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आंगनबाड़ी सेवाओं में केरल से अभी भी काफी पीछे है झारखंड

रांची : आंगनबाड़ी केंद्रों में दी जाने वाली मुख्यतः छः सेवाएं पूरक आहार, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, रेफरल सेवाएं, स्कूल पूर्व शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता के आधार पर झारखंड राज्य केरल से बहुत पिछड़ा है. वर्तमान में झारखंड में आंगनबाड़ी सेविका के 38,432 पद अनुमोदित हैं, जिसमें 796 सहायिका की सीटें रिक्त हैं. […]

रांची : आंगनबाड़ी केंद्रों में दी जाने वाली मुख्यतः छः सेवाएं पूरक आहार, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, रेफरल सेवाएं, स्कूल पूर्व शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता के आधार पर झारखंड राज्य केरल से बहुत पिछड़ा है. वर्तमान में झारखंड में आंगनबाड़ी सेविका के 38,432 पद अनुमोदित हैं, जिसमें 796 सहायिका की सीटें रिक्त हैं.
कई जगहों पर आंगनबाड़ी का अपना भवन नहीं है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर काम का बोझ अधिक है और उन्हें प्रतिमाह सिर्फ 4,400 रुपये ही मानदेय दिया जाता है. ज्यादातर केंद्रों में स्कूल पूर्व शिक्षा की अनदेखी की जाती है, जो पोषक आहार जितना महत्वपूर्ण है़ आंगनबाड़ी केंद्रों में समुदाय की भागीदारी नगण्य है.
ये निष्कर्ष पब्लिक हेल्थ रिसोर्स नेटवर्क व मोबाइल क्रेच संस्था द्वारा झारखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों पर किये अध्ययन में सामने आये हैं. शुक्रवार को इसकी जानकारी एसडीसी सभागार, पुरुलिया रोड में दी गयी़
अध्ययन में यह भी पाया गया कि विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया ने केरल में आंगनबाड़ी केंद्रों में दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता को विकसित किया है़
दिल्ली सरकार ने कुछ हद तक विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया शुरू की है और मोहल्ला सभा को 10 लाख तक की राशि खर्च करने की अधिकार दिया है.
इसके साथ ही पोषक आहार का बजट छह रुपये से 12 रुपये और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय भी 5,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया है़ इससे वहां इस क्षेत्र में काफी सुधार नजर आता है़
संगोष्ठी में आये सुझाव : संगोष्ठी में पीएचआरएन की शंपा राय, सुनील कुमार ठाकुर, राजेश श्रीवास्तव, अभिकल्प मिश्रा, मोबाइल क्रेच के चीराश्री घोष, राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर, खाद्य आयोग के सदस्य हलधर महतो, टीआरआई के पंकज जीवराजका, राइट टू फूड के बलराम, जपाइगो के सुरंजन प्रसाद, एकजुट की स्वाति, श्रीजन फाउंडेशन के विकास ने अपने सुझाव दिये. यह कहा गया कि आंगनबाड़ी सेवाओं में पंचायती राज व्यवस्था की सहभागिता व सहयोग बढ़ना चाहिए़
इससे विकेंद्रीकरण की पद्धति लागू हो सकती है. आंगनबाड़ी की समस्याओं को राजनीति के केंद्र में लाने की जरूरत है क्योंकि यह महिलाओं व बच्चों से संबंधित एक महत्वपूर्ण सेवा है़
दो जिले के 20 आंगनबाड़ी केंद्रों का किया अध्ययन : आंकड़ों के लिए राज्य के दो जिले रांची एवं गुमला के 10-10 आंगनबाड़ी केंद्रों का अध्ययन किया गया. वहां के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सीडीपीओ, आइसीडीएस के निदेशक, माता-पिता, समुदाय के लोग, क्षेत्रीय नेताओं व पंचायती राज प्रतिनिधियों से बातचीत की गयी़

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