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मजबूत होते संबंध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिटेन यात्रा के दौरान हुए करीब एक बिलियन पाउंड के द्विपक्षीय व्यावसायिक समझौतों से आपसी संबंधों को नया आधार मिला है. यूरोपीय संघ से अलग होने की कगार पर खड़े ब्रिटेन को यूरोप से बाहर नये बाजार और निवेश की जरूरत है. भारत को भी अपनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बनाये […]

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिटेन यात्रा के दौरान हुए करीब एक बिलियन पाउंड के द्विपक्षीय व्यावसायिक समझौतों से आपसी संबंधों को नया आधार मिला है.
यूरोपीय संघ से अलग होने की कगार पर खड़े ब्रिटेन को यूरोप से बाहर नये बाजार और निवेश की जरूरत है. भारत को भी अपनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बनाये रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूदगी को बढ़ाना है. इस पृष्ठभूमि में शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शुमार इन दो देशों के बीच मुक्त व्यापार संधि की संभावना के द्वार भी खुले हैं. एक साझा वाणिज्यिक समीक्षा की सिफारिशों के मुताबिक व्यापारिक बाधाओं को दूर करने पर भी सहमति बनी है.
संयुक्त बयान में ‘वैश्विक दृष्टि और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के प्रति समर्पण’ के उल्लेख को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. ब्रेक्जिट को लेकर यूरोपीय संघ का रवैया बहुत कड़वा रहा है और जानकार ऐसी आशंका जताते हैं कि ब्रिटेन के आर्थिक हितों को भविष्य में इस रुख से नुकसान हो सकता है.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में अंतर्निहित मुक्त व्यापार के सिद्धांत और व्यवहार पर अमेरिका के संरक्षणवाद और चीन की आक्रामकता के नकारात्मक प्रभाव की शंकाएं भी निराधार नहीं हैं. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य के नियमन पर दोनों देशों का जोर देना एक जरूरी पहल है.
ब्रिटेन के लिए भारतीय प्रधानमंत्री का यह दौरा कितना अहम है, इसे दो बातों से समझा जा सकता है. स्वीडन से ब्रिटेन आ रहे प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में हवाई अड्डे पर विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन खुद मौजूद थे तथा विभिन्न आयोजनों में प्रधानमंत्री थेरेसा मे और राजकुमार चार्ल्स उनके साथ रहे. जॉनसन कॉमनवेल्थ मामलों के भी मंत्री हैं और 1997 के बाद पहली बार 53 देशों की इस संस्था का शिखर सम्मेलन ब्रिटेन में आयोजित हो रहा है.
यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद से ब्रिटेन का ध्यान कॉमनवेल्थ से हट गया था तथा दो दशकों से भारत की भी दिलचस्पी काफी कम हो गयी थी. लेकिन, ब्रेक्जिट से होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए अब ब्रिटेन कॉमनवेल्थ की ओर देख रहा है. इस आयोजन में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटेन लगातार प्रयासरत था. भारतीय प्रधानमंत्री ने भी इस बात पर जोर दिया है कि ब्रिटेन कॉमनवेल्थ देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और बेहतर करे.
इस आयोजन का मुख्य मुद्दा व्यापार ही है और यह आशा की जा सकती है कि सम्मेलन ब्रिटेन के साथ भारतीय हितों के लिए भी सकारात्मक होगा. इस यात्रा से यह उम्मीद भी बढ़ी है कि ब्रिटेन शिक्षा और रोजगार के लिए आने के इच्छुक भारतीयों के लिए वीजा और परमिट के नियमों को आसान बनायेगा.
भारत और फ्रांस के संयुक्त प्रयासों से शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में ब्रिटेन का शामिल होना भी प्रधानमंत्री मोदी के दौरे की उल्लेखनीय उपलब्धि है. भारत-ब्रिटेन व्यापारिक संबंधों की मजबूती कूटनीति के अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकती है.

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