26.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

वोट बैंक पॉलिटिक्स : अतिपिछड़ा वर्ग जिस तरफ झुका, बनी उसकी सरकार, साधने में लगे सभी राजनीतिक दल

सुमित कुमार पटना : लोकसभा चुनाव की आहट के साथ ही सूबे में वोट बैंक पॉलिटिक्स की शुरुआत हो गयी है. तमाम राजनीतिक दल जातीय समूहों को अपने पक्ष में आकर्षित करने के लिए प्रखंड से लेकर जिला स्तर पर सम्मेलनों के आयोजन में जुट गये हैं. हर पार्टी खुद को हर एक जातीय समूह […]

सुमित कुमार
पटना : लोकसभा चुनाव की आहट के साथ ही सूबे में वोट बैंक पॉलिटिक्स की शुरुआत हो गयी है. तमाम राजनीतिक दल जातीय समूहों को अपने पक्ष में आकर्षित करने के लिए प्रखंड से लेकर जिला स्तर पर सम्मेलनों के आयोजन में जुट गये हैं.
हर पार्टी खुद को हर एक जातीय समूह का हितैषी साबित करने में लगी है. पॉलिटिकल परसेप्शन के हिसाब से सवर्णों को भाजपा या कांग्रेस, पिछड़ी जातियों में यादव व मुस्लिम को राजद, कुर्मी व कोईरी को जदयू-रालोसपा, दलित-महादलितों को लोजपा या हम पार्टी का बेस वोटर माना जाता है. ऐसे में कई चुनावों में निर्णायक रही अतिपिछड़ा जाति के वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए सभी दलों ने जोर लगाना शुरू कर दिया है.
जिस तरफ झुके, बनायी उसकी सरकार
राजनीतिक पंडितों के मुताबिक आबादी के 35 से 40 फीसदी और 113
जातियों के समूह वाली अतिपिछड़ा वर्ग पर हर दल की दावेदारी रही है. वर्ष 1990 में लालू प्रसाद ने इसी जाति समूह के दो फीसदी से कम आबादी वाले 15-16 जातियों को सांसद-विधायक बनाने का काम किया. इनके समर्थन की वजह से ही अगले पंद्रह वर्षों तक उनकी सत्ता कायम रही. लेकिन, वर्ष 2005 मेंनीतीश कुमार ने पंचायती राज व्यवस्था के चुनावों में अतिपिछड़ों को 20 फीसदी और अनुसूचित जाति-जनजाति को 17 फीसदी आरक्षण देकर बाजी पलट दी.
अतिपिछड़ों ने इसके चलते नीतीश को मसीहा माना और वे मजबूती से जदयू की तरफ जुड़ते चले गये. हालांकि, सशक्त कही जाने वाली पिछड़ी जातियां तेली, चौरसिया और दांगी जाति को बगैर कोटा बढ़ाये अतिपिछड़ा में शामिल किये जाने पर अतिपिछड़ा के अंदर दूसरी जातियों में नाराजगी की बात भी कही जा रही है.
भाजपा डाल रही डोरे, राजद भी कर रहा तैयारी
विश्लेषकों की मानें तो अतिपिछड़ों को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा भी उन पर डोरे डाल रही है. वर्तमान में जदयू के तीन मंत्रियों के मुकाबले भाजपा ने चार अतिपिछड़ा वर्ग के जन प्रतिनिधियों को मंत्री बनाया है. इसके साथ ही पार्टी के सांगठनिक पदों पर भी उनको उचित जगह दी गयी है.
पार्टी के लोग पीएम मोदी को भी अतिपिछड़ा बता कर उनके नाम पर समर्थन मांग रहे हैं. राजद भी अतिपिछड़ों को अपने समर्थन में जोड़ने के लिए तीन नवंबर को राज्यस्तरीय सम्मेलन का आयोजन करेगा. इसके बाद दिसंबर या जनवरी में अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ की गांधी मैदान में बड़ी रैली आयोजित करने की भी तैयारी है.
लेकिन, राजद के साथ दिक्कत है कि वे अतिपिछड़ों को पार्टी या सरकार में उचित प्रतिनिधित्व नहीं दे पा रहे. पिछले विधानसभा चुनाव में राजद ने 103 सीटों में से महज चार पर अतिपिछड़ों को टिकट दिया, जिनमें तीन जीत कर आये. उनमें भी मात्र एक को मंत्री बनाया गया था. इसी तरह, पार्टी के अधिकतर सांगठनिक पदों पर यादव-मुसलमानों का ही कब्जा है.
जदयू अतिपिछड़ों की बेस पार्टी है. हमारा उद्देश्य समाज के लोगों के घर-घर तक सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को पहुंचाना है, ताकि उनकी चेतना जगायी जा सके. जदयू कर्पूरी ठाकुर के विचारों को मानने और उनको फॉलो करने वाली पार्टी है.
– लक्ष्मेश्वर राय, अध्यक्ष, अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ, जदयू
प्रधानमंत्री मोदी के रूप में अतिपिछड़ों का बड़ा नेता हमारे पास है. हमने सात अक्टूबर को झंझारपुर (खुटौना) से क्षेत्रीय अतिपिछड़ा समागम की शुरुआत कर दी है. इसमें बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव भी पहुंचे थे. यह पूरे नवंबर महीने तक चलेगा. इसके बाद लोकसभावार कार्यक्रम चलाये जायेंगे.
– जयनाथ चौहान, अध्यक्ष, अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ, भाजपा
अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ की जिला व प्रदेश स्तरीय कमेटी तैयार कर ली गयी है. तीन नवंबर को होने वाले सम्मेलन में सभी 534 प्रखंडों से कम से कम 25 लोगों को पटना लाने का लक्ष्य रखा गया है. प्रखंड के बाद पंचायत कमेटी तैयार कर गांधी मैदान में सम्मेलन करेंगे, जिसमें दो लाख अतिपिछड़ों की सशक्त उपस्थिति दिखायेंगे.
– प्रो रामबली चंद्रवंशी, अध्यक्ष अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ, राजद

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें