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डेडलाइन खत्म, नहीं बनी बाइपास सड़क

तेज रफ्तार वाहनों से जा रही जान गुमला : गुमला में बाइपास सड़क बनाने की डेडलाइन खत्म हो गयी है. वर्ष 2017 में ही सड़क को बना देना था. लेकिन संवेदक की लापरवाही व काम की धीमी गति के करण अभी तक सड़क नहीं बनी है. कछुए की चाल से सड़क बन रही है. बाइपास […]

तेज रफ्तार वाहनों से जा रही जान

गुमला : गुमला में बाइपास सड़क बनाने की डेडलाइन खत्म हो गयी है. वर्ष 2017 में ही सड़क को बना देना था. लेकिन संवेदक की लापरवाही व काम की धीमी गति के करण अभी तक सड़क नहीं बनी है. कछुए की चाल से सड़क बन रही है. बाइपास सड़क के अभाव में बड़े वाहनों का दबाव शहर से गुजरने वाली सड़क पर है.
शहर में घुस रहे बड़े वाहनों के कारण आये दिन हादसे हो रहे हैं. लोगों की जान भी जा रही है, लेकिन अभी भी सड़क बनाने में तेजी नहीं आ रही है. हालांकि गुमला डीसी शशि रंजन ने मार्च माह तक सड़क को पूरा कराने का अंतिम डेडलाइन दिया है. ज्ञात हो कि अप्रैल माह में लोकसभा चुनाव संभावित है. अगर उससे पहले सड़क नहीं बनी, तो इसबार चुनाव में खड़ा होने वाले उम्मीदवारों को जनता का गुस्सा झेलना पड़ सकता है. वहीं विपक्ष इस बाइपास सड़क को मुद्दा बनाकर सरकार को घेर सकती है.
इधर, कुछ दिन पहले विधानसभा में बाइपास सड़क का मामला उठा था. इतना होने के बाद भी सड़क की रफतार क्यों नहीं बढ़ रही है. यह सवाल लोगों को कौंध रहा है. अधूरी बाइपास सड़क के कारण गुमला शहर की 51 हजार आबादी खतरे में हैं. चूंकि गुमला शहर नेशनल हाइवे-43 व 78 के किनारे स्थित है. अभी जितनी भी बड़ी गाड़ी है, सभी गुमला शहर में घुसती है. इसके बाद दूसरे राज्य आती-जाती है. बड़ी गाड़ियों के शहर में घुसने से उड़ती धूल से लोगों के सेहत पर असर पड़ रहा है. खास कर बच्चे अक्सर बीमार हो रहे हैं. ऊपर से बड़ी गाड़ियों के कारण शहर में सड़क हादसे की संख्या भी बढ़ती जा रही है. आये दिन हादसे हो रहे हैं. भारी भरकम गाड़ियों के कारण निम्न क्वालिटी की सड़क भी टूट कर गड्ढों में तबदील हो रही है.
इन गड्ढों को प्रशासनिक लापरवाही के कारण भरा नहीं जा रहा है, जिससे गड्ढों के कारण भी हर रोज हादसे हो रहे हैं और बाइक सवार को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. गुमला शहर का व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है. ज्ञात हो कि 18 अप्रैल 2016 को सीएम रघुवर दास ने 66 करोड़ 89 लाख रुपये की लागत से बनने वाली बाइपास सड़क का सिसई प्रखंड में ऑन-लाइन शिलान्यास किया था. अब ढाई साल गुजर गया. अभी तक सड़क 70 प्रतिशत भी नहीं बनी है. संवेदक द्वारा जिस प्रकार काम कराया जा रहा है, इससे नहीं लगता है कि तय डेडलाइन तक संवेदक काम पूरा करा सकेगा. ऐसे भी संवेदक ने पीसीसी सड़क बनाने वाले छोटे ठेकेदारों के बीच पेटी कॉन्ट्रैक्ट में काम बांट दिया है, जिससे काम की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़ा हुआ है.
जबकि संवेदक काम के एवज में सरकार से करोड़ों रुपये प्राप्त भी कर चुका है. लेकिन जितनी राशि की निकासी हुई है, उतना काम भी नहीं हुआ है. गुमला में बाइपास सड़क अधूरा होने से जनता जाम से त्रस्त है. जब सीएम ने 18 अप्रैल को शिलान्यास किया था, तो उन्होंने काम में तेजी लाने के लिए कहा था, लेकिन सीएम के आदेश का कोई असर नहीं पड़ा है. अभी स्थिति यह है कि जब स्कूल छुट्टी होती है या साप्ताहिक बाजार लगता है, उस समय जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है.
नेशनल हाइवे है. इस रूट से प्रत्येक दिन दो हजार से अधिक बड़ी मालवाहक गाड़ियां गुजरती है. इसके अलावा 200 बस व हजारों छोटी गाड़ी है. शहर की सड़कें भी संकीर्ण हैं, जिससे एक गाड़ी के फंसने पर जाम लगता है. चेंबर ऑफ कामर्स के सचिव हिमांशु केसरी ने गुरुवार को प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी बाइपास सड़क का मामला उठाया.

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