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रांची : शाह ब्रदर्स के माइंस लीज मामले में यथास्थिति बहाल रखें
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मंगलवार को माइनिंग लीज समाप्त करने संबंधी राज्य सरकार के आदेश को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया. अदालत ने राज्य सरकार को प्रति शपथ पत्र के माध्यम से […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मंगलवार को माइनिंग लीज समाप्त करने संबंधी राज्य सरकार के आदेश को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया. अदालत ने राज्य सरकार को प्रति शपथ पत्र के माध्यम से 24 जनवरी तक जवाब दाखिल करने काे कहा. साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि यदि आपको भी कुछ कहना है, तो जवाब दाखिल कर दें. अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 30 जनवरी की तिथि निर्धारित की.
इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता अमरेंद्र शरण, अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार के चार जनवरी 2019 का आदेश नियमानुसार नहीं है. पूरी तरह से गलत है.
उन्होंने कहा कि जिस प्राधिकार द्वारा नोटिस जारी किया गया था, उसने सुनवाई नहीं की. जिसने सुनवाई की, उसके द्वारा आदेश पारित नहीं किया गया. मामले की सुनवाई राजस्व पर्षद के सदस्य ने की, जबकि आदेश राज्य सरकार ने पारित किया. हमारा पक्ष भी नहीं सुना गया. इसे न्यायोचित नहीं कहा जा सकता. वहीं केंद्र सरकार की अोर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा व राज्य सरकार की अोर से महाधिवक्ता अजीत कुमार ने प्रार्थी शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज समाप्त करने के आदेश को सही ठहराया. महाधिवक्ता ने प्रार्थी की दलील का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में प्रार्थी को राहत नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने प्रतिशपथ पत्र दायर करने की बात कही.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मेसर्स शाह ब्रदर्स ने याचिका दायर कर करपदा चाईबासा के आयरन अोर माइंस का लीज समाप्त करने संबंधी राज्य सरकार के आदेश को चुनाैती दी है. सरकार ने चार जनवरी 2019 को आदेश जारी कर माइनिंग लीज समाप्त कर दिया था. आदेश में कहा गया था कि मेसर्स शाह ब्रदर्स द्वारा 15 दिनों के अंदर माइनिंग लीज का कब्जा जिला खनन पदाधिकारी चाईबासा को साैंप दिया जाये.
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