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जो दहेज लेते हैं उन्हें पुत्र से पिंडदान भी नहीं मिलता : अरुण कृष्ण
गढ़वा : प्रेम के बिना ज्ञान संभव नहीं है. जो व्यक्ति अपने माता-पिता अथवा अन्य मनुष्यों से प्रेम नहीं कर सकता उसे भगवान से भी प्रेम करने का अधिकार प्राप्त नहीं होता. उक्त बातें गढ़वा शहर के सहिजना स्थित बाबा सोमनाथ मंदिर परिसर में दुर्गा पूजा के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण संगीतमय कथा का […]
गढ़वा : प्रेम के बिना ज्ञान संभव नहीं है. जो व्यक्ति अपने माता-पिता अथवा अन्य मनुष्यों से प्रेम नहीं कर सकता उसे भगवान से भी प्रेम करने का अधिकार प्राप्त नहीं होता. उक्त बातें गढ़वा शहर के सहिजना स्थित बाबा सोमनाथ मंदिर परिसर में दुर्गा पूजा के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण संगीतमय कथा का प्रवचन करते हुए वृंदावन से आये अरुण कृष्ण शास्त्री ने मंगलवार की रात्रि कही.
अरुण शास्त्री ने कहा कि 11 वर्षों तक वृंदावन रास के पश्चात कन्हैया अक्रुर के कहने से मथुरा गमन करते हैं तथा वहां कंस वध कर महाराज उग्रसेन को राज्य प्रदान कर गुरुकुल में जाकर अल्पकाल में ही समस्त विद्याओं का अध्ययन करते हैं. उन्होंने कहा कि प्रेम के बिना ज्ञान संभव नहीं है. ज्ञान सूखे साबुन की तरह है और प्रेम जल की तरह.
जैसे गंदे कपड़े को अकेला साबुन अथवा जल स्वच्छ नहीं कर सकता उसी प्रकार प्रेम के बिना ज्ञान अधूरा होता है. उन्होंने दहेज प्रथा पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जो माता-पिता अपने पुत्र के लिए दहेज मांगते हैं वह मानो अपने पुत्र को बेच ही देते हैं. जो लोग कन्या पक्ष को मजबूर कर दहेज लेते हैं उनको उस पुत्र से पिंडदान भी प्राप्त नहीं होता.
मौके पर वार्ड पार्षद सत्यवती देवी, मुकेश कुमार सिन्हा, अजित सिंह, कौशलेंद्र तिवारी, अजय कुमार सिन्हा, संजू देवी, रंजू मिश्रा, बेवी तिवारी, अनिता वर्मा, सुशीला प्रसाद, कांति सिंह, शारदा सिंह, अणिमा मिश्रा, ललिता देवी, आरती सिन्हा, ममता देवी, किरण देवी, विमला देवी, रीमा सिंह, संध्या देवी, पानपति देवी, संयुक्ता सिंह, नीतू सिंह, चंपा देवी, मीरा देवी, धनवंती देवी, रंजू सिंह समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.
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