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थोक मुद्रास्फीति अक्टूबर में गिरकर साढ़े तीन साल का सबसे निचले स्तर पर

नयी दिल्ली : विनिर्मित उत्पादों के दाम में नरमी से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में गिरकर 0.16 फीसदी पर आ गयी. यह इसका पिछले करीब साढ़े तीन साल का सबसे निचला स्तर है. हालांकि, खाद्य सामग्रियों के दाम ऊंचे बने हुए हैं. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी […]

नयी दिल्ली : विनिर्मित उत्पादों के दाम में नरमी से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में गिरकर 0.16 फीसदी पर आ गयी. यह इसका पिछले करीब साढ़े तीन साल का सबसे निचला स्तर है. हालांकि, खाद्य सामग्रियों के दाम ऊंचे बने हुए हैं. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है. इससे पहले, जून 2016 में थोक मुद्रास्फीति अपने सबसे निचले स्तर पर यानी शून्य से 0.1 फीसदी नीचे चली गयी थी. हालांकि सितंबर 2019 में यह 0.33 फीसदी रही, जबकि मासिक थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर 2018 में 5.54 फीसदी थी.

आंकड़ों के मुताबिक, खाने-पीने के सामान की मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने के दौरान बढ़कर 9.80 फीसदी पर रही, जबकि गैर-खाद्य उत्पाद वर्ग की मुद्रास्फीति 2.35 फीसदी पर रही. आलू में थोक मुद्रास्फीति नकारात्मक ही रही. अक्टूबर में यह शून्य से 19.60 फीसदी नीचे रही, जो सितंबर में शून्य से 22.50 फीसदी नीचे थी. हालांकि, सब्जियों के दाम बढ़ने से अक्टूबर महीने में थोक मुद्रास्फीति 38.91 फीसदी पर पहुंच गयी, जो सितंबर में 19.43 फीसदी थी.

वहीं, दालों की कीमतों में भी तेजी देखी गयी. इसमें थेाक मुद्रास्फीति 16.57 फीसदी पर बनी रही. फिलहाल, यह पिछले महीने के 17.94 फीसदी से कम है. फल श्रेणी में थोक मुद्रास्फीति पिछले महीने के 6.67 फीसदी के मुकाबले घटकर 2.72 फीसदी पर आ गयी, जबकि विनिर्माण उत्पाद के लिए थोक मुद्रास्फीति इसी महीने शून्य से 0.84 फीसदी नीचे रही.

रेटिंग एजेंसी इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पिछले महीने की तुलना में अक्टूबर 2019 में थोक मुद्रास्फीति गिरने की अहम वजह ईंधन एवं बिजली, खनिज, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों का नरम पड़ना है. ईंधन और बिजली श्रेणी में थोक मुद्रास्फीति शून्य से 8.27 फीसदी नीचे रही है.

एमके ग्लोबल फाइनेंस सर्विसेस में मुद्रा शोध प्रमुख राहुल गुप्ता ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति के आंकड़े दिखाते हैं कि रसायन उत्पाद, धातु और विनिर्माण उत्पाद जैसे क्षेत्रों में अब भी मांग की कमी बनी हुई है, जबकि सिर्फ सब्जियों की कीमत बाजार अनुमान के मुकाबले तेज हुई हैं. बुधवार को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ती हुई 4.62 फीसदी पर पहुंच गयी. यह इसका 16 महीने का उच्च स्तर है.

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