35.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

ग्राउंड रिपोर्ट : सिसई विधानसभा की जनता को अभी भी है सड़क-बिजली का इंतजार, जानें क्या कहते हैं वोटर

सिसई से अरबिंद मिश्रा की रिपोर्टगुमला : सिसई विधानसभा में चुनावी सरगर्मी चरम पर है. यहां मतदान दूसरे चरण में यानी 7 दिसंबर को होना है. यहां कुल 229723 वोटर हैं, जिसमें पुरुष वोटर-115892 और महिला वोटर-113831 हैं. इससे पहले चुनावी मैदान में उतरे सभी प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं. सिसई विधानसभा का […]

सिसई से अरबिंद मिश्रा की रिपोर्ट
गुमला :
सिसई विधानसभा में चुनावी सरगर्मी चरम पर है. यहां मतदान दूसरे चरण में यानी 7 दिसंबर को होना है. यहां कुल 229723 वोटर हैं, जिसमें पुरुष वोटर-115892 और महिला वोटर-113831 हैं. इससे पहले चुनावी मैदान में उतरे सभी प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं. सिसई विधानसभा का हाल जानने के लिए प्रभात ख़बर डॉट कॉम की टीम यहां पहुंची. प्रत्याशियों से बात हुई. मतदाताओं से भी उनके इलाके में जो काम हुए, नहीं हुए इस बारे में बातें हुई.

आपको बता दें कि यहां से इसबार चुनावी मैदान में 10 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं, जिनमें भाजपा के दिनेश उरांव, झामुमो के जिग्गा सुसिरन होरो, जेवीएम के लोहरमैन उरांव, झापा की सुनीता टोपनो, बसपा के संतोष मछली, नागरिक अधिकार पार्टी के सुखदेव उरांव, रादपा के पुनीत भगत, रामपा के मुक्तिलता टोप्पो, निर्दलीय शशिकांत भगत और संजीत मिंज शामिल हैं. सिसई विधानसभा की सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट है, क्योंकि यहां से मौजूद विधायक दिनेश उरांव दूसरी बार चुनावी मैदान में हैं. दिनेश उरांव विधानसभा अध्यक्ष भी हैं. यहां का समीकरण है कि उरांव बहुल क्षेत्र में उनका झुकाव जिस ओर होगा उसी पार्टी की जीत मानी जाती है, यही कारण है कि प्रत्याशी उरांव जनजाति को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

जब प्रभात ख़बर डॉट कॉमकीटीम सिसई पहुंची तो भाजपा, झामुमो सहित सभी पार्टी के प्रत्याशी जोर शोर से प्रचार में जुटे थे. टीम क्षेत्र की पड़ताल करने पहुंची तो पाया कि सिसई से बसिया जाने वाली सड़क जिसमें हज़ारों गाड़ियां चलती हैं, पूरी तरह से जर्जर हो गयी हैं. सिसई मुख्याल से केवल 2 किलोमीटर की दूरी में सड़क पूरी तरह से टूटी हुई थी, जिसमें चलना मुश्किल था. बड़ी बड़ी गाड़ियों के चलने से सड़क में धूल के गुब्बारे उड़ रहे थे. पल पुलिया भी नहीं बने हैं, कुछ में काम चल रहे हैं.

लोगों से जब उनके गांव में हुए विकास के काम के बारे में बात की तो मिली जुली प्रतिक्रिया मिली. सिसई मुख्य बाजार में पान की दुकान चलाने वाले ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त में बताया कि यहां केंद्र की योजनायें तो धरातल पर उतरी हैं लेकिन लोगों की जरूरत के काम नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव के समय मुख्य बाजार की सड़कों को जैसे तैसे बनाया गया है. कुछ दिन पहले यहां दुर्घटना भी हुई थी, जिसके बाद सड़क बनाया गया.

सिसई नगर के मरंगवीरा की रहने वाली सुगंती देवी जो अभी सिसई में एक होटल में काम करती है, ने बताया कि उसके पति ने उसे छोड़ दिया है और उसके ऊपर दो बच्चों को पालने की जिम्मेदारी है. इसलिए उसे होटल में काम करना पड़ता है. उसके पास न तो रहने के लिए आवास है और न ही उसको राशन मिलता है. सड़कों की हालत भी ठीक नहीं है. उनका कहना है कि उनके गांव तक बिजली पहुंच गई है जिससे काफी राहत है.

नगर के ही रहने वाले एक युवा संतोष जो पहली बार मतदान में हिस्सा लेंगे, उन्होंने बताया की नगर एक ऐतिहासिक जगह है. नागवंशी राजा दुर्जन साल की राजधानी है, यहां उनका महाल है. यहां दूर दूर से लोग घूमने भी आते हैं, लेकिन इस जगह का विकास नही हो रहा है. मुख्य सड़क से किला पहुंचने का मार्ग भी नहीं बना है, लोग कच्ची सड़क के सहारे यहां पहुंचते हैं. किला भी संरक्षण के अभाव में जर्जर हो गया है, दीवारें गिर रही हैं. अगर यहां का विकास किया जाय तो पर्यटन की काफी संभावना बढ़ सकती है. हमलोगों को भी आने गांव में। रोजगार मिल जाएगा.

सिसई प्रखंड के सिसकारी गांव जो मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी में स्थित है, वहां इसी साल जून में 4 वृद्धों की हत्या ओझा-मति और बहुत प्रेत के अंधविश्वास में कर दिया गया था. उस समय पूरे गांव में दहशत का माहौल था, लोग गांव से पलायन कर गये थे, लेकिन अब गांव में फिर से जनजीवन पटरी पर लौट रही है. गांव में एक किसान बहुरा नागेसिया से जब हमारी मुलाकात होती है तो इसने उस घटना का जिक्र करने से इंकार कर दिया. उससे जब गांव के विकास के बारे में बात किया तो उनका कहना था कि गांव तक पहुंचने का रास्ता अभी बन रहा है. बिजली तो गांव तक पहुंची है, लेकिन 24 घंटे में केवल 3 से 4 घंटे ही रहती है. बिजली से खेती बाड़ी का काम नही कर पा रहे हैं. सिसकारी गांव में लोग बांस का उत्पादन पड़े पैमाने पर करते हैं.

क्या है सिसई विधानसभा का इतिहास

सिसई विधानसभा क्षेत्र 1951 में बना था. सिसई के पहले विधायक बलिया भगत थे. इस सीट पर उरांव जाति के विधायकों का कब्जा रहा. सिसई सीट पर सबसे ज्यादा कांग्रेस व भाजपा का कब्ज रहा है. यहां कांग्रेस के छह व भाजपा के पांच बार विधायक रहे हैं. इसमें कांग्रेस के बंदी उरांव व भाजपा के ललित उरांव सर्वाधिक तीन-तीन बार विधायक चुने गये. वर्ष 2000 में दिनेश उरांव व 2005 में समीर उरांव भाजपा से जीते. 2009 में बंदी उरांव की बहू गीताश्री उरांव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती. सरकार में शिक्षा मंत्री भी बनी. वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के डॉ दिनेश उरांव जीते. डॉ उरांव विधानसभा अध्यक्ष भी बने.

सड़कें, पुल व भवन बनवाये : डॉ दिनेश
डॉ दिनेश उरांव ने कहा कि सभी क्षेत्रों में विकास के काम किया है. सिसई में मॉडल कॉलेज भवन का निर्माण, बसिया में पॉलिटेक्निक निर्माण कराया है. 500 किमी पक्की सड़क, कई पुल बना है. पावर हाउस निर्माण व अस्पताल बने.

सिर्फ ठेका मैनेज किया : जिग्गा
झामुमो के जिग्गा मुंडा ने कहा कि विधायक सह स्पीकर डॉ दिनेश उरांव पांच साल सिर्फ ठेका मैनेज करते रहे. पुल व सड़क में खूब ठेका मैनेज हुआ है. उनका कहना है की अगर उनकी जीत होती है तो सिसई में विकास का काम होगा. किसानों को सुविधा मिलेगी और खराब सड़कों को बनाया जाएगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें