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रांची : सरकारी स्कूलों की कक्षा दो के 32.2% बच्चे नहीं पहचानते अक्षर, सात के 75% नहीं बना पाते घटाव

स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति में हुआ सुधार, पर बच्चों की उपस्थिति में नहीं रांची : राज्य में शिक्षा विभाग के काफी प्रयास के बाद भी स्कूली बच्चों के शैक्षणिक स्तर में आशा के अनुरूप सुधार नहीं हो पा रहा है. असर 2018 के जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के सरकारी स्कूल […]

स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति में हुआ सुधार, पर बच्चों की उपस्थिति में नहीं
रांची : राज्य में शिक्षा विभाग के काफी प्रयास के बाद भी स्कूली बच्चों के शैक्षणिक स्तर में आशा के अनुरूप सुधार नहीं हो पा रहा है. असर 2018 के जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा एक के आधे से अधिक बच्चे अक्षर भी नहीं पहचान पाते हैं.
सर्वे में राज्य के 24 जिलों के 720 गांव के 14423 घर के 28585 बच्चों को शामिल किया गया. असर 2018 की रिपोर्ट मंगलवार को दिल्ली में जारी किया गया. रिपोर्ट के अनुसार कक्षा एक के 53.1 फीसदी बच्चे अक्षर भी नहीं पहचान पाते हैं. कक्षा एक के पात्र 9.1 फीसदी बच्चे ही शब्द पहचान पाते हैं.
कक्षा दो के 32.2 फीसदी, कक्षा तीन के 17.1 फीसदी, कक्षा चार के 9.7 फीसदी, कक्षा पांच के आठ फीसदी, कक्षा छह के 4.9 फीसदी, कक्षा सात के 2.3 फीसदी व कक्षा आठ के 1.8 फीसदी बच्चे अक्षर नहीं पहचान पाते हैं. कक्षा एक के मात्र 4.6 फीसदी बच्चे ही अपनी कक्षा की किताब पढ़ पाते हैं. कक्षा सात के 20.7 फीसदी बच्चे ही कक्षा एक के स्तर का किताब ठीक से पढ़ पाते हैं. राज्य के सरकारी स्कूलों की कक्षा पांच के आधे से कम बच्चे ही दो के स्तर का पाठ पढ़ पाते हैं. राज्य की कक्षा पांच के 34.3 फीसदी बच्चे ही कक्षा दो के स्तर का पाठ पढ़ पाते हैं.
असर 2018 की रिपोर्ट जारी
कक्षा एक के 45.4 फीसदी बच्चे नौ तक का अंक नहीं पहचान पाते
राज्य में गणित में भी बच्चों के पठन-पाठन की स्थिति बेहतर नहीं है. कक्षा एक के 45.4 फीसदी बच्चे नौ तक का अंक नहीं पहचान पाते हैं. कक्षा दाे में 23.6 फीसदी, कक्षा तीन में 12 फीसदी, कक्षा चार में छह फीसदी, कक्षा पांच में 4.6 फीसदी, कक्षा छह में 3.4 फीसदी कक्षा सात में 1.5 फीसदी व कक्षा आठ के 1.2 फीसदी बच्चे नौ तक का अंक नहीं पहचान पाते हैं.
कक्षा एक के मात्र 4.4 फीसदी, दो के 8.6 फीसदी, तीन के 13.8 फीसदी, चार के 17.7 फीसदी, पांच के 23.2 फीसदी, कक्षा छह के 26.2 फीसदी, कक्षा सात के 25 फीसदी व कक्षा आठ के 24.2 फीसदी बच्चे घटाव बना पाते हैं. ऐसे में कक्षा सात के 75 फीसदी बच्चे घटाव नहीं बना पाते हैं.
कक्षा आठ के 56 फीसदी बच्चे नहीं बना पाते भाग
असर 2018 की रिपोर्ट के अनुसार कक्षा एक के मात्र 1.6 फीसदी, कक्षा दो के 2.9 फीसदी, कक्षा तीन के 8.7 फीसदी, कक्षा सात के 14.7 फीसदी, कक्षा पांच के 19.1 फीसदी, कक्षा छह के 27.4 फीसदी, कक्षा सात के 36.4 फीसदी व कक्षा आठ के 44 फीसदी बच्चे ही भाग बना पाते हैं. सरकारी विद्यालयों में पढ़नेवाले कक्षा आठ के 56 प्रतिशत बच्चे भाग नहीं बना पाते हैं.
गणित की पढ़ाई का स्तर
कक्षा नौ तक का अंक पहचानते घटाव जानतेे भाग जानते
एक 45.4 4.4 1.6
दो 23.6 8.6 8.7
तीन 12 13.8 8.7
चार 6 17.7 14.7
पांच 4.6 23.2 19.1
छह 3.4 26.2 27.4
सात 1.5 23 36.4
आठ 1.2 24.2 44
स्कूलों के संसाधन में हुआ सुधार
मध्याह्न भोजन के लिए विद्यालयों में रसोई की सुविधा 88.7फीसदी
विद्यालयों में प्रयोग के लायक शौचालय 74.9 फीसदी
लड़कियों के लिए अलग से शौचालय वाले विद्यालय 72.5 फीसदी
स्कूलों के शौचालय में ताला बंद था 8.6 फीसदी
विद्यालय में बच्चों द्वारा पुस्तकालय का उपयोग 50.5 फीसदी
विद्यालयों में बिजली का कनेक्शन 78.4 फीसदी
बच्चों के प्रयोग के लिए कंप्यूटर उपलब्ध नहीं 93.4 फीसदी
विद्यालयों में बढ़ी शिक्षकों की उपस्थिति
असर की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति में सुधार हुआ है. कक्षा एक से पांच में बच्चों की अौसत उपस्थिति वर्ष 2010 में 62.3 फीसदी, वर्ष 2014 में 61.7 फीसदी, वर्ष 2016 में 66 फीसदी व वर्ष 2018 में 65.5 फीसदी रही. शिक्षकों की उपस्थिति वर्ष 2010 में 89.4 फीसदी, वर्ष 2014 में 91 फीसदी, वर्ष 2016 में 84.6 व वर्ष 2018 में 92 फीसदी रही. उच्च प्राथमिक कक्षा में बच्चों की अौसत उपस्थिति वर्ष 2010 में 58.7 फीसदी, वर्ष 2014 में 56.5 फीसदी, वर्ष 2016 में 60.9 फीसदी व वर्ष 2018 में 60.1 फीसदी रही. शिक्षकों की उपस्थिति वर्ष 2010 में 81.8 फीसदी, वर्ष 2014 में 87.6 फीसदी, वर्ष 2016 में 70.1 व वर्ष 2018 में 89.7 फीसदी रही.
स्कूल जानेवाली लड़कियों की संख्या में बढ़ोतरी
रिपोर्ट के अनुसार स्कूल जानेवाली लड़कियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2006 में 11 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियों की संख्या 13 फीसदी थी. वर्ष 2018 में यह संख्या घटकर 3.4 फीसदी रह गयी. कक्षा छह के 14 आयु वर्ग के 2.7 फीसदी बच्चे अब भी स्कूल से बाहर हैं.

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