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रेलवे को राजस्व देने में हमेशा आगे और यात्री सुविधाओं में फिसड्डी रहा है सहरसा

सहरसा : भले ही सहरसा जंक्शन रेल राजस्व में आगे हो मगर यात्री सुविधाओं में फिसड्डी साबित हो रहा है. एक ओर पूर्व मध्य रेलवे सहरसा जंक्शन को मॉडल श्रेणी स्टेशन बनाने की तैयारियों में जुटा है, वहीं प्लेटफॉर्म पर यात्री मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. पीने का पानी व शौचालय तो दूर […]

सहरसा : भले ही सहरसा जंक्शन रेल राजस्व में आगे हो मगर यात्री सुविधाओं में फिसड्डी साबित हो रहा है. एक ओर पूर्व मध्य रेलवे सहरसा जंक्शन को मॉडल श्रेणी स्टेशन बनाने की तैयारियों में जुटा है, वहीं प्लेटफॉर्म पर यात्री मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. पीने का पानी व शौचालय तो दूर तेज धूप व बारिश से बचाव के लिए प्लेटफॉर्म पर पर्याप्त शेड तक की व्यवस्था नहीं है. धूप व बारिश से बचाव के लिए यात्री फुटओवरब्रिज व आधे-अधूरे लगे शेड का सहारा ले रहें हैं.

यूं कहे तो अब तक पूरे प्लेटफॉर्म पर पर्याप्त रूप से यात्री शेड लगाने के कोई राशि ही नहीं उपलब्ध कराई. जबकि, वर्तमान में सहरसा जंक्शन पर करोडों की राशि से नये फुट ओवरब्रिज, आठ करोड की राशि से अगले दो माह में प्लेटफॉर्म नंबर दो व तीन पर स्थित सभी कार्यालय प्लेटफॉर्म नंबर एक पर शिफ्ट होने का कार्य शुरू होने वाला है.
लेकिन 600 मीटर लंबे प्लेटफॉर्म पर करीब 250 मीटर ही यात्री शेड है. पूरे प्लेटफॉर्म पर कवर शेड लगाने की दिशा में कोई योजना नहीं बनीं. बता दें कि, पिछले वर्ष डिवीजन में सहरसा जंक्शन रेल राजस्व में आगे रहा.
वर्ष 2018-19 में टिकट चेकिंग में समस्तीपुर डिवीजन में 23 करोड 15 लाख रेल राजस्व की प्राप्ति हुई. पूर्व मध्य रेलवे के सभी डिजीजन में समस्तीपुर डिवीवन नंबर वन रहा. जिसमें सहरसा ने सबसे अधिक रेल राजस्व दिया. जानकारी के मुताबिक, प्लेटफॉर्म नंबर एक व दो को मिलाकर कुल शेड 13 लगे हैं.
सिर्फ पुराने यात्री शेड के लिए मिली राशि: नये प्लेटफॉर्म की सुविधा मिलने के बाद सहरसा जंक्शन को अब पांच प्लेटफॉर्म है. जिसमें प्लेटफॉर्म नंबर एक व दो काफी पुराना है. नये प्लेटफॉर्म पर भी आधे-अधूरे शेड लगाये गये हैं.
जबकि एक व दो पर पुराने शेड को बदल कर नये शेड लगाने के लिए एक से डेढ़ करोड़ की राशि उपलब्ध करायी है. कॉन्ट्रैक्टर ने बताया कि अभी सिर्फ पुराने यात्री शेड बदलने के लिए ही निर्देश मिला है. सहरसा जंक्शन से दिल्ली, मुंबई सहित विभिन्न जगहों के लिए ट्रेनें खुलती है. लंबी दूरी की ट्रेनें 24 कोच की होती है.
ऐसे में ट्रेनों के आगमन व प्रस्थान की सूचना पर यात्रियों को तेज धूप व बारिश में खड़ा रहकर ट्रेनों का इंतजार करना पड़ता है. कई बार तेज धूप की वजह से यात्री बेहोश तक हो जाते हैं. अगर बारिश हुई तो ट्रेन छोड़कर यात्री छिपने की जगह ढूढ़ने में लग जाते हैं.
कहते हैं रेल यात्री: रेल यात्री प्रीतम, अमित व आशीष सिन्हा बताते हैं कि प्लेटफॉर्म पर मूलभूत सुविधाओं के साथ यात्री शेड का अभाव है. लंबी दूरी की ट्रेनें वैशाली, गरीब रथ, बांद्रा हमसफर ट्रेनें प्लेटफॉर्म नंबर दो से खुलती है. इस प्लेटफॉर्म पर पूरा शेड नहीं लगा है. तेज धूप में खड़ा रहकर ट्रेनों का इंतजार करना पड़ता है. अगर बारिश हुई तो इधर-उधर भागना पड़ता है.
अप व डाउन में 58 ट्रेनों का है ठहराव
सहरसा जंक्शन पर अप व डाउन में 58 ट्रेनों का ठहराव है. यहां से वैशाली, बांद्रा हमसफर, चंपारण हमसफर व गरीब रथ जैसी ट्रेनों का परिचालन होता है. सामान्य दिनों में 20-25 हजार यात्रियों की आवाजाही होती है. सामान्य दिनों में 15-20 लाख व अन्य दिनों में 40 लाख तक रेल राजस्व की प्राप्ति रोजाना होती है. बावजूद इसके यात्री सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
पिछले वर्ष भी प्लेटफॉर्म पर पर्याप्त यात्री शेड लगाने के लिए राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी थी. रेल सूत्रों की मानें तो यात्री शेड का बजट आने के बाद राशि उपलब्ध करायी जायेगी. प्लेटफॉर्म पर पर्याप्त शेड नहीं से रेल यात्री परेशानी झेल रहे हैं. इस बात को रेल प्रशासन भी मान रहा है.
सहरसा जंक्शन पर यात्री सुविधाओं के विस्तार के लिए कई कार्य किये जा रहे हैं. नये फुटओवरब्रिज से लेकर सर्कुलेटिंग एरिया, नया स्टेशन व भवन का निर्माण कार्य लगभग शुरू किया गया है. प्लेटफॉर्म नंबर दो पर यात्री शेड के विस्तार के लिए पिछले वर्ष राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी थी. लेकिन जैसे ही राशि आएगी पर्याप्त मात्रा में यात्री शेड लगाने का निर्देश दिया जायेगा.
आरके जैन, डीआरएम समस्तीपुर डिवीजन
पुराने शेड को बदलकर नया शेड लगाया जा रहा है. वहीं प्लेटफॉर्म नंबर एक व दो पर यात्री शेड को ऊंचा भी किया जा रहा है. इसके अलावा यात्री सुविधाओं से जुडी कई कार्य किये जा रहे हैं. प्लेटफॉर्म नंबर एक व दो पर यात्री सुविधा के लिए पर्याप्त शेड लगाया जायेगा. इसके लिए डिवीजन स्तर रेल अधिकारियों को अवगत करायेंगे.
मनोज कुमार, एडीइएन

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