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रांची : 47.08% लोगों की प्राथमिकता है रोजगार के बेहतर अवसर
रांची : राज्य के 47.08% लोगों (शहरी व ग्रामीण) की प्राथमिकता रोजगार के बेहतर अवसर हैं. दूसरी प्राथमिकता अच्छे हेल्थकेयर सेंटर अौर अस्पताल की गिनायी है. इस तरह 40.08 प्रतिशत लोगों ने स्वास्थ्य सेवा को दूसरी प्राथमिकता दी है. जबकि 34.51 प्रतिशत लोगों ने बेहतर विधि व्यवस्था को तीसरी प्राथमिकता दी है. यह खुलासा झारखंड […]
रांची : राज्य के 47.08% लोगों (शहरी व ग्रामीण) की प्राथमिकता रोजगार के बेहतर अवसर हैं. दूसरी प्राथमिकता अच्छे हेल्थकेयर सेंटर अौर अस्पताल की गिनायी है. इस तरह 40.08 प्रतिशत लोगों ने स्वास्थ्य सेवा को दूसरी प्राथमिकता दी है. जबकि 34.51 प्रतिशत लोगों ने बेहतर विधि व्यवस्था को तीसरी प्राथमिकता दी है.
यह खुलासा झारखंड इलेक्शन वॉच अौर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की सर्वे रिपोर्ट में किया गया है. गुरुवार को प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में इन दोनों संस्थाअों से जुड़े सुधीर पाल, डॉ वीपी पांडे, रेणु प्रकाश अौर स्निग्धा ने रिपोर्ट में आये तथ्यों की जानकारी दी. श्री पाल ने कहा कि झारखंड में 14 लोकसभा सीटों पर पिछले साल अक्तूबर से दिसंबर के बीच सर्वे हुआ था.
सर्वे का उद्देश्य यह समझना था कि शहरी अौर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की प्राथमिकताएं क्या हैं? इन प्राथमिकताअों पर सरकार का परफॉर्मेंस क्या है अौर वोट डालते समय वोटर का व्यवहार क्या होता है यानी वोटर क्या सोच/समझकर वोट डालते हैं. सर्वे में ग्रामीण क्षेत्र के वोटर्स की प्राथमिकताएं भी गिनायी गयी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी 47 प्रतिशत लोग की पहली प्राथमिकता रोजगार अौर आजीविका है. 42 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें कृषि के लिए बीज अौर खाद की खरीद में छूट मिले. 40 प्रतिशत लोगों ने कृषि के लिए बिजली को प्राथमिकता दी है.
वहीं, शहरी क्षेत्र के 55 प्रतिशत लोगों ने अपनी प्राथमिकता बेहतर विधि व्यवस्था गिनायी. 48 प्रतिशत लोगों ने बेहतर रोजगार के अवसर अौर 46 प्रतिशत लोगों ने बेहतर अस्पताल अौर प्राइमरी स्वास्थ्य सुविधाएं को अपनी प्राथमिकता दी है. मतदान के समय वोटर्स के व्यवहार पर सर्वे में बताया गया है कि 50% लोग प्रत्याशी को महत्वपूर्ण मानते हैं. 48% लोग प्रत्याशी की पार्टी को महत्वपूर्ण मानते हैं.
72% लोग इस बात पर वोट डालते हैं कि प्रत्याशी उनकी जाति या धर्म का है. सर्वे से यह भी पता चला कि लोग यह तो मानते हैं कि क्रिमिनल बैकग्राउंड के प्रत्याशी संसद या विधानसभा में नहीं पहुंचने चाहिए. इसके बावजूद भी ऐसे प्रत्याशी को लोग जिताते हैं. क्रिमिनल बैकग्रांउड या दबंग छवि के प्रत्याशी के जीतने की संभावना 13 प्रतिशत ज्यादा होती है.
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