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खगड़िया से मुंगेर के बीच रेल गाड़ियों की कमी से यात्री परेशान, पांच वर्ष बाद भी नहीं बढ़ी ट्रेनें

2774 करोड़ की लागत से गंगा नदी पर पुल का निर्माण कर खगड़िया से मुंगेर के बीच शुरू की गयी थी रेल सेवा एक जोड़ी ट्रेनों के परिचालन से शुरुआत के बाद अब तक नहीं बढ़ायी गयी ट्रेनों की संख्या हजारों यात्री गिरते पड़ते मुंगेर रेल रूट पर यात्रा करने को विवश कई यात्रियों की […]

  • 2774 करोड़ की लागत से गंगा नदी पर पुल का निर्माण कर खगड़िया से मुंगेर के बीच शुरू की गयी थी रेल सेवा
  • एक जोड़ी ट्रेनों के परिचालन से शुरुआत के बाद अब तक नहीं बढ़ायी गयी ट्रेनों की संख्या
  • हजारों यात्री गिरते पड़ते मुंगेर रेल रूट पर यात्रा करने को विवश कई यात्रियों की ट्रेन से गिरकर हो गयी मौत
खगड़िया : मुंगेर रेल मार्ग पर चलने वाली खगड़िया-जमालपुर पैसेंजर ट्रेन में सीट के लिये लोग भगवान से मन्नत मांगते हैं. सीट मिलने पर लोगों के चेहरे पर ऐसा भाव रहता है कि जैसे कुछ बड़ा काम कर लिया हो. सात बोगी की ट्रेन में क्षमता से दस गुना यात्री रोज रेल यात्रा करते हैं.
इन ट्रेनों में सीट लेना कितना कठिन काम है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. संजय कुमार, रामेश्वर चौरसिया, मिथलेश कुमार, सुनैना कुमारी, प्रिया कुमारी, समतोला देवी आदि सहित कई रेल यात्रियों ने कहा कि रेलवे के अधिकारी मुंगेर रुट पर चलने वाली सवारी गाड़ी में यात्रा करते तो शायद आमलोगों की दर्द का एहसास हो पाता. वर्तमान में मुंगेर रेलमार्ग पर चलने वाले हजारों रेलयात्री जान जोखिम में डाल कर ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं.
2015 में मुंगेर रेल मार्ग पर शुरु हुई रेल सेवा
खगड़िया-मुंगेर रेल सेवा शुरु करने के लिये गंगा नदी पर 2774 करोड़ की लागत से रेल सह सड़क पुल का निर्माण किया गया. आनन-फानन में वर्ष 2015 में इस रुट पर रेल परिचालन शुरु कर दिया गया. खगड़िया से एक जोड़ी रेलगाड़ी मुंगेर व जमालपुर के लिये चलने लगी. रेल सेवा शुरु होने के चार साल बाद भी वही एक जोड़ी ट्रेन से हजारों रेलयात्री यात्रा करने को विवश हैं. कई बार ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की मांग हुई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब यहां के लोग आंदोलन का मन बना रहे हैं. रेल प्रशासन को मुंगेर रेलमार्ग पर समय रहते समस्या का समाधान कर लेना होगा, वरना एक आंदोलन झेलने के लिये तैयार रहना होगा.
यह पुल मुंगेर-खगडि़या-बेगूसराय को जोड़ने के लिये गंगा नदी पर निर्मित हुई है. उक्त पुल जहां उत्तर व दक्षिण बिहार के लिए जीवनदायी सिद्ध हो सकता है. लेकिन ट्रेनों के अभाव में मौत का पैगाम लिये प्रतिदिन पुल पर से गुजरती है. ज्ञात हो कि धक्का-मुक्की का शिकार होकर तीन व्यक्ति को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. लेकिन रेल प्रशासन की नींद नहीं खुली है.
ट्रेनों का अभाव परिचालन में फंसा पेंच
ट्रेनों की यह स्थिति दो जोन के वजह से भी है. ज्ञात हो कि पूर्व मध्य रेल के सोनपुर डिविजन का क्षेत्र पुल के उत्तरी छोर तथा एनएफ रेल से जुड़े मालदा डिवीजन पुल के दक्षिणी भाग में है. जिसके वजह से ट्रेनों के परिचालन में कई जगह तकनीकी तो कई जगह प्रशासनिक पेंच भी ट्रेनों के परिचालन पर असर डाल रहा है. जिसके कारण मामला उलझता जा रहा है. ज्ञात हो कि जबसे पुल का निर्माण हुआ लोगों को सहूलियत ट्रेनों के माध्यम से हुई. आवागवन की पहली पसन्द ट्रेन रही है, परन्तु ट्रेनों का अभाव के कारण लोग परेशान हैं. आलम यह है कि मुंगेर-जमालपुर जाने वाली ट्रेनों में उतरने-चढ़ने में अफरा-तफरी के कारण रेलयात्रियों की मौत तक हो जाती है.
गिरते-पड़ते मुंगेर की रेलगाड़ी में सफर कर रहे लोग
मुंगेर के लिये ट्रेन की संख्या बढाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. बताया जाता है कि मुंगेर-खगड़िया-बेगूसराय रेलखंड वर्त्तमान समय में काफी महत्वपूर्ण हो गया है. रोजाना हजारों की संख्या में लोग ट्रेनों में सफर करते हैं. लेकिन सुरक्षा के ख्याल से यह काफी खतरनाक साबित हो रहा है.
इस मार्ग में उद्घाटन के समय से हीं मात्र एक हीं सवारी गाड़ी चलायी जा रही है. खगड़िया से 10:35 बजे दिन में तथा शाम के 6:25 बजे एक जोड़ी ट्रेन जमालपुर के लिये खुलती है. जबकि एक गाड़ी सहरसा से जमालपुर भाया खगड़िया होकर चलती है. जिसका समय खगड़िया पहुंचने का समय सुबह 6:35 बजे है. इधर, जमालपुर रेलमार्ग पर चलने वाली ट्रेनों में जगह के अभाव के कारण गिरते पड़ते लोग यात्रा करने को विवश हैं.
इन लोगों की ट्रेन से गिर कर हुई मौत
दुर्गा पुजा के समय लक्खीसराय जिले के सूर्यगढ़ा निवासी बीएसएफ का जवान विजय यादव छुटटी पर अपने ससुराल बेगूसराय आया था. वह बेगूसराय से मुंगेर आने के लिए ट्रेन पकड़ा ट्रेन में काफी भीड़ थी. गंगा पुल खत्म होते हीं लाल दरवाजा मिर्ची तालाब के पास वह धक्का लगने पर नीचे गिर गया. जिसके कारण उसकी मौत हो गयी.
खगडि़या जिले के भदास गांव निवासी सोनू महतो अपनी पत्नी के साथ मुंगेर के नौवागढ़ी कन्तपुर आया था. मकरसंक्रांति पर 13 जनवरी को वह वापस घर जाने के लिए मुंगेर स्टेशन से ट्रेन पर चढ़ा भीड़ अत्यधिक थी और जगह नहीं मिलने के कारण वह गेट पर हीं रह गया. ट्रेन जैसे हीं पुल के सात नं पीलर के पास पहुंचा कि पीछे से धक्का-मुक्की हुई तथा ट्रेन में भगदड़ मच गई और वह ट्रेन से सीधा नीचे पुल पर गिर गया. जिससे उसकी मौत तत्क्षण हो गयी.
मुंगेर गंगा पुल के पाया संख्या 7 के समीप दियारा में एक युवक का शव बरामद हुआ जिसकी मौत ट्रेन से गिरकर हुई उसकी मौत पुल के लोहे के गाटर से अधिक चोट खाने के कारण हो गई. जिसकी शिनाख्त नहीं हो पायी.
सात बोगी की ट्रेन में ठूंसे रहते हैं हजारों यात्री
वर्त्तमान समय में उक्त ट्रेन में सात बोगी लगायी जा रही है. उक्त ट्रेनों में सात बोगी होने के कारण काफी भीड़ अधिक हो जा रही है. इस क्रम में आम आदमी का उतरने-चढ़ने के क्रम में सकल-सूरत सब बदल जाती है. रोज-बरोज धक्का-मुक्की के क्रम में सैकड़ों लोगों की यात्रा दुखदायी बन गयी है. ट्रेनों में खचा-खच भीड़ के कारण बड़ी संख्या में लोग पावदान एवं इंजन पर चढ़ने के लिए मजबूर हो जाते है. जिसकी वजह से लगातार ट्रेन में भीड़ के कारण दुर्घटनायें हो रही हैं और रेलयात्रियों को जान से भी हाथ धोना पड़ा है.
ट्रेनों की संख्या बढाई जाय : जोशी
पूर्वोत्तर बिहार रेल उपभोक्ता संघर्ष समिति के केन्द्रीय संयोजक सुभाष चन्द्र जोशी ने रेल मंत्री से कोसी जैसे पिछड़े इलाके के लिये लोगों को ध्यान में रखते हुए तुरंत ट्रेनों की संख्या बढाने की मांग की है. समिति के सह संयोजक अब्दुल गनी, आत्मा राम शर्मा, देश बन्धु आजाद, देवनारायण ने सहरसा से भागलपुर एवं सहरसा से जमालपुर के बीच सुबह व शाम एक-एक जोड़ी ट्रेनें चलाने कटिहार अथवा जोगबन्नी से जमालपुर के बीच सुबह एवं शाम एक-एक जोड़ी ट्रेन चलाने की मांग की है.

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