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कोडरमा : शंकर यादव हत्याकांड, पुलिस की स्क्रिप्ट में कई सवाल अनसुलझे, पीड़ित परिवार ने जताया असंतोष
II विकास II कोडमरा : जिला कांग्रेस अध्यक्ष शंकर यादव की स्कॉर्पियो को बम प्लांट कर उड़ा देने के मामले का पुलिस ने भले ही पांच दिन के अंदर खुलासा करने का दावा किया है, पर पुलिस पदाधिकारियों ने घटना को लेकर जो पूरी जानकारी मीडिया को दी उसमें कई सवाल अनसुलझे नजर आ रहे […]
II विकास II
कोडमरा : जिला कांग्रेस अध्यक्ष शंकर यादव की स्कॉर्पियो को बम प्लांट कर उड़ा देने के मामले का पुलिस ने भले ही पांच दिन के अंदर खुलासा करने का दावा किया है, पर पुलिस पदाधिकारियों ने घटना को लेकर जो पूरी जानकारी मीडिया को दी उसमें कई सवाल अनसुलझे नजर आ रहे हैं.
खासकर मुख्य आरोपी मुनेश यादव का गोलीकांड के बाद भी इस तरह घटना की प्लानिंग करना और इसमें सिर्फ रिश्तेदारों को शामिल करने की बात तथा घटना में नक्सल कनेक्शन से पुलिस का इंकार. इन दोनों बिंदुओं पर पुलिस के अपने दावे हैं, पर पूरी कहानी में कई ऐसे अनसुलझे सवाल हैं जो पुलिस के लिए अभी भी चुनौती बन कर खड़ी है.
इधर, पुलिस की अब तक की कार्रवाई पर पीड़ित परिवार ने असंतोष जताते हुए कई सवाल खड़े किये हैं. शंकर यादव की पत्नी हेमलता यादव ने पुलिस के खुलासे के बाद मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि पुलिस मुनेश यादव सहित पांच आरोपियों को तो गिरफ्तार कर हत्याकांड का खुलासा करने की बात कर रही है, पर मामले को लेकर नामजद किये गये कई आरोपी आज भी फरार हैं.
उन्होंने कहा कि गुल्ली यादव के चारों पुत्र क्रमश: जीवलाल यादव, विजय यादव, अशोक यादव व शंकर यादव ने घटना को अंजाम दिलाया है. नामजद मामला दर्ज करने के बावजूद पुलिस इन लोगों को गिरफ्तार नहीं कर रही है. ऐसे में हमारा परिवार डरा हुआ है, सभी पर खतरा बना हुआ है. हेमलता के अनुसार इन लोगों ने 10-15 दिन पहले भी उनके पति को मार देने की धमकी दी थी.
इससे पहले भी ये धमकी देते रहे हैं. पुलिस ने पहले की घटना में जिस तरह मुनेश को छोड़ अन्य को गिरफ्तार कर लिया था और नयी घटना हुई उसी तरह अब मुनेश को पकड़ इन चारों को छोड़ दिया जा रहा है. उन्होंने सफेदपोश लोगों का नाम भी सामने लाने की गुहार लगायी. साथ ही हत्यारों को फांसी देने की मांग भी की.
लंबे समय था फरार, अब तुरंत कैसे हुआ गिरफ्तार
24 अक्तूबर को गोलीकांड को अंजाम देने के बाद मुख्य आरोपी मुनेश यादव फरार था. हजारीबाग की चौपारण पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पायी थी. हत्याकांड के बाद कुछ ही दिन में उसकी गिरफ्तारी वेल्लौर से हुई तो शंकर यादव के पुत्र ने इस पर सवाल उठाया है.
उसने कहा कि जो आरोपी करीब तीन माह से फरार था, उसे अब पुलिस देश के दूसरे कोने से खोज कर ले आयी, जबकि उनके पिता पूर्व में बरही डीएसपी को कहते रहे कि मुनेश इलाके में घुम रहा है, उनकी सुरक्षा को खतरा है. तब डीएसपी कहते रहे कि आप आराम से घूमिये, चिंता की कोई बात नहीं है, मुनेश फरार है. अगर मुनेश फरार था तो दो माह से घटना की योजना इसी इलाके में कैसे बना रहा था. बेटे ने बरही डीएसपी व चौपारण थाना प्रभारी के भूमिका की जांच की मांग की. वहीं शंकर यादव की पुत्री ने भी पिता के द्वारा पूर्व में बरही चौपारण पुलिस को लिखे गये पत्र की कॉपी मीडिया के सामने प्रस्तुत की. इसमें घटना को लेकर आशंका जतायी गयी थी.
तीन बड़े अनसुलझे सवाल
पहली बार ऐसी वारदात, नक्सली कनेक्शन से इंकार
डीआइजी ने प्रेस कांफ्रेंस में सबसे पहले कहा कि झारखंड में संभवत: पहली बार इस तरह की वारदात इस जघन्य तरीके से अंजाम दिया गया. जिस तरह इसमें आइइडी बम प्लांट करने के लिए ऑटो को लाया गया, हजारीबाग के दो वर्कशॉप में इसे प्लांट किया गया. मेटेलिक स्प्लिंटर लगाये लगाये गये, ताकि स्प्लिंटर पर्टिकुलर डायरेक्शन में जाये और स्कॉर्पियो व उसमें बैठे लोगों को पूरा नुकसान पहुंचे. यही नहीं घटनास्थल के बायीं ओर खेत के पास बंकरनुमा जगह बनायी गयी, ताकि रिमोट दबाया जाये और विस्फोटक के छींटे आरोपी को न लगे.
साथ ही ढालनुमा चीज का प्रयोग खुद के बचाव के लिए किया गया, वह अपने आप में अलग था. इस तरह इतनी योजना से बम प्लांट कर युवकों द्वारा रिमोट से उड़ा देना, अपने आप में आश्चर्यचकित कर देनेवाला है. घटना के तरीके से शुरू से ही जांच एजेंसी सीआइडी, गठित एसआइटी नक्सल कनेक्शन के बिंदु पर जांच कर रही थी.
बीच में नक्सल कनेक्शन की बात भी सामने आयी, पर प्रेस वार्ता में डीआइजी ने इससे साफ इंकार किया और कहा कि मुनेश के जेल में रहने के दौरान ऐसी संगत हो गयी थी जो विस्फोटक प्लांट करने में माहिर थे. ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि पुलिस ऐसे लोगों को कैसे सामने लायेगी.
किसने किया फाइनेंस कहां से आया विस्फोटक
डीआईजी के अनुसार पूरी घटना को अंजाम देने के लिए फाइनेंशियल मदद भी पहुंचायी गयी. ऐसे लोगों को चिह्नित किया जा रहा है, जबकि परिवार ने कुछ लोगों को नामजद किया है, जिसके संबंध में जांच चल रही है.
नये परिदृश्य में अब यह सवाल अनसुलझा है कि आखिर फाइनेंस किसने और क्यों किया? जबकि दूसरी तरफ पुलिस का दावा है कि मुनेश यादव ने लंबे समय से चल रहे पत्थर खदान के विवाद को लेकर घटना को अंजाम दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब पत्थर खदान के विवाद को लेकर हत्या की गयी तो फिर फाइनेंस क्यों और किसने किया? इतना ही नहीं पुलिस घटना में प्रयुक्त विस्फोटक कहां से आया यह भी स्पष्ट नहीं कर पायी है.
पुलिस के अनुसार विस्फोटक में नाइट्रो ग्लेसरिन के अंश पाये गये. माइंस व अन्य जगहों पर ऐसे विस्फोटक का प्रयोग होता है. ऐसे में पुलिस के समक्ष यह भी सवाल है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर विस्फोटक किसने उपलब्ध कराया. हालांकि, डीआइजी के अनुसार माइंस के कारोबार से जुड़े रहने के कारण मुनेश ने विस्फोटक की व्यवस्था की, पर इस संबंध में पूरी जानकारी जुटायी जा रही है.
पांच लोगों का षड्यंत्र एक चला गया वेल्लौर
नए खुलासे में एक सवाल यह भी अनसुलझा है कि घटना को कितने आरोपियों ने अंजाम दिया. पुलिस ने अब तक पांच लोगों की संलिप्तता पायी है. इसमें से चार आपस में रिश्तेदार हैं. मुख्य आरोपी मुनेश के साथ उसका छोटा भाई पवन, फुफेरा भाई नरेश, भगना सुदीप व ऑटो उपलब्ध कराने वाला रामदेव.
यही नहीं पुलिस के अनुसार 11 फरवरी को ऑटो में बम प्लांट करने के बाद 12 को ऑटो को घटनास्थल पर खड़ा किया. एक दिन पहले ब्रेकर बनाया और 13 फरवरी को पवन ने रिमोट दबाया और फरार हो गया, जबकि मुनेश पूरी तैयारी के बाद खुद वोल्लौर चला गया. घटना के दिन वह यहां नहीं था.
पवन ने उसे मोबाइल पर पूरी घटना की जानकारी दी. इतनी बड़ी घटना और इस तरह के बड़े साजिश के तहत वह भी एक परिवार के सदस्यों के द्वारा कैसे अंजाम दिया जा सकता है यह सवाल भी अनसुलझा है.
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