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प्रखंडवासियों के अब भी नहीं भरे कुशहा त्रासदी में मिले जख्म

शंकरपुर : प्रखंड क्षेत्र में कुसहा त्रासदी आये दस वर्ष गुजरने को है लेकिन आज भी प्रखंड के लोग विकासोन्मुखी प्रक्रिया से वंचित रहकर कृषि, उद्योग, शुद्ध पेय जल, ग्रामीण सड़कें, जलजमाव, पुल-पुलिया आदि बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है. संपूर्ण क्षेत्र की अधिकतम आबादी की जीविका कृषि पर आधारित है. आज भी रोजगार के […]

शंकरपुर : प्रखंड क्षेत्र में कुसहा त्रासदी आये दस वर्ष गुजरने को है लेकिन आज भी प्रखंड के लोग विकासोन्मुखी प्रक्रिया से वंचित रहकर कृषि, उद्योग, शुद्ध पेय जल, ग्रामीण सड़कें, जलजमाव, पुल-पुलिया आदि बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है. संपूर्ण क्षेत्र की अधिकतम आबादी की जीविका कृषि पर आधारित है. आज भी रोजगार के आभाव में भूखे पेट एवं परिवार के जरूरतों के खातिर दूसरे प्रदेश पलायन की दर्द भरी त्रासदी झेलने को यहां के किसान, मजदुर अभिशप्त है.

2008 के बाढ़ में हुआ था दर्जनों पुल पुलिया ध्वस्त : मालूम हो कि प्रखंड क्षेत्र में 2008 ई में आये प्रलयंकारी कुसहा त्रासदी में प्रखंड क्षेत्र के आधा दर्जन नदी पर बने पुल पुलिया पूरी तरह ध्वस्त हो गया था.
जिसमें बरियाही जाने वाली मार्ग में लाही के समीप नदी पर बने पुल मधैली से रायभीर की ओर जाने वाली मार्ग में नदी पर बने पुल शंकरपुर से त्रिवेणीगंज को जाने वाली मुख्य मार्ग में झरकहा से समीप नदी पर बने पुल के साथ-साथ कई मार्ग के पुल पुलिया कुसहा त्रासदी के दौरान चपेट में आकर टूटकर बर्बाद हो गया था.
जो आज भी अपने बदहाली पर राज नेताओं ओर स्थानीय जनप्रतिनिधियों को मुह चिढ़ा रहे है. जबकि कई जगह नदी पर पुल की मांग को लेकर ग्रामीणों के द्वारा धरना परदर्शन के साथ-साथ सांसद एवं एमएलए को भी अपना मांग पत्र सौंपा गया था.
लेकिन कई वर्ष बीतने के बाद भी पुल का निर्माण नहीं हो पाया है. आज भी बथान परसा से बरियाही जाने वाली सड़क में नदी पर बना बांस का चचरी लोगों का सहारा भलुआहा नदी घाट बेहरारी के धोबियाही घाट पर लोगों को पार होने के लिए उफनती नदी में जान का बाजी लगाकर पार होना परता है.
शुद्ध पेय जल बना लोगों के लिए मजाक : आम लोगों के लिये मिलने वाले शुद्ध पेयजल स्थानीय जनप्रतिनिधि जिला प्रशासन व स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के खोखले दावे की पोल खोल रहा है. प्रखंड सहित प्रखंड क्षेत्र में लोगों को शुद्ध एवं आयरन मुक्त पानी पीने के लिये बनाया गया. जलमीनार सयंत्र विभागीय देख रेख के आभाव में बेकार साबित हो रहे है नतीजा दूषित जल पीना लोगों की मजबूरी हो गई है. यहां बता दे कि शंकरपुर प्रखंड मुख्यालय में बने जलमीनार से तो पानी निकलता है.
लेकिन वह लोगों को पीने के लिए नहीं बल्कि सड़क पर पाइप लाइन से पानी रिसाव होकर सड़क की स्थिति नारकीय बनाने के लिये है. इसको लेकर कई बार पीएचइडी विभाग को अवगत कराया गया. लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं हो सका. वही मोरा झरकहा पंचायत के भाठी में लाखों की लागत से बने जलमीनार शोभा की बस्तु बन कर लोगों को चिढ़ा रहा है.
ग्रामीण सड़कों की स्थिति है नारकीय : रामपुर लाही पंचायत के नया नगर से गाढ़ा रामपुर की एवं जाने वाली करीब पांच किमी लंबी मुख्य सड़क की इतनी बदतर स्थिति है कि किसी भी आपात स्थिति में लोगों को उस रास्ते से चलना खतरे से खाली नहीं होता है. ऐसा ही हाल प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों ग्रामीण सड़कों की है जो अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

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