड़ चाय बागान के श्रमिक बागान खुलने की आस को छोड़कर अब बाहर के अन्य बागानों में काम करने के लिये मजबूर हो गये हैं. चुनाव से पहले बागान नहीं खुलने पर निराश चाय बागान श्रमिक नागराकाटा ब्लॉक स्थित थालझोड़ा होप चाय बागान, चेंगमारी चाय बागान में काम कर अपना रोजी-रोटी चला रहे हैं.
Advertisement
दूसरे बागानों में काम करने को मजबूर श्रमिक
नागराकाटा : ग्रासमोड़ चाय बागान के श्रमिक बागान खुलने की आस को छोड़कर अब बाहर के अन्य बागानों में काम करने के लिये मजबूर हो गये हैं. चुनाव से पहले बागान नहीं खुलने पर निराश चाय बागान श्रमिक नागराकाटा ब्लॉक स्थित थालझोड़ा होप चाय बागान, चेंगमारी चाय बागान में काम कर अपना रोजी-रोटी चला रहे […]
स्थानीय महिला चाय श्रमिक मायनो माझी ने बताया कि हम चाय श्रमिकों को चुनाव से पहले बागान खुलने की उम्मीद थी.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नागराकाटा में चुनावी दौरे पर बागानों की समस्या को लेकर कुछ बोलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. इसके बाद से श्रमिक निराश हो गये हैं. चाय बागान बंद होने से परिवार के ऊपर आर्थिक संकट शुरु हो गया है.
ग्रासमोड़ चाय बागान के चाय श्रमिकों ने कहा कि बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए अन्य चाय बागानों में काम करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है. यह हमारे लिए दुर्भाग्य है. हम चाय श्रमिकों को सिर्फ 150 रुपया दैनिक मजदूरी मिलता है. हम लाचार और मजबूर हैं.
चाय श्रमिकों का बकाया मजदूरी, पीएफ, बोनस ग्रेच्युटी का करोड़ों रुपया मालिक की ओर से भुगतान नहीं कर पाने के कारण चाय बागान बंद हो गया है. खुलने की राह देखते-देखते छह माह बीत चुका है. नजदीक के केरन चाय बागान खुलने से श्रमिक काफी खुश थे, उन्हें उम्मीद थी कि बागान जल्द ही खुल जाएगा. लेकिन आज तक खुलने का कोई नाम नहीं है.
महिला चाय श्रमिक कमला दास ने बताया कि जब चाय बागान में पत्ती होता है तब चाय बागान खुलता है. जब चाय बागान में पत्ती नहीं होता है बागान बंद हो जाता है. हमलोगों ने आज तक यही अनुभव किया है. मेरा अब अवकाश ग्रहण करने का समय है. चाय श्रमिकों का भविष्य अंधकारमय है. साथ ही हमारे बच्चों का भी.
Advertisement