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देवघर में बननी है करीब 26 किलोमीटर लंबी सड़क, मंत्रियों के कारण एक दिन बाद खुला 57 करोड़ रुपये का टेंडर!
मनोज सिंह रांची : राज्य के दो मंत्रियों में सहमति नहीं बन पाने के कारण पथ निर्माण विभाग का एक टेंडर समय पर नहीं खुल पाया. दोनों मंत्रियों में सहमति के बाद तय तिथि के दूसरे दिन टेंडर खोला गया. पथ निर्माण विभाग द्वारा देवघर पथ प्रमंडल के शहरजोरी मोड़ से आसनबनी, अलकबरा, दुमदुमी, दनरबाद, […]
मनोज सिंह
रांची : राज्य के दो मंत्रियों में सहमति नहीं बन पाने के कारण पथ निर्माण विभाग का एक टेंडर समय पर नहीं खुल पाया. दोनों मंत्रियों में सहमति के बाद तय तिथि के दूसरे दिन टेंडर खोला गया.
पथ निर्माण विभाग द्वारा देवघर पथ प्रमंडल के शहरजोरी मोड़ से आसनबनी, अलकबरा, दुमदुमी, दनरबाद, कराैं सड़क (करीब 26 किमी) का चौड़ीकरण व मजबूतीकरण किया जाना है. इसके लिए कुल 57 करोड़ 40 लाख रुपये का इस्टीमेट बनाया गया है. इस सड़क के लिए पथ निर्माण विभाग ने 20 नवंबर को टेंडर निकाला था. संवेदकों के लिए हार्डकॉपी जमा करने की अंतिम तिथि 10 दिसंबर को 12 बजे तक रखी गयी थी. इसी दिन 12.30 बजे टेंडर का टेक्निकल बिड खुलने का समय तय था. लेकिन, विभाग ने इसका टेंडर तय तिथि के एक दिन बाद यानी 11 दिसंबर को खोला.
इसका जिक्र पथ निर्माण विभाग ने विभागीय निविदा समिति की बैठक में किया है. बैठक 17 दिसंबर को हुई थी. इसमें समिति के अध्यक्ष सह पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख रास बिहारी सिंह, संयुक्त सचिव सह निविदा समिति के सदस्य संजय कुमार प्रसाद और मुख्य अभियंता सह सदस्य मदन कुमार मौजूद थे.
इस काम के लिए देवघर के मनोज कुमार सिंह-सुजाता उदित बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड की संयुक्त इकाई ने टेंडर डाला था. इसके अतिरिक्त धनबाद के दारोगा प्रधान और क्लासिक इंजीकॉन प्राइवेट लिमिटेड ने भी टेंडर डाला था.
हार्ड कॉपी ही जमा नहीं किया एक कंपनी ने : इस काम के लिए तीन कंपनियों ने ऑनलाइन टेंडर डाला था. इसमें एक कंपनी ने 10 तारीख को हार्ड कॉपी विभाग में जमा करा कर रिसिविंग तो ले ली, लेकिन रजिस्टर में इंट्री नहीं करायी. रजिस्टर में हार्ड कॉपी जमा नहीं होने के कारण इस कंपनी के ऑनलाइन टेंडर पेपर पर विचार ही नहीं किया गया. इसके बाद निविदा में दो ही कंपनियां रह गयी थीं.
क्या है टेंडर खुलने की प्रक्रिया
पथ निर्माण विभाग की योजनाअों में अॉनलाइन टेंडर भरने का प्रावधान है. ऑनलाइन टेंडर भरने के बाद ठेकेदार को उसकी हार्डकॉपी जमा करनी पड़ती है. इसके लिए तिथि तय रहती है. टेंडर प्रकाशन में सबका जिक्र होता है.
इसमें टेक्निकल या अन्य बिड खोलने की तिथि और समय भी होते हैं. टेंडर कमेटी के सदस्यों की उपस्थिति में टेंडर खोलना होता है. अगर किसी कारणवश टेंडर नहीं खुला तो, तो इसकी लिखित सूचना विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ-साथ टेंडर में हिस्सा लेने वाली कंपनियों को भी देनी होती है.
10 दिसंबर को खुलना था, खुला 11 को
दो मंत्रियों ने मिलकर किया खेल
बताया जाता है कि इस टेंडर को मैनेज करने का काम राज्य के दो मंत्रियों ने मिल कर किया. इसमें दोनों मंत्रियों के करीबियों ने टेंडर डाला था. काफी बात करने के बाद भी दोनों कंपनियां टेंडर वापस लेने के लिए तैयार नहीं थी.
बाद में 10 दिसंबर को राजधानी में कैबिनेट की बैठक के बाद दोनों मंत्रियों की बैठक हुई. इसमें समझौता होने के बाद एक कंपनी ने टेंडर हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया. चूंकि 10 को कैबिनेट की बैठक के बाद दोनों मंत्रियों में सहमति बनी. इसके बाद पथ निर्माण विभाग ने आगे की प्रक्रिया करते हुए 11 दिसंबर को टेंडर खोला.
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